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मकर संक्रांति

14 जनवरी 2022

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73
रचनाएँ
चंद कविताएं
5.0
कविता जो जन्म लेती है अंतर्मन में विचार रूपी बीज से कवि उसे धारण करता है भावनाओं के गर्भ में समय के साथ पोषित होती है और विकसित होते हैं उसके कोमल अंग छंद , अलंकार , रस और श्रृंगार फिर किसी स्याह रात में जन्म लेती है नवजात कविता..
1

गांव की माटी

17 दिसम्बर 2021
29
10
7

<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>बरसे मेघा उमड़े बादल </b></i><br> <i><b>चली हवा मस्तानी </b></i>

2

मंजिल

19 दिसम्बर 2021
9
5
3

<div align="left"><div align="left"><p dir="ltr"><b><i>इस विशद विश्व प्रहार में </i></b><br> <b><i>क

3

क्यों सब कुछ बदला?

21 दिसम्बर 2021
12
7
3

<div align="left"><p dir="ltr"><b><i>क्यों छोड़ आया था मैं </i></b><br> <b><i>सरहदें जमीं को समुद्र

4

कैसा मंजर

21 दिसम्बर 2021
9
6
4

<div align="left"><p dir="ltr"><b><i>आज यह कैसा मंजर देखा </i></b><br> <b><i>सपने में अपनी मौत को कर

5

कन्यादान

22 दिसम्बर 2021
10
4
1

<div><span style="font-size: 16px;">बाबुल के अँगने में</span></div><div><span style="font-size: 16px

6

तूफान ए मंजर

22 दिसम्बर 2021
5
4
4

<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>मुस्कुरा रहे हैं चोट खाकर </b></i><br> <i><b>जाने क्या वो दिखला

7

मेरी काव्या

22 दिसम्बर 2021
5
2
3

<div align="left"><p dir="ltr"><b><i>वो जानती है शख्सियत मेरी </i></b><br> <b><i>इसलिए वह मुझे मानती

8

आईना

23 दिसम्बर 2021
3
2
1

<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>आइना कहता झूठ </b></i><br> <i><b>जो देखना चाहे वह दिखलाए

9

आईना

23 दिसम्बर 2021
7
4
2

<div align="left"><p dir="ltr">🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀<br> कभी साथ बैठो<br> तो कहूँ कि दर्द क्या है.....<br>

10

तुलसी पूजन

25 दिसम्बर 2021
7
4
3

<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>प्रेम बनकर आंगन की तुलसी </b></i><br> <i><b>विशुद्ध बनाए हैं </

11

ऐ दिसंबर

25 दिसम्बर 2021
3
4
3

<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>नमन दिल से करूं </b></i><i><b>ऐ दिसंबर</b></i><br> <i><b>तुम जा

12

सपना

26 दिसम्बर 2021
3
3
2

<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>देखा एक अजीब सा सपना</b></i><br> <i><b>रातों की नींदों में सोकर

13

खिलखिलाती सुबह

27 दिसम्बर 2021
7
4
3

<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>नजाकत और महक मिलती है</b></i><br> <i><b>फूलों की गलियों में </b

14

दोस्त

28 दिसम्बर 2021
6
3
2

<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>उनके जैसा दोस्त मिल जाए जिसे जीवन में </b></i><br> <i><b>वो हो

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प्रकृति

29 दिसम्बर 2021
4
3
3

<p dir="ltr"><b><i>हमने प्रकृति की गोद में जन्म लिया है</i></b><br> <b><i>या यह कहें प्रकृति ने हमें

16

वो दिन

30 दिसम्बर 2021
3
2
2

<div align="left"><p dir="ltr"><b><i>वो भी क्या दिन थे , </i></b><br> <b><i>जब मैं खूब हँसती मुस्कात

17

एक पश्चाताप

30 दिसम्बर 2021
4
4
0

<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>एक पश्चाताप सा मन में उठता है</b></i><br> <i><b>जब वह लम्हा याद

18

आखरी रात

31 दिसम्बर 2021
3
2
2

<div align="left"><p dir="ltr"><b><i>ओ आखरी रात </i></b><br> <b><i>तू कहाँ को चली </i></b><br> <b><i

19

नव वर्ष 

1 जनवरी 2022
2
2
0

<div><span style="font-size: 1em;">*मुझ पर मित्रो का प्यार,*</span></div><div><span style="font-size: 16px;"> *यूँ ही उधार रहने दो ।*</span></div><div><span style="font-size: 16px;"> &nbsp

