मोहब्बत का कोई रंग नही फिर भी वो रंगीन है,प्यार का कोई चेहरा नही फिर भी वो हसीन हैं !
एक दर्द है जो दिल से जाता नहीं यही वजह है कि हमें तेरी याद आती है लो सुबह आ गई, तू रातभर रुलाती रही बेखुदी में ही ये रात भी कट जाती है…
5 आपकी नयी सुबह इतनी सुहानी हो जाये, दुखों की सारी बातें आपकी पुरानी हो जायें, दे जाये इतनी खुशियां यह नया दिन, कि ख़ुशी भी आपकी दीवानी हो जाये।
सूरज निकलने का वक़्त हो गया, फूल खिलने का वक़्त हो गया, मीठी नींद से जागो मेरे दोस्त, सपने हक़ीकत में लाने का वक़्त हो गया !!
गुलाब खिलते रहे ज़िंदगी की राह् में, हँसी चमकती रहे आप कि निगाह में. खुशी कि लहर मिलें हर कदम पर आपको, देता हे ये दिल दुआ बार–बार आपको.
तमन्ना करते हो जिन खुशियों की, दुआ है वह खुशिया आपके कदमो मे हो, खुदा आपको वह सब हक़ीक़त मे दे, जो कुछ आपके सपनो में हो.
सुबह का हर पल ज़िंदगी दे आपको, दिन का हर लम्हा खुशी दे आपको, जहा गम की हवा छू कर भी न गुज़रे, खुदा वो जन्नत से ज़मीन दे आपको.
??..ईवीएस कक्षा में बच्चों के साथ संवाद के अनुभव ..... “स्कुल में आने के शुरूआती समय में कुछ समय प्राइमरी कक्षाओं में बच्चों के साथ ईवीएस विषय में काम किया था. उन दिनों के मेरे अनुभव ये रहे थे कि प्
1) सब रोड पर किसी भी ठेले पर खा लेते हैं , किसी भी रेस्टौरेंट मे खा लेते , किसी भी होटल मे ठहर जाते । 2) किसी भी बस मे किसी के भी पास बैठ जाते । 3) तीरथों मे सारी जाती के लोग जाते हैं लाइन मे
कुछ महीने अमेरिका में अपनी बड़ी बेटी सुरभि के पास रहने के पश्चात संदीप शर्मा एवं पत्नी सुलेखा इंडिया लौट आए थे ।अमेरिका की भव्यता भी घायल ह्रदय में कोई रंग न भर सकी थी । मन में सुकून न हो तो महकी बगिय
आश्रम की भूमि पूजन समारोह के पश्चात । सुनीता-विला की वह बूँदों भरी शाम, जब किसी ने सदानंद से २५वर्षों के संचित, ब्रह्मचर्य त्याग की याचना की थी । एक ऐसे त्याग की याचना जो उसकी साधना की संचित पूँजी थी
जबलपुर का फुहारा चौक । त्रिपुरा कांग्रेस अधिवेशन का स्मृति-द्वार (सुभाष चन्द्र बोस ने 1939 में कांग्रेस से इस अधिवेशन में त्याग पत्र दिया था) सिर उठाये खड़ा है । इसी फुहारा चौक में १०-१२ साइकिलों पर
जबलपुर के आधार-ताल का वह मकान जो कभी दो बुलबुलों की मीठी तान से महका करता था, आज ख़ाली पिंजरे सा तन्हाई के आग़ोश में डूबा है । इस समय मकान की बालकनी में घर के स्वामी पति-पत्नी एकाकी से बैठे हैं । संद
राइट-टाउन का सुनीता-विला नाम का वह मकान जो कपिल अवस्थी के सच्चिदानंद बनने के पश्चात से वीरानी का दंश झेल रहा था, आज पुनः आबाद हो गया है । दिन के १२ बजे सुनीता-विला के आगे टैक्सी रुकी।कपिल अवस्थी के लि
शहर की हवाओं में एक सन्नाटा सा पसरा है। लोकतंत्र जेलों में बंद है। लोकतंत्र के स्तंभ रेडियो और प्रेस पर ताला जड़ा है।ऐसे में लमहेटा घाट से सटा परमानंद आश्रम भला कैसे अछूता रह सकता था। कुछ दिन पहले ही
जबलपुर भीषण गर्मी से तप रहा है। आज नौ- तपा का पहला दिन है। नौ-तपा अर्थात् झुलसा देने वाली गर्मी के वह नौ दिन जिनमें पारा ४५ डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार करता प्रतीत होता है। नौ-तपा झुलसाता है पर आस
मुख्य शहर से १६-१७ किलोमीटर दूर ,नर्मदा के लमहेटा घाट से २ किलोमीटर दूर स्थित परमानंद आश्रम एक बड़े भू-भाग में फैला है। साधकों के लिए साधना का उपयुक्त वातावरण प्रदान करने वाली, प्रदेश की प्रमुख आध्यात
मैं दुंदभि हूं मैं नगाड़ा हूं देवालयों का सहारा हूं। चोट खाकर तन पर अपने मनमोहक स्वर उगलता हूँ। कलयुग में हूँ अपाहिज संस्कार-संस्कृति से जुड़ा हूं। सदैव रहता हूं संग-साथी के प्रेम-प्यार
मन कचोटता रहता है क्या लिखूँ-क्या लिखूँ अंतस में सोचता रहता है। यथार्थ लिखने से डरता है अंदर ही अंदर घुटा रहता है। परिधि पार करेगी जब घुटन-टूटन, वेदना-संवेदना फूटेगा तब हृदय-नासूर उछल-
आओ जीवन का लक्ष्य बनाएं पर्यावरण को मिलजुल बचाएं। सबका ध्येय पर्यावरण बचाना वृक्ष लगाना प्रदूषण भगाना। जल, वायु, मिट्टी बचाना रोग मुक्त जीवन बनाना। प्रकृति का रक्षण करके स्वच्छ वातावरण बन