हर अंगना हर द्वार - द्वार हर हिये !
ज्योर्तिमय हो जग में मिट्टी के दीये !
अमावस्या के श्यामपट्ट पर फैलायें !
ज्योतिकलश बन जो सारा तम पियें !
आशाओं के अगनित स्वरों को लियें !
हर दिशा में प्रकाशमान मिट्टी के दीये !
वायु के विप्लव वेग से न भयभीत हो !
प्रखर प्रज्वलित ज्योति बन जो जलें !
निर्भीक निडर नि:छल कितने है भले !
सारे जग को रोशन करने घर से चले !
हर अंगना हर द्वार - द्वार हर हिये !
ज्योर्तिमय हो जग में मिट्टी के दीये !