ज़िन्दगी का पहला उसूल है जनाब,
ये तभी हम पर मुस्कुराएगी,
जब हम इस पर मुस्कुराएंगे।
ज़िन्दगी का दूसरा उसूल है जनाब,
कि इसके गुज़रे बुरे वक़्त को नहीं,
बल्कि यादगार लम्हों को याद रखो।
ज़िन्दगी का तीसरा उसूल है जनाब,
इसे जीने का सही समय नहीं आता,
आप जीने की शुरुआत कर दें,
सही समय तभी से शुरू हो जाएगा।
ज़िन्दगी का चौथा उसूल है जनाब,
खुद को बदलने की हिम्मत रखो,
दुनिया तो अपने आप बदल जाएगी।
ज़िन्दगी का पांचवां उसूल है जनाब,
सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए,
नीचे की सीढ़ी से पैर हटाने पड़ते हैं।
ज़िन्दगी का छठा उसूल है जनाब,
अपने जीवन पर कभी पछतावा ना करें,
अच्छे दिन खुशियां देते हैं तो,
बुरे दिन हमें अनुभव देते हैं।
ज़िन्दगी का सातवां उसूल है जनाब,
ना चादर बढ़ाइए और ना ख्वाहिशें,
चार दिन की ज़िंदगी है जनाब,
चैन से इसे बिताएं।
ज़िन्दगी का आठवां उसूल है जनाब,
लोगों की कदर करना सीखिए,
क्योंकि, ना ज़िन्दगी वापस आती है ना ही लोग।
ज़िन्दगी का नौवां उसूल है जनाब,
इसे समझना है तो पीछे देखो,
इसे जीना है तो आगे देखो।
ज़िन्दगी का दसवां उसूल है जनाब,
हमारे जीवन में एक बात तो तय है,
कि यहां तय कुछ भी नहीं है।।
🙏
आस्था सिंघल