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आखिर उस “चायवाले” के व्यक्तित्व में ऐसा क्या विशेष है?

22 अक्टूबर 2024

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वर्ष 2014 से विपक्ष में बैठे बेरोजगारी का मातम मनाने वाले छदमधर्म-निरपेछतावादीयों और छदमउदारवादीयों के मस्तिष्क मेंअक्सर ही ये जिज्ञासा कौतूहल के साथ उत्पन्न होती है कि“आखिर उस “चायवाले” के व्यक्तित्व में ऐसा क्या विशेष है, जिसने भारत की जनता जनार्दन का विश्वाश- व भरोसा अपने साथ इस कदर बाँध लिया है कि उन्होंने किसीअन्य के बारे मे सोचना ही छोड़ दिया है! 

मित्रों, इस जिज्ञासा  को शांत करने के लिये, हमें पिछले 1000 वर्षो के गर्भ मे छिपे परतांत्रिक काल के कपाल पे दस्तक देना होगा! 

सनातन धर्मी राजावों के आपसी मनमुटाव, वैमनस्य व आपसी खींचतान का परिणाम मुगलिया सल्तनत के द्वारा झोंकी गयी लगभग ८०० वर्षो की गुलामी की जंजीरो से सनातन धर्मी समाज अभी उबरा ही नहीं था कि वर्ष 1680 में ईस्ट ईण्डीया कंपनी के रूप में व्यवसाय करने के उद्देश्य से आये “ब्रिटिश लूटेरो” ने भारत मे पल रही राजनितिक अव्यवस्था का लाभ उठाकर, ईसाइयों कासाम्राज्य अर्थात “ब्रिटिश राज” की स्थापना करदी! सनातनधर्मी व्यथितथे! मुगलो और ईसाइयों ने मिलकर सनातनधर्मीयों की सभ्यता, संस्कृति, भाषा व धार्मिक मापदण्डो का जबरदस्त प्रकार से मानमर्दन किया और उन्हें “हिन भावना से ग्रसित समाज” में ढाल दिया! 

उन्होने ना केवल सनातनधर्मीयोंके सांस्कृतिक विरासत और धरोहरो को नष्ट किया अपितु उनके ग्रंथो को अपने नामों से प्रकाशित कराकर संसार मे प्रसंशा बटोरी! यहाँ तक की सनातनधर्मी सम्राटों के द्वारा निर्मित किये गये विभिन्न भवनों ईत्यादी कोअपनी संस्कृति व सभ्यता के साथ जोड़कर उन्हें अपना नाम दिया और सनातनधर्मीयों के वास्तविक द्रोही वामपंथी ईतिहासकारों ने उनके मिथ्याअपवंचना, झूठ व प्रपंचको ईतिहास के   पन्नों में ढालकर एतिहासीक आवरण डाल दिया! 

खलिफत आंदोलन :- खलिफत आंदोलन को कुछ विचित्र मस्तिष्क वाले ईतिहासकारों ने जानबूझकर “खिलाफतआंदोलन” के रूप मे प्रचारित किया ईसे “Indian-Muslim-Movement(1919-1924) के नाम से भी जानते हैं, जिसे तुर्की में राज कर रहे “ओटोमन वंश” के खलीफा की खलीफत को बचाने के लिये शुरू किया गया था, अत: इससे सनातनधर्मी समाज व भारत की स्वतंत्रता आंदोलन से कोई सारोकार था, ईसकी संभावना दिखायी नहीं देती! मोहनदास करमचंद गाँधी व अन्य कांग्रेसीयों ने इस मुस्लिम आंदोलन को भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ने का असफल प्रयास किया परंतु वे नाकाम रहे! 

आंदोलन का परिणाम :- ये पूर्णतया विफल रहाऔर अंतिम झटका लगा, जब मुस्तफा कमल अतातुर्क @ पाशा ने स्वतंत्र तुर्की में एक प्रगतिशील व धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की स्थापना के लिये जनता के साथ मिलकर खलीफा के शासन को उखाड़ फेका!