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उनके जैसा दोस्त 

1 जनवरी 2022
3
3
2

<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>उनके जैसा दोस्त मिल जाए जिसे जीवन में </b></i><br> <i><b>वो हो नहीं सकते कभी मायूस जीवन में </b></i><br> <i><b>नहीं होती जिन्हें आदत गिले-शिकवे सुनाने की </b></i><

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सूर्यास्त आया

3 जनवरी 2022
3
2
3

सूर्यास्त आया मेरे हृदय के पास आया खिल उठी प्रेम कली वसंती निःश्वास आया..... मदिर सुवास लिये अधर सुहास लिये सुगंधि बास लिये मधुर विलास लिये काम रति के पास आया मधुर मदिर सूर्यास्त आया... आओ हम भी पास आयें बाँह की कस लें कपाएँ देह की सिगड़ी जलायें अधर चुम्बित थरथरायें मन में मनसिज जगमगाया मधुर सूर्यास्त आया...... सूर्यास्त आया मिलन का सन्देश लाया नेह के नवल किसलय सुख सरस सा साथ लाया सूर्यास्त आया.......

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पतवार

3 जनवरी 2022
6
4
4

माँझी ले लो अब पतवार चलत चलत जग में थक गयो थक्यो मन के द्वार ना कछु जग में मिलिया लगें नीरस जीवन औ सारे घर संसार काश्ती भी देखी धार भी देखा साहिल कोसों पार समझ समझ के थक गयो केहु ना खेवनहार बाकी ना रहियो कुछ सोचन को ना बच्यो कुछ तोहै दिखावन को पीड़ा अपरंपार ताहि सोचं तेरे शरण में आयो ले लो अब पतवार हे माँझी ले लो अब पतवार....

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प्रभु

5 जनवरी 2022
1
2
1

अन्न दान क्षुधा पीड़ित को जलदान करो पिपासित को राह दिखा भूले भटके को ज्ञानदान -अज्ञानी को विद्या दान करो अनपढ़ को हर-लो दुख- दर्द बोलकर दो मीठे शब्द शोकातुर को बार-बार प्रभु कहते है मानव शरीर दिय

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जवाब मांगे युवा

5 जनवरी 2022
5
5
5

अगर भर्ती निकले तो इम्तहान नहीं, परीक्षा हो तो परिणाम नहीं, परिणाम निकले तो जॉइनिंग का नाम नहीं, आखिर क्यों युवाओ का सम्मान नहीं ? बहुत हो गया मजाक अब युवा मांगे हिसाब अब बात करो, संवाद करो दो

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माँ

6 जनवरी 2022
7
5
5

माँ मैं अब आपको समझने लगी हूँ आपके सारे कहे झूठ मैं पकड़ने लगी हूँ कोई चीज़ पसन्द होने पर भी मेरा मन नहीं है यह कहकर मना कर देना तुम लोग खा लेते हो तो मेरा पेट भर जाता है ऐसा कहकर अपनी फ

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निःशब्द

6 जनवरी 2022
4
3
3

बेटी एक शब्द ना बोल पाईं जब उसके पापा ने कहा बोझ हो तुम हमारे लिए लड़कियों को जन्म लेने के लिए हमारा ही घर मिला हैं वो मां एक शब्द ना बोल पाईं जब बेटी ने कहा आप कोई ढंग का सूट ही पहन लो मेरे दोस्त आ

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निःशब्द

8 जनवरी 2022
2
3
2

<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>बेटी एक शब्द ना बोल पाईं</b></i><br> <i><b>जब उसके पापा ने कहा</b></i><br> <i><b>बोझ हो तुम हमारे लिए</b></i><br> <i><b>लड़कियों को जन्म लेने के </b></i><br> <i><b

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अजब सी है यारी

8 जनवरी 2022
6
4
4

अजब सी है यारी हमारी कभी होती है कड़वी तो कभी फूल से भी प्यारी ज़िन्दगी के इन सालों में कुछ रिश्ते हैं ऐसे बुने जैसे काँटों में से हमने हैं फूल चुने यारों ने दी इस दिल को कुछ ऐसी खुशी जिसका रहेगा

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छोड़ चले

9 जनवरी 2022
4
4
1

अब छोड़ चले तेरी इस मोहब्बत को यहां कांटों के सिवा मिला कुछ नहीं.. करते रहे तमन्ना फलक तक तेरी तूने जख्मों से भर दी झोली मेरी.. जरूरत थी तुझे हमारे प्यार की शम्मा जलाती रही लबों से बुझा द

