जन -जीवन
सुना है पण सुन्दर है,
म्हारे गांव रा कांकड़
मोकळा जिनावर रैवे,
डाल-डाल फांके मांकड़
मोटिहारा रो कांई कैवणौ,
नेन्हा-नेन्हा टाबर हैं धाकड़
सुबह -शाम रे कलेवा मे,
जिमे अठे बाजरा रो खिचड़
प्याला भर-भर पिवै अठे,
घणौ सवाध्दिष्ठ लागै राबड़
राजस्थान रे राज्य पशु,
ऊंट री गणी लम्बी गाबड़
धीरज सूँ सब काम कर,
कांई होवैला करियां बड़बड़
हर काम मे ईमानदारी राख,
मत करज्यें थूँ कोई गड़बड़
बड़भागी हो थे सगळा,
टाबरा सूँ भरिया थाणा गवांड़
बेटा ने थे रतन मानौ,
पण बेटी कांई करियो थाणो उजाड़
बेटी ने थे बेटा सूँ कम ना जाणो,
कहें मंशीराम देवासी सामङ
खानदानी धंधो हैं म्हाणो,
इण वास्ते चरावा में ऐवड़
म्हारी हर कविता रो सहयोग करें,
कवि श्री दलपत सिंह जी सेवड़
शायद कुछ शब्दों को समझने मे आपको अबखाई(तकलीफ)होगी इण वास्ते आपरी मदद करने के लिये इन शब्दों को शुद्ध रूप मे प्रस्तुत करता हूँ •----------
कांकड़==खुला जंगल
मांकड़==बन्दर
धाकड़==खतरनाक
खिचड़==बाजरी से बनाया गया एक पौष्टिक आहार (खिचड़ी)
राबड़==छाछ और आटे के मिश्रण से बनाया गया घोल जो मुख्य रूप से राजस्थान प्रान्त मे ही बनाया जाता हैं शुद्ध रूप (राबड़ी)
गाबड़==गर्दन
बड़बड़==चिड़चिड़ापन क्रोध करना
गड़बड़==घोटाला
गवांड़==घर के आस पास की जगह शुद्ध रूप (गवाड़ी)बाऊन्ड्री
उजाड़==नुकसान
सामङ ==देवासी समाज की उच्चतम गोत्र
ऐवड़==बहुत सारी भेड़ो का समूह
सेवड़==राजपुरोहित समाज की उच्चतम गोत्र
जन-जीवन सूँ जुड़ी आ कविता किकर लागी
कांई म्हारे विचारों री ऐ कड़ियां आपने दाय आगी
अगर चोखी लागी रेवै आगे शेयर करज्यौं
और कोई गलती होवै तो आप मैनें आपरे विचारों सूँ अवगत कराईज्यौं
•----------लिखारा-----------•
भाई मंशीराम देवासी
बोरुन्दा जोधपुर
9730788167
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