में मंशीराम देवासी
लिखणों तो चाहूँ
म्हारी मायड़ भाषा मे
पण म्हारी मायड़ भौम
रा सपूतों ने तो बाचणौं
ई कोनी आवैं
जद 'वे म्हारी मायड़ भाषा रा
शबद बांचे
तो व्हाने युं लागे ऐ शबद
तो कोई अंतरिक्ष सुं आयोड़ा लागे
जद में भी सोचू
टेम घणो बदळगो लागे
मायड़ भौम रा सपूत
मायड़ भाषा ने भुल
अंग्रेजी रे लारे भागे
पण सच्चाई तो आ हैं
म्हारी मायड़ भाषा रे आगे
सायत थाणी आ
अलबली अंग्रेजी फिकी लागे
म्हारी एक अरदास हैं
में थानें युं कोनी कऊं
थे अंग्रेजी मत बोलो
में तो थाने युं कऊं
म्हारी मायड़ भाषा ने मत भूलो
मंशीराम देवासी कहे
में जाणु अंतरिक्ष रा तारा अपणा
हाथों सुं कोनी तुटें
पण म्हारी मायड़ भौम रा सपूतों
ने म्हारी मायड़ भाषा सुं देख अनजाण
म्हारो हियौ फूटे
घर रा देवता ने जद कैंवा
O my good
जद व्हे भी अपणे सुं रुटे
मंशीराम देवासी कहे
अपणी भाषा अर अपणी संस्कृति ने
अपा कोनी वापरा
तो पछे अपणी मान मनवार घटें
चौखो लागो रवे तो आगे शेयर करज्यौ
और भाईसणौ ने सुणाईज्यौ
मायड़ भाषा बोल अपणी
धोरा धरती रो रस- गाण बढाईज्यौ
आपरो छोटो राजस्थानी
----लेखक ----
भाई मंशीराम देवासी
देवासी सामङ
बोरुन्दा जोधपुर
राजस्थान ----
९७३०७८८१६७
----राम राम सा ----