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नारी

9 जनवरी 2022
2
3
1

कहती है दुनिया अक्सर ये विद्रोही बहुत है वो नारी झूठी रश्मों में बाधित हो धारी तलवार है वो नारी जग का इस दस्तूर है ऐसा अबला नारी का कौन हुआ हो जाता शून्य वजूद है उसका जब जब जो भी मौन हुआ जो शिक्षि

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इतवार

9 जनवरी 2022
2
2
1

काम के बोझ से थक जाता है शरीर हर पल चिंताओं से घिरा रहता है दिमाग और फिर बेसब्री से होता है इंतज़ार कि जल्द से जल्द आ जाये इतवार सोचता हूँ कि इस बार इतवार को नही करूँगा कोई काम बस सारा दिन

32

हिंदी

9 जनवरी 2022
3
3
3

हिंदी तु भाग्यशाली जन-जन की परिभाषा मुख वाचाल क्या नेताओं को भी तुमसे आशा संस्कृत वृहद रूप जिसे जनमानस ने अपनाया समस्त भाषाओं को समेट अपने में एक नया रूप दिखलाया क्या शास्त्र क्या उपन्यास तेरी

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बेड़ियां

10 जनवरी 2022
1
2
1

बेड़ियां क्या होती हैं शायद एक तरह का बंधन हैं किसी ने लिखा मेरा सोलह श्रृंगार मेरी बेड़ी हैं नहीं मेरे सोलह श्रृंगार नहीं है बेड़ियां वो तो मेरी पहचान हैं मेरे कदमों में पायल मेरे होने का वजूद है म

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प्रेम

10 जनवरी 2022
3
2
1

ढाई अक्षर का शब्द है प्रेम पर व्याप्त हैं इसमें सारा संसार प्रेम तो केवल प्रेम है ना इसका कोई मोल ना ही कोई अंत हैं ये प्रेम तो अनंत है ये प्रेम तो आध्यात्मिक है राधा का कृष्ण से महादेव का पार्वती

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विदाई

11 जनवरी 2022
2
3
1

रक्त से रक्त कभी जुदा कहां होता है वह तो जीवनभर का ही नाता होता है तन अलग हो जाए भले ही लेकिन मन अंतिम सांस तक जुड़ा होता है अश्रु भरी आँखों से विदाई होती फिर भी बेटी तो हमेशा आँखों में समाई होत

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बलात्कार

12 जनवरी 2022
4
2
2

यह कैसी चीत्कार है कैसी दर्द भरी पुकार है इसमें वेदना अपार हैं करुण भरी आवाज है जिस्म पर झलकते खून के लाल दाग है कांप उठे दिल के भाव है तितलियाँ अब मौन है अब गुलशन उजाड़ है भंवरे गुंजायमान है रूह

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मकर संक्रांति

14 जनवरी 2022
1
1
0

लोहरी की लपटों में काटेंगी रातें तंग मकर संक्रांति का दिन आया बदली हवाएं अब उड़ेंगी पतंग आसमान का मौसम बदला चारों और उड़ती पतंगे कहीं लाल पीली तो मुक्त भाव में उड़ती रंग जैसे सतरंगी मकर

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कैसा प्यार 

14 जनवरी 2022
1
2
1

तुम ये कैसा प्यार करते हो बात बात पर तकरार करते हो बात करते हो छोड़ जाने की रुठ जाते हो बात बात पर मोहब्बत भी कमाल की करते हो नाराजगी भी बेशुमार करते हो लग न जाए जिस्म पर घाव कहीं तुम लफ्ज़ो से वार क

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आखिर क्या कसूर था 

14 जनवरी 2022
2
2
1

क्यों किया तूने ऐसा जला दिया मेरा चेहरा सुंदरता मेरी दागी कर दी पूरी मेरी बर्बादी कर दी मैं उस पल को कोसती हूं जब तेरी नजर मुझ पर पड़ी कितनी खुश थी मैं तेरी चाल से अनजान थी मां पापा की गुड़िया खुश

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बेईमान दिल

14 जनवरी 2022
3
3
2

अजीब है शाम डर सा समा रहा जाने क्यों ये दिल है बेईमान क्या वाकई फिक्र है उसे भी या है वह बेईमान शिद्दत ए इमान से पुकारती हूं मैं उसे अबभी क्या करूं उम्मीद मैं जो वो छोड़ गए लौट कर देखेंगे

