मैडिटेशन न सिर्फ हमे स्वस्थ रखने में सहायक है अपितु इंसान में एक्चुअल में कुश चमत्कारिक शक्तिया होती है वो भी केवल मैडिटेशन के द्वारा ही विकसित हो पति हैं. इंसान रियल में ही शक्तियों का मालिक होता है यदि जरूरत है तो उन्हें निखारने की.इसलिए सुबह ३:००ब्ज़े
आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में जब हर व्यक्ति किसी न किसी कारणवश तनाव में रहता है तो उसका सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ता है। यही तनाव व्यक्ति को बीमार या यूं कहें कि बहुत बीमार बनाने के लिए काफी है। दवाईयों के सहारे खुशहाल जीवन नहीं व्यतीत किया जा सकता। इसलिए इन सभी परेशानियों से बचने का एक आसान और असरदार
एक माइंडफुलनेस तकनीक है जिसे मैं अब कई वर्षों से अभ्यास कर रहा हूं, और जब मैं यह कर सकता हूं, तो यह जादू की तरह है।अभ्यास अहंकार को गिरा रहा है – मेरी आत्म-चिंता को छोड़ रहा है, हर चीज से अलग होने की मेरी भावना और हर चीज के साथ पूर्णता
विपासना मैडिटेशन के पांच दिन हो चुके थे और अब सुबह चार बजे उठने में कोई दिक्कत नहीं थी. अधिष्ठान में लगातार बिना हिले जुले बैठने में भी अभ्यस्त हो गए थे. वैसे भी तो ये बात कहते तो किससे कहते ? बोलती तो बंद थी पांच दिनों से ! देख लीजिये
मैडिटेशन सीखने का पांचवां दिन आ गया. पद्मासन, या आलथी पालथी या चौकड़ी लगाकर, कमर गर्दन सीधी रखकर सांस पर ध्यान देना है और फिर अपनी काया पर हो रही संवेदनाओं को जानना है. सर से लेकर पैर तक और फिर पैर से लेकर सर तक. विभिन्न अंगों में विभिन्न तर
विपासना शिविर की तीसरी शाम को गोयनका जी के एक घंटे के वीडियो प्रवचन में साधकों के मन में उठे सवालों की चर्चा की गई और समझाया गया. जैसा की रोज़ होता है उसी प्रवचन में अगले दिन की रूप रेखा भी बता दी गई. चौ