ले चल मुझे भी वहां
ले चल मुझे भी वहां...
जहां ना गम हो, ना दुख हो,
जहां ना ईर्ष्या हो, ना द्वेष हो,
जहां ना धोखेबाज़ हों,
और ना चालबाज़ हों।
जहां ना नीचा दिखाने वाले हों,
और ना नीचे गिराने वाले हों,
जहां ना लालच के भूखे हों,
और ना लालच बांटते लोभी हों।
जहां ना पैसों से प्यार को तोलने वाले हों,
और ना पैसों के लिए प्यार को बेचने वाले,
जहां ना वीभत्स हिसंक हों,
और ना ही हिंसा करने वाले हों।
ऐ मेरे दिल,
ढूंढ के ला तू इक ऐसा जहान,
और फिर ले चल,
मुझे भी वहां।।
🙏
आस्था सिंघल
(स्वरचित)