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माता पिता के सपने

15 जनवरी 2022
2
2
1

जैसे पंछी तिनका तिनका जोड़ बनाए नीड़ जिसमें रहे उसके अपने हर पल हर शाख से चुन-चुन कर लाए बुनते हर दिन वे अपने सपने गर्मी धूप और ठंड, बरसात में भी रह वह नीड़ स्वच्छ कितना सुंदर देखो बनाए

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एक नारी

18 जनवरी 2022
2
2
0

कभी खुद से यूँ ही भागती दौड़ती सी मैं कभी अपने को खुद से ही जोड़ती सी मैं अपनों की छोटी से छोटी खुशियों के लिए बंद मुट्ठी को फैलाकर खोलती सी मैं आइने में अपना अक्स तलाशती सी मैं खुद को ढूँढ़ने अंतर्

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महावारी में

19 जनवरी 2022
3
1
1

समाज में पूर्वजों से चली आ रही एक रीती रिवाज़ में इसमें क्यों अपवित्र माना जाता है महिलाओं को महावारी में उस नारी की शक्ति झोंक दी जाती है इन दिनों में अशुद्ध कहकर आस्था तक रोक दी जाती है महाव

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वृक्षारोपण

22 जनवरी 2022
1
1
1

वृक्षारोपण कर करे ,उत्सव की शुरुआत , पर्यावरण की सुरक्षा ,सबसे पहली बात । 🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳 नदियाँ मुझसे कह रही,चुभता एक सवाल , कहाँ गया पर्यावरण, जीना हुआ मुहाल । 🌲🌲�

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मुस्कुराहट

24 जनवरी 2022
1
2
1

मुस्कुराहट दुर्लभ होती है यह व्यक्तित्व की पहचान होती है रिश्ते निभाने के लिए यह एक डोर की भांति होती है हमारे लिए कैसी भावनाएं हैं खून को बढ़ा देती है ये वजह न ढूंढो मुस्कुराने की भाग्य जब हर हाल में

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मातृभूमि

26 जनवरी 2022
0
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0

मातृभूमि की यही कहानी नित नव फल सूख रहे हैं स्वप्न हृदय के टूट रहे हैं उपवन कैसे अस्त व्यस्त हैं नहीं नज़र आता रंग धानी आज़ादी के अंकुर फूटे सत्य मार्ग से रिश्ते टटे भ्रष्टाचार कुरीति फैली है बढ़तो दिन

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तुम्हारे साथ

27 जनवरी 2022
2
3
1

तुम्हारे साथ न होने से समंदर के गहराई जैसा दर्द का एहसास सचमुच जीवन कितना उदास है तुम्हारे होने से आएगी वो संपूर्णता नीर पीने से जैसे तृप्त होती है प्यास ... तुम्हारे बिना क्यारी के ये

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मुस्कान

29 जनवरी 2022
1
1
0

मुस्कुराकर हर बाधा को जो हँस हँस जाता झेल जीवन का हर दुःख ही उसको लगता जैसे खेल मुस्काते बच्चे लगते हैं जैसे खिलते फूल महक रही है जिनके कारण इस धरती की धूल मुस्काने से खिल उठता है सारा ही परिवेश मु

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गुरुदेव

31 जनवरी 2022
0
1
0

मिलता है सच्चा सुख केवल गुरुदेव तुम्हारे चरणों में यह विनती है पलपल छिन छिन रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में मिलता है सच्चा सुख केवल गुरुदेव तुम्हारे चरणों में चाहे संकट ने आ घेरा हो चाहे चारों ओर अ

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एक नयी शुरुआत

10 फरवरी 2022
2
3
2

ए जिन्दगी एक नयी शुरुआत करते हैं तुझे कुछ और भी ख़ास करते हैं साथ उनका छुटा तो गम नहीं प्यार जो मिला था वो तो कम नहीं चलो खुशियों की मिठास भरते हैं ये जिन्दगी एक नयी शुरुआत करते हैं कुछ बातें हो गई है

51

झूठ

12 फरवरी 2022
3
4
3

तु झूठ बोल रहा बड़े सलीक़े से मैं एतबार न करती तो और क्या करती मैं तेरी हर बात पर भरोसा करती थी तेरी बताई बात को मैं तेरी आँखों से जान लेती थी लेकिन फिर भी मैं तेरे झूठ को सच मान लेती थ

