बे धड़क एक बार फिर में आ रहा हूँ •--
अपनी खास नवीनतम रचनाओं के साथ •--
कुछ बनना चाहते हो तो रास्ते पर कदम बढ़ाते रहेना
जितना हो सके प्राप्त उतना करते रहेना
मेरी खूब रचनाएँ प्रस्तुत हैं
देश भक्ति पर,बदलती हुई संस्कृती पर,मायड़ भाषा वे भौम पर,किसानों वे मजदूरों पर,मानवता और जीवन शैली पर,नशा ,प्रकृति,ईश्वर की सबसे अनमोल देन-माँ -और भी अन्य --•--
सृष्टि से जुड़ी हर जानकारी का जिक्र करना चाहता हूँ
और मेरी गलतियों को सुधारने के लिये आपसे राय लेना चाहता हूँ
क्योंकि आपकी राय मेरा एक कदम और आगे बढ़ायेगी----
•---सिख मानवता री ---•
क्यूं थूं अपणे हाथों अपणे भाईड़ा रो लोई बहावै
क्यूं थूँ अपणे शरीर रो घमंड दिखावै
सोचले अगर थूँ दूसरों रे जिन्दगी मे जाल बिछावेला
एक दिन थूं खुद कोई रे बिछायोड़ा जाल मे फस जावेला
ऐसों कोई काम कर जो धरती पर थारो नाम होवै
बिन फालतु मे क्यूं इण अनमोल जीवन ने गमावै
जो रक्षण करें आन्धी तूफानों मैं
क्यूं आग लगावे थूं उण घर मैं
छेल भणके कब तक जिन्दगी छलकावेला
समय रो चक्र चालू है एक दिन बुढापो आवेला
कंठा मे स्मरण करले भाई थूं हरी रो नाम
बुढापा मे आवेला थारे ओ दवाई रूपी काम
राजस्थान री पवित्र धरा री में थाने कांई कांई बात बताऊँ
थे तो सब जाणो हो करमा अर मिरा री भक्ति रा में कांई गित सुणाऊँ
आप सूँ अनुरोध करु म्हारे शब्दों ने सम्भालजो जिण सूँ में
मंशीराम देवासी आज रो छोटों बालक काले रो कवि बन जाऊँ
~~~विचारक~~~
भाई मंशीरामदेवासी
बोरुन्दा जोधपुर
••9730788167••