केरल का मलाबार विद्रोह वर्ष 1921 में शुरू हुआ! प्रारंभिक अवस्था में तो ये मुस्लिम मोपलावों के द्वारा ईसाई अंग्रेजो के दमनकारी नितियों के विरूद्ध किया जानेवाला विद्रोह था, और इसे कांग्रेसी नेतावों  (महात्मा गांधी ईत्यादी) का भरपूर सहयोग था, परंतु शिघ्र ही खलिफत आंदोलन की विफलता उनके शीश पर चढ़ बैठी और फिर परिणाम निकला हजारो सनातनधर्मीयों  के कत्ल, उनकी औरतो व बच्चीयो के साथ कि गयी हैवानियत व जबरन धर्मपरिवर्तन केरूप में! यहाँ सनातनधर्मीयों ने स्वंय को निराशाजनक, असहाय,  दिशाहीन व किसी प्रभावी नेतृत्व केबगैर  वाली अवस्था मेपाया! 

पाकिस्तान आंदोलन /मुहम्मदअली जिन्ना  का “Direct Action Day”. :-  Burki, Shahid Javed (199) की पाकिस्तान में  सन 1986 मे प्रकाशित हुई ” Fifty Years of Nationhood (3 edition)” किताब के अनुसार पाकिस्तान आंदोलन की शुरूवात “अलीगढ़ आंदोलन” के रूप में हुयी और  “आल ईण्डिया मुस्लिम लीग” का गठन  1906 ई. में सर सैय्यद अहमद खान व कांग्रेस के सहयोग से किया गया जो  “पाकिस्तान आंदोलन” की शुरूआत का संकेत था! 

“Direct Action Day” :- तत्कालिन बंगालके गवर्नर सर फ्रेडरिक बरोज ( 1946) नें अपनी रिपोर्ट “Report to Viceroy Lord Wavell” The British Library IOR (L/P&J/8/655 f.f. 95, 96-107) में उद्धृत किया है कि 16अगस्त 1946 का दिन “कलकत्ता किलिंग”के नाम से जाना जाता है, उस दिन व्यापक पैमाने पर मुस्लिमो के द्वारा हिंदुवो के विरूद्ध दंगे की शुरूआत की  गयी थी बंगाल प्रांत के कलकत्ता शहर में! ईसको “द वीक ऑफ लांग नाईव्स” के नाम से भी जाना जाता है! एक बार पुन: बड़े ही सुनियोजित तरिके से कलकत्ता की धरती को हिंदुवो के खून से लालकर दिया! सभी कांग्रेसी नेता महात्मा गाँधी के साथ मिलकर तमाशा देख रहे थे! मुहम्मद अली जिन्ना और बंगाल के तत्कालिन मुख्यमंत्री हुसैन शहीद सोहराबवर्दी के नेतृत्व मे हिंदुवो की लाशे बिछायी जा रही थी व हैवानियत का नंगा नाच हो रहा था फिर एक सनातनधर्मी श्री गोपालचंद्र मुखोपाध्याय @गोपाल पाठा ने ईस हैवानियत के विरूद्ध शस्त्र उठाया और शैतानो को उन्ही की भाषा मे जवाब देना शुरू कर दिया और तब जाके महात्मा गाँधी ने अपने भूख हड़ताल का प्रयोग कर दंगो को शांत कराया।   

भारत का विभाजन व दंगे :- कांग्रेस व मुस्लिम लीग की मिलीभगतसे भारत का विभाजन धर्म के आधार  पर हुवा और 14 अगस्त 1947 ई. को पाकिस्तान अस्तित्व में आया! पाकिस्तान एक इस्लामिक राष्ट्र बन गया पर सनातनधर्मियों को उनका हिन्दू राष्ट्र नहीं मिला। पाकिस्तान में सनातनधर्मीयों विशेषकर दलितो परअत्याचार की हर सिमा को तोड़ डाला गया।पाकिस्तान से आने वाली रेलगाड़ीयां  सनातनधर्मीयों के लाशो से पटी रहती थी। जब तक पाकिस्तान मे हिंदुवो का कत्लेआम होता रहा, नातो किसी कांग्रेसी  को  कोई दर्द हुवा ना तथाकथित  पर जैसे ही हिंदुस्तानीयो ने शस्त्र उठाकर जवाब देना शुरू किया तब एक बार पुन: वह महात्मा भूख हड़ताल पर बैठ गए  और यही  नहीं  ये जानते हुये भी कि ये पाकिस्तानी हिंदुस्तान से मिले पैसो से असलहे खरिद कर हिंदुस्तान के विरूद्ध ही ईस्तेमाल करेंगे, उन्होंने  रू.50-55 करोड़ पाकिस्तान को दिलाये! यहाँ पर सनातनधर्मी पुन:एक बार स्वंय को ठगा महसूस करने लगा! उसे विभाजन के बाद भी अपने ही देश मे फिर से ठगने का कोशिश की जा रही थी! 