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बचपन

17 फरवरी 2022
1
1
0

मेरे घर की बहुत याद आती है मुझे ख़्वाब में माँ रोज बुलाती है मुझे..... जब कभी भी बहुत थक जाती थी माँ हाथों से अपने खाना खिलाती थी मुझे..... दिन बचपन के बहुत याद आते हैं माँ अपनी गोद में सिर रखकर सुलात

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बेटी 

5 मार्च 2022
5
4
2

वो हंसती है तो घर में बहार आती है उसकी खुशबू से कलियाँ झूम उठती है उसके होने से त्योहारों की रौनक बढती है क्यो कहते लोग बेटियां भार होती है पूछा जाये तो बेटी बिना ख़ुशीयां अधूरी होती है बेटी के होने से

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जीवन में एक दिन 

6 मार्च 2022
7
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5

जीवन के अनुबंधों की, तिलांजलि संबंधों की, टूटे मन के तारो की, फिर से नई कड़ी गढ़ना, जीवन में एक दिन तुम रामचरितमानस पढ़ना...... बेटी का धर्म निभाने को, पत्नी का मर्म सिखाने को, भाई का प्रेम बताने को,

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गुरुदेव की कृपा

11 मार्च 2022
5
4
2

सौभाग्य से गुरुदेव की ! जो शरण में आया !! गुरुदेव की कृपा से ! छुटी ममतामयी माया !! ममता के छद्म रूप में ! संसार भुलाना !! गुरुदेव की कृपा बिन ! मिलता न ठिकाना !! ममता में देह गेह से ! ही नेह लगाना !!

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तजुर्बा ज़िन्दगी का

14 मार्च 2022
4
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3

तजुर्बा ज़िन्दगी का विषय ज़िन्दगी क़िस्मत हर नई सुबह मानस पटल के लिए लेकर आती हैं इक कोरी स्लेट कभी हम तो कभी हमारे आसपास के लोग ना जाने कितने लिख देते है इस पर लेख बीते दिन महीने साल बढ़ती हुई स

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कुर्सी

15 मार्च 2022
4
4
1

वो जो एक कुर्सी है देखिए तो सिर्फ कुर्सी है अपनी ही जड़ों से कटी हुई कितने चीज़ों की मातमपूर्सी है वो जो एक कुर्सी है.. बाँट दिया मन्दिर मस्जिद बाँट दिया भगवान को कुछ तो रहम करो कुर्सीवालों मत ब

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हमसफ़र

17 मार्च 2022
4
5
2

जिनसे न मिलकर भीउनके होने का हो एहसासउम्र गुजारी किशोरीलिए मिलन की आसअनजाना चेहरा अनजाने विचारऔर होगी कुछ बातेंजाने कहां कैसे मिलोगेकैसे होगी वह मुलाकातेंसोचते हुए मन बिताबीत गए दिन रातमाता-पिता भी आस

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रंग रसिया

18 मार्च 2022
4
5
3

रंग रसिया बन छलिया काहे सताए मन बसिया होली खेले सब सखिया रंग उड़े उड़े गुलाल काहे भिगे मोरी अखियाँ भाए तोहे बस दो टकिया लाखों की तरसे है गुजरिया दरद ना जाने पीर न जाने माने ना तू मोरी बतिया उड़े

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केवल सुनाई गई

30 मार्च 2022
0
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उनकी कभी नहीं सुनी गई केवल सुनाई गई. उनके सवाल को लेकर उन्हें सुनाई गई. उनके जवाब को लेकर उन्हें सुनाई गई. उनके मिजाज को लेकर उनके लिबास को लेकर उनके ख्वाब को लेकर उन्हें सुनाई गई उन्हें विषय बनाकर

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प्रभु

1 अप्रैल 2022
2
2
1

बूंद पड़े घुल जाना है रहना नहीं देश वीराना है यह संसार कागज की पुड़िया बूंद पड़े घुल जाना है रहना नहीं देश वीराना है यह पूजा यह अर्चन हमें तेरा स्वरूप दिखाये आयोजन हो जब ऐसे स्वयं समय थम जाए स्वय

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संस्कार

2 अप्रैल 2022
5
5
1

संस्कारों के शोरों से बंधी है जिसमें केवल लड़कियां जकड़ी हैं अपने पहनावे का ख्याल रखना लड़की हो तुम हमारी लाज रखना घूरते हैं अगर तुम्हें लड़के तो चलना तुम जरा संभल के उनका कोई कुछ नहीं सकता बिगाड़ समा

