यह बात नहीं है किसी लेख, कहानी अर कविता की,
यह तो बात है मेरे मन मे बहे रही सरिता की •---||
माथों नहीं ओ मटकों हैं,जो भरीजै अर पाछो खाली हो ज्यावै ,
अर पाछो भरीज जावै ।
अर मटको माथे पर तो चाहे खाली हो चाहे भरीयौ उण रो बोझ तो लागे ही हैं मटका रो भार तो निचो उतारीया ही कम होसी ,उण भांत ही भिचार सूँ माथो भरीज जावै जद बोझ महसूस होवै , अर पछै भिचार रुपी बोझ सूँ छुटकारो पाणे वास्ते लिखीत रुप में या मोखीख रुप मे भिचारों ने बहावणा पड़ै ,कहते हैं ना पानी को कोई मार्ग दिखाना नहीं पड़ता,आप म्हारा भिचार ग्रहण करें या ने करें,म्हारा भिचार स्वयं अपणो स्थान ढ़ुड लेवै ,अर उण माथे भिराजमान हो ज्यावै ,एक भाई मनै कईयौ मंशीराम संसार मे ज्ञानियों री कोई कमी नहीं है,घर -घर ज्ञानी बैठा है,क्यूँ काम धंधाऊँ खोटी रेवै हैं डोफा ,कांई मिलसी थनै ,
बस उण भाई रा शब्द सुण गहरी सोच मे डुबगौ ,
में सोचण लागो संसार मे ज्ञानियों री कोई कमी नहीं है तो •--
फिर मुझे ।।
यह लिखने का
यह सोचने का
भिचार करने का
समझने का
समझाने का
देखने का
दिखाने का
यह दुख - दर्द
सहन करने का
अवसर क्यूँ मिला है, और पछे में कईयौ भाई थू केवै कांई मिलसी थनै ,
ओ मिलीयो जको कांई कम है,
में लिखतो रहूँला भाई •--क्योंकि --•
जिन्दगी मे ब्हौत गम हैं •---
एक जणा रो सन्देश मिलीयौ मंशीराम
थारा लेख पढ़ लोग हंसी उडावै थारी ,
में कईयौ भाई •--
म्हारी कोशिश आईज हैं,
की जो हंस रहे हैं,,
उन्हें समझा दूं ,
और जो रो रहे हैं,,
उन्हें हंसना सिखा दूं ,,
हम सब की मंजिल एक हैं,,
लेकिन रास्ते अनेक
बस उन रास्तों को भी एक करदूं ,
और जब तक में देणै योग्य हूँ,
तब तक कोशिश करतौ रहूँळा ,,
सब जणा ने खुशियों रो भेट दूं,
दुख दर्द रो लफड़ो ही मेट दूं ,,
अब आप री अज्ञा होवै सा,,
फिर मिलागा •----
अपणी कोई नवीनतम रचना रे संग
राम -राम सा
लिखणीयों लिखारों भाजे ।
विचारणयों विचारों
घणी फुटरी -फुटरी बांता मंशीराम भी लिखे ,फिर भी नहीं समझ आवै तो कांई करें बिचारों ••||••
•-------विचारक
भाई मंशीराम देवासी
बोरुंदा जोधपुर
📱 9730788167