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नैतिक

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"जैसे पतंग उड़ नहीं पातींअपनी डोर के बिना, वैसे ही मेरी जिंदगी भी अधूरी है आपके बिना..."-दिनेश कुमार कीर

आँखे हँसती हैं, मग़र दिल ये रोता है,जिसे हम अपनी मंजिल समझते हैं,उसका हमसफ़र कोई और ही होता है... 

इधर उधर से रोज यूँ ना तोड़िए हमें,अगर खराब हैं तो फिर छोड़िये हमें... 

कितने खुबसूरत हुआ करते थेबचपन के वो दिन,सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से,दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी।

बगुला और केकडा एक वन प्रदेश में एक बहुत बडा तालाब था। हर प्रकार के जीवों के लिए उसमें भोजन सामग्री होने के कारण वहां नाना प्रकार के जीव, पक्षी, मछलियां, कछुए और केकडे आदि वास करते थे। पास में ही

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विश्व पर्यावरण दिवस~इन दिनों गांव में हूं। सुबह शवासन के दौरान जब आसमान की ओर देखा , नीला, स्वच्छ और निर्मल आसमान आंखों की खिड़की के सामने बदस्तूर पसरा पड़ा था । ऐसा जैसे कि वायुमंडल में किसी ने अभी अ

दिल से दिल तक, जब दिल पुकारे तो...हर दिल तक, दस्तक जाती है दिल की...

“Success की सबसे खास बात है की,वो मेहनत करने वालों पर फ़िदा हो जाती है I”

सच हमेशा फैसला करवाता है, मगर, झूठ व्यक्तियों में फासला करवाता है...

मोहब्बत का कोई रंग नही फिर भी वो रंगीन है,प्यार का कोई चेहरा नही फिर भी वो हसीन हैं !

एक दर्द है जो दिल से जाता नहीं यही वजह है कि हमें तेरी याद आती है लो सुबह आ गई, तू रातभर रुलाती रही बेखुदी में ही ये रात भी कट जाती है…

5 आपकी नयी सुबह इतनी सुहानी हो जाये, दुखों की सारी बातें आपकी पुरानी हो जायें, दे जाये इतनी खुशियां यह नया दिन, कि ख़ुशी भी आपकी दीवानी हो जाये।

सूरज निकलने का वक़्त हो गया, फूल खिलने का वक़्त हो गया, मीठी नींद से जागो मेरे दोस्त, सपने हक़ीकत में लाने का वक़्त हो गया !!

गुलाब खिलते रहे ज़िंदगी की राह् में, हँसी चमकती रहे आप कि निगाह में. खुशी कि लहर मिलें हर कदम पर आपको, देता हे ये दिल दुआ बार–बार आपको.

तमन्ना करते हो जिन खुशियों की, दुआ है वह खुशिया आपके कदमो मे हो, खुदा आपको वह सब हक़ीक़त मे दे, जो कुछ आपके सपनो में हो.

सुबह का हर पल ज़िंदगी दे आपको, दिन का हर लम्हा खुशी दे आपको, जहा गम की हवा छू कर भी न गुज़रे, खुदा वो जन्नत से ज़मीन दे आपको.

??..ईवीएस कक्षा में बच्चों के साथ संवाद के अनुभव .....  “स्कुल में आने के शुरूआती समय में कुछ समय प्राइमरी कक्षाओं में बच्चों के साथ ईवीएस विषय में काम किया था. उन दिनों के मेरे अनुभव ये रहे थे कि प्

1) सब रोड पर किसी भी ठेले पर खा लेते हैं  , किसी भी रेस्टौरेंट मे खा लेते , किसी भी होटल मे ठहर जाते ।  2) किसी भी बस मे किसी के भी पास बैठ जाते ।  3) तीरथों मे सारी जाती के लोग जाते हैं लाइन मे

कुछ महीने अमेरिका में अपनी बड़ी बेटी सुरभि के पास रहने के पश्चात संदीप शर्मा एवं पत्नी सुलेखा इंडिया लौट आए थे ।अमेरिका की भव्यता भी घायल ह्रदय में कोई रंग न भर सकी थी । मन में सुकून न हो तो महकी बगिय

आश्रम की भूमि पूजन समारोह के पश्चात । सुनीता-विला की वह बूँदों भरी शाम, जब किसी ने सदानंद से २५वर्षों के संचित, ब्रह्मचर्य त्याग की याचना की थी । एक ऐसे त्याग की याचना जो उसकी साधना की संचित पूँजी थी

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