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बेटियाँ

8 अप्रैल 2022
2
1
0

बेटियाँ हैं घबराई छोड़ो यह दरिंदगी छोड़ो यह हैवानियत बेटियाँ है सबकी दिखाओ थोड़ी इंसानियत जब लेती जन्म घर में तो बजती है शहनाई पर इन सब को देख वह रहती है घबराई तुम भी किसी के बेटे वह भी

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नजर अंदाज

18 अप्रैल 2022
0
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0

उन्हें हमने कितनी हिफाजत से पाल रखा है, तेरे लिए ही हमने खुद को संभाल रखा है.. क्या मेरा पैगाम पहुंचेगा तुम्हारी आंखों में नजर अंदाज करने का जो पर्दा डाल रखा है.. कुछ किए हुए वादों को तुम आज पूरा कर

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सब झूठ......

27 अप्रैल 2022
1
1
1

इस खत के जरिये तुम्हें एक फरमान कहते है हाँ हम प्यार इश्क़ को बेईमान कहते है यु तो कोई हमारी जान न ले सका और जो जान ले गया उसी को हम जान कहते है जिंदगी अपनी खुली किताब कर दी थी खता ये हुई कि मुहब्बत

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खत...

29 अप्रैल 2022
2
3
1

इस खत के जरिये तुम्हें एक फरमान कहते है हाँ हम प्यार इश्क़ को बेईमान कहते है यु तो कोई हमारी जान न ले सका और जो जान ले गया उसी को हम जान कहते है जिंदगी अपनी खुली किताब कर दी थी खता ये हुई कि मुहब्बत

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दोस्ती

3 अगस्त 2022
4
4
3

कहने को तो रिश्ते हजार है दिखावे का बाजार है मझधार से निकलने की जब आती बात है अक्सर कमाल के दोस्त होते साथ है लाख कोशिशें हासिल कुछ नहीं कर पाते सबकी नजरों में फिजूल गिर जाते फिर भी संग संग य

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हर घर तिरंगा 

14 अगस्त 2022
7
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2

हर घर तिरंगा फहराना हैहर घर तिरंगा लहराना हैचाहे कोई भी हो धर्म भाषाबनी रहे भाईचारे की आशाहम सब एक हैंयह जग में फैलाना हैघर-घर तिरंगा फहराना हैयह भारत की शान हैयह भारत का अभिमान हैतीन रंगों में बसा हि

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युवा भारत और बेरोजगारी

25 अगस्त 2022
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अगर भर्ती निकले तो इम्तहान नहीं, परीक्षा हो तो परिणाम नहीं, परिणाम निकले तो जॉइनिंग का नाम नहीं, आखिर क्यों युवाओ का सम्मान नहीं ? बहुत हो गया मजाक अब युवा मांगे हिसाब अब बात करो, संवाद करो दो

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हिंदी दिवस 

13 सितम्बर 2022
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हिन्दी है अपनी भाषा , एक सुंदर सपनों सी आशा, हिन्दी जैसा न दूसरा कोई , अंग्रेजी तो है सौतेली माई...... ✍✍✍✍✍✍✍ &nb

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अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस

1 अक्टूबर 2022
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बचपन बीता, बीती जवानी और बुढ़ापा छा रहा है दोस्त छूटे नौकरी खत्म पद और पैसों का भी नशा जा रहा है बचपन मां-बाप की गोद में तो जवानी बीती मस्ती में वह तो मौज थी जब रहते थे उनकी हस्ती में जैसे ही सा

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बेवफा प्यार

8 अक्टूबर 2022
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मैं तेरे बेवफा प्यार को समझ ना पाई क्यों किया तूने ऐसा जला दिया मेरा चेहरा सुंदरता मेरी दागी कर दी पूरी मेरी बर्बादी कर दी मैं उस पल को कोसती हूं जब तेरी नजर मुझ पर पड़ी कितनी खुश थी मैं तेरी चाल

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सुनहरी शाम

9 नवम्बर 2022
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ये मंज़र है अदाओं के बहकती कायनातों में, अरे ओ दिल मेरे तू चल मोहब्बत की हैं ये सुनहरी शाम। ये अपनी जिंदगी हम-दम तुम्हारी ही पनाहो में, बहुत

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