हा हा कार मचा हैं चारों ओर
आरक्षण की आग लगी है
अपनी आँखों से देख लों
अब तो सुरत भी जलने लगीं हैं
गुर्जर ,, पटेलो की बात नहीं
यह बीमारी सभी को लगने लगी हैं
उठ गया भरोसा ज्ञान से
अब मेहनत भी फीकी लगने लगी हैं
हा हा कार मचा हैं चारों ओर
आरक्षण की आग लगी है
आतंकवाद को तो देखा हमने
अब देशवासियों के दिल से दया मिटने लगी है
दुश्मनों की बात छोड़ो
अब अपनों के हाथों मे तलवार
नंगी हैं
कहें रहा मंशीराम देवासी
क्या होगा मेरे पवित्र भारत का
अब यह चिंता बढ़ने लगीं हैं
हा हा कार मचा हैं चारों ओर
आरक्षण की आग लगी है
गुजरात सक्षम हैं पटेल मेहनत करना सिख ले
क्यों गुजरात को मिटाने के लिए पूरी समाज पीछे लगी हैं
भर सकता तु पटेल पेट अपना सौराष्ट्र की भूमि पर
फिर क्यों खून बहा रहा तु अपनों का तुझे ऐसी कोनसी भूख लगी हैं
हा हा कार मचा हैं चारों ओर
आरक्षण की आग लगी है
अपनी आँखों से देख लों
अब तो सुरत भी जलने लगीं हैं
मंशीराम कहें मत मिटाओ तुम भारत को हम सब पछतायेगें
ऐसे ही लड़ते रहेगें आरक्षण के खातिर तो कैसे भारत को विश्वगुरु बनायेगें•-------
•------------विचारक
भाई मंशीराम देवासी
बोरुन्दा जोधपुर
राजस्थान
९७३०७८८१६७