कुछ रिश्ते छूट जाते हैं, पर टूटते नहीं। दिल से दिल की डोर इतनी मज़बूत होती है कि उन्हें तोड़ना बहुत मुश्किल होता है।
कभी-कभी चाह कर भी हम उन रिश्तों को अपने से दूर नहीं कर पाते। भले ही कितने सालों उससे मिल ना पाएं हों, पर दिल के किसी कोने में वो रिश्ता आज भी एक खूबसूरत याद बनकर मुस्कुराता रहता है।
उस रिश्ते की महक, उसकी गहराई, उसकी खनक, उसका एहसास आज भी दिल को गुदगुदा जाता है। एक अजीब सी हूक उठती है दिल में, कि भाग कर जाएं और उस रिश्ते को फिर से दिल से लगा लें। उसके मज़बूत साए में छिप कर घंटों रो लें।
पर जो हम सोचते हैं ज़रुरी नहीं वही हो। कभी-कभी हमारे पैर ऐसी अनदेखी बेड़ियों में जकड़ जाते हैं कि हम उन्हें छुड़ा कर जा ही नहीं सकते।
ऐसे में वो रिश्ता बहुत पीछे छूट जाता है। पर सच कहूं, टूटता फिर भी नहीं है।
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आस्था सिंघल