घर-घर रो खाणौं पड़े आटो
घाट -घाट रो पिणौं पड़े पाणी
जद कोई भायला
मन मे ऊपजै एक नवी कहानी
कोई मानें कोई मनावैं
कोई मारे भायला लात
जद मन मे टस लेती
ऊपजै एक नवी बात
कोई हंसावै कोई रुलावै
कोई भायला गणौ करे अत्याचार
जद मन मे ऊपजै एक नयो भिचार
भाईजी म्हारी कविता
आपरे मन मे छायगी
इण वास्ते मने आ एक
कविता और याद आयगी
मने हंसी जद आई
कोई मने कईयो ईता प्रसिद्ध कोनी थे भाई
में कईयो हालताईं किताबों में कोनी छपाई
म्हारा प्रणाम थे करज्यौं स्वीकार
म्हारा टुटीयोड़ा-फुटीयोड़ा शब्दों
रो करज्यौ थे पुरो उपचार
म्हारी आ है फरियाद
म्हारो संदेशों पढ़ आप
म्हानै देजौ आशीर्वाद
आपणौ छोटो राजस्थानी
----लेखक-----
भाई मंशीराम देवासी
बोरुन्दा जोधपुर
•--राजस्थान --•
📱 9730788167