मां तुम्हारी एक मुस्कान,
घर को महका देती है,
जब तुम नहीं होती
तो सब सूना सा लगता है।
तुम्हारी डांट से,
दिल को सुकून मिलता है,
घर में हर पल,
तुम्हारे होने का एहसास रहता है।
तुम रूठ जाती हो तो,
दिल बेचैन हो रहता है,
तुम्हारी हंसी सुनने को,
मन तड़प उठता है।
बचपन से लेकर आज तक,
थामे चला हूं तुम्हारी उंगली,
हर बार गिरने से पहले ही,
संभाल लेता है तुम्हारा मज़बूत हाथ।
तुम्हारे बिना ना चल पाऊंगा,
एक कदम भी आगे मैं,
तेरी आंचल की छांव में ही,
रहूंगा हर पल महफूज़ मैं।
कभी छोड़ कर मत जाना मुझे मां,
कि टूट कर बिखर जाऊंगा मैं,
मेरी सांस की हर इक डोर मां,
जुड़ी है तेरे दिल की धड़कनों से।
🙏
आस्था सिंघल
(मौलिक रचना, स्वरचित)