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नैतिक शिक्षा

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शेर और चूहागर्मी का दिन था और एक शेर अपनी गुफा में झपकी ले रहा था। अचानक एक चूहा गलती से उसकी नाक पर चढ़ गया और शेर जैसे खतरनाक जानवर को जगा दिया। शेर को बहुत गुस्सा आया। शेर अपने पंजे के नीचे चूहे को

ऊंट और गीदड़ एक जंगल में ऊंट और गीदड़ रहते थे। वे पक्के मित्र थे। ऊंट सीधा - सादा तथा गीदड़ बहुत दुष्ट था। गीदड़ ने कहा, "कि पास में एक मीठे गन्ने का खेत है, आओ गन्ने खाने चलें।" ऊंट बोला, "अगर खेत के

लोमड़ी और कौवाएक समय एक लड़का पनीर खा रहा था, कि एक कौवा उड़कर कहीं से आया और लड़के के हाथ से पनीर का टुकड़ा झपट कर तेजी से एक वृक्ष के ऊपर जा बैठा, और मजे से पनीर खाने लगा। तभी एक लोमड़ी उधर से गुजरी

दो पड़ोसीएक गांव में दो पड़ोसी थे। दोनों में गहरी दोस्ती भी थी। दोनों के पास अपने - अपने बागान थे और वे उनमें तरह - तरह के फलों के पौधे उगाते थे। यही बागान उनकी जीविका के साधन थे। उनमें से एक पड़ोसी ब

10 संचारी रोगदस एकम दस, संचारी रोग रोको बस।दस दूनी बीस, मलेरिया, चेचक इसमें शामिल।।दस तिया तीस, डेंगू, डायरिया आते सामूहिक।दस चौक चालीस, सफाई रखो खालिस ।।दस पंचे पचास, रोकथाम का करो प्रयास।दस छंग साठ,

09 आत्मविश्वासनौ एकम नौ, खुद पर भरोसा करो।नौ दूनी अट्ठारह, इरादा मज़बूत हमारा ।।नौ तिया सत्ताईस, हिचको नहीं भाई।नौ चौक छत्तीस, सफलता हो सुनिश्चित ।।नौ पंजे पैंतालीस, सब होते प्रभावित।नौ छंग चौबन, सफल

08 ट्रैफिक नियमआठ एकम आठ, ट्रैफ़िक नियमों का यह पाठ।आठ दूनी सोलह, चलो साइड से अपनी राह ।।आठ तिया चौबीस, मत करो गति पर रीस।आठ चौक बत्तीस, काग़जों की होगी तफ़्तीस ।।आठ पंजे चालीस, सीट बेल्ट को कहती पुलि

07 ईमानदारीसात एकम सात, ईमान का दो साथ।सात दूनी चौदह, करो सच्चा सौदा ।।सात तिया इक्कीस, बेईमानी गन्दी चीज़ ।सात चौक अट्ठाइस, कम रखो ख्वाहिश ।।सात पंजे पैंतीस, मेहनत करो तुम नित।सात छंग बयालिस, सोना बन

06 धैर्यछः एकम छः, धैर्य से काम ले।छः दूनी बारह, धैर्य का बोलबाला।।छः तिया अठारह, जीवन बनता प्यारा।छः चौक चौबीस, सब्र तू रखना सीख ।।छः पंजे तीस, तुम बनो धीर।छः छंग छत्तीस, करे दृढ़ता चारित्रिक ।।छः सत

05 सत्यनिष्ठापाँच एकम पाँच, नहीं साँच को आँच ।पाँच दूनी दस, सदा झूठ से बच।।पाँच तिया पन्द्रह, बनो न्याय प्रिय। पाँच चौक बीस, ईमानदारी को मिलती तरजीह ।।पाँच पंजे पच्चीस, सत्य की होती जीत।पाँच छंग

04 सन्तोषचार एकम चार, सन्तोष जीवन का सार।चार दूनी आठ, सुख की इकलौती गांठ ।।चार तिया बारह, भूल जाएं दुःख सारा।चार चौक सोलह, भरो पूण्य से झोला ।।चार पंजे बीस, मत करो किसी से रीस। चार छंग चौबीस, उठा

03 अनुशासनतीन एकम तीन, न बन अनुशासनहीन।तीन दूनी छः, समयबद्ध रह ।।तीन तिया नौ, देरी से काम क्यों।तीन चौक बारह, नियम हमको प्यारा ।।तीन पंजे पन्द्रह, नियमों से बंध जा।तीन छंग अट्ठारह, सफल जीवन हमारा।।तीन

02 स्वच्छतादो एकम दो, हाथ रगड़कर धो।दो दूनी चार, सफाई से कर प्यार ।।दो तिया छः, साफ कपड़ों में रह।दो चौक आठ, सफाई का पढ़ पाठ।।दो पंजे दस, नाखून साफ रख।दो छंग बारह, स्वच्छ घर हमारा ।।दो सत्ते चौदह, घर

01 नेकीएक एकम एक, नेक बनो भई नेक।एक दूनी दो, न बुरा कहो - न सुनो।।एक तिया तीन, परोपकार में हो लीन।एक चौक चार, अच्छा रखो व्यवहार ।।एक पंजे पाँच, अच्छाई को नहीं आँच ।एक छंग छः, सबसे मिलकर रह।।एक सत्ते स

प्यासा कौआएक बार की बात है किसी जंगल में एक कौआ रहता था। एक दिन उसे बड़ी जोर से प्यास लगी । वह पानी की तलाश में वह बहुत दूर तक उड़ता रहा, परन्तु कहीं भी उसे पानी नहीं मिला। जब वह बहुत थक गया तो उसे आख

बालक... मां में पढ़ने को जाऊँगा। छुट्टी होने पर आऊँगा।। गीत वीरता के गाऊँगा। वीर बहादुर कहलाऊँगा।।

सेब... सभी फलों में सेब हे न्यारा। लाल गाल सा प्यारा - प्यारा।। एक सेब जो रोज़ है खाता। डॉक्टर को वह दूर भगाता ।। मम्मी मुझको सेब दिला दो। वरना एप्पल जूस पिला दो।।

कार... मेरी प्यारी - प्यारी कार । नहीं कभी रहती बेकार ।। पापा को दफ़्तर ले जाती । और शाम को घर ले आती ।। छुट्टी के दिन हम सबको यह । पिकनिक के है मज़े दिलाती ।।

बन्दर... बन्दर आया, बन्दर आया। मदारी के संग बन्दर आया।। खोः खोः करके हमें डराये। मुँह पिचकाय, कभी खुजाये।। शीशा देखे टोपी पहने। बन्दरिया ने भी पहने गहने।।

गाय... प्यारी प्यारी गाय हमारी, दूध हमें ये देती है। इसके बदले में केवल बस, चारा-पानी लेती है। इसके बछड़े बेल बनते हैं, खेत में हल चलाते हैं। उनकी ही मेहनत से फिर,&n

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