वो सुहाने दिन
वो बेफिक्र सी ज़िन्दगी,
वो मस्ती , वो ठहाके,
वो मां की ममता का आंचल,
वो दोस्तों के साथ चहलकदमी,
क्या लौट कर आएंगे,
वो पुराने दिन, वो सुहाने दिन।।
वो घंटों बेमतलब की बातें,
हर रोज़ दोस्तों से मुलाकातें,
बेबाक और बेफिक्र हंसी,
मस्ती से भरी ज़िन्दगी,
क्या लौट कर आएंगे,
वो पुराने दिन, वो सुहाने दिन।।
वो गर्मियों में बारिश में खेलना,
वो सर्दियों में दोस्तों संग धूप सेकना,
गर्मियों में भुट्टे का आनंद लेना,
सर्दियों में छत पर मूंगफली की दावत करना,
क्या लौट कर आएंगे,
वो पुराने दिन, वो सुहाने दिन।।
🙏
आस्था सिंघल
(स्वरचित)