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात वर्ष १९४७ से लेकर २०१३ तक ( स्व. श्री लाल बहादुर शास्त्री, स्व. श्री पि. वि. नरसिम्हा  राव व स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के सरकारों को छोड़कर ) अन्य जितनी भी सरकारे बनि सबने मुस्लिम तुष्टिकरण की निति को अपनाया और सनातनधर्मियों को हमेशा जात पात में विभाजित करकेउनका दोहन किया! स्वतंत्रता के पश्चात हुवे सनातनधर्मियों केकत्ले आम की घटनाये कभी रुकी नहीं लगभग ४० से ज्यादा छोटे  बड़े दंगो की हैवानियत भरी घटनाये हो चुकी थी! 

५५ वर्ष राज करने वाली कांग्रेस की सरकारों ने केवल यही बताया कि :- १ :- विभाजनके बाद,  हॉवर्ड केअर्थशास्त्री व इंडिआ के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का स्पष्ट मानना था की “मुसलमानों का इस राष्ट्र की संपत्ति पर पहला अधिकार है”! २: – हिंदुओं ने भारत के इतिहास के निर्माण में कोई योगदान नहीं दियाहै। ३:- सनातन धर्म रूढ़िवादी, पिछड़ा हुवा और अन्य  मजहबों से बेकार है। ४:- सनातनधर्मियों को वास्तुकला की समझ नहीं। ५ :- हिंदुओं की तुलना में बाहर से आये लोगो का अधिक प्रभावी संस्कृति व्भाषा वाला समाज है। ६ :-हिन्दूकी सांस्कृतिक विरासत कई विकृति और असामाजिक नियमों और रीति-रिवाजों से भरी हुई है! ७ :- हिंदू समुदाय असभ्य समुदाय है। ८ :- हिंदुओं का विज्ञान और टेक्नोलोजी से कोई लेना-देना नहीं है। ९:- हिंदू न तो योग्य हैं और न ही भारत पर शासन करने में सक्षम हैं। हिंदुओं के विश्वास को नष्ट करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया और उन्हें एहसास दिलाया कि वे तीसरी श्रेणी के असभ्य समुदाय से संबंधित हैं! 

वर्ष 1999 से वर्ष 2013 तक हमारा देश भ्रष्टाचार में नंबर 1 देश बन गया।कांग्रेस पार्टी के कई सर्वोच्च नेताओं के साथ-साथ अन्य दलों ने खुद को भ्रष्टता में शामिल कर लिया। UPA1 और UPA2 भ्रष्टाचार के प्रतीक बन गए । ज्यादातर सरकारी कार्यालयों पर जघन्य असामाजिक तत्वों का कब्जा था, जो पूरे भारत में शासन कर रहे थे। शुद्ध सूर्य के प्रकाश को देखने की आशा पहले ही कूड़ेदान में फेंक दी गई थी। पूरा देश भ्रष्टाचार और भ्रष्ट नेताओं के अनुचित प्रभाव में था। इंडियन सोसाइटी के प्रत्येक क्षेत्र में छद्मधर्मनिरपेक्ष औरछद्म उदारवादियों को मुफ्त प्रवेश मिल चुका था और इसलिए उन्होंने भारतके भविष्य को अपने तरीके से लिखना शुरू कर दिया।संक्षेप में, यह कहा जा  सकता है कि हिंदू अपने ही देश में सरकारों द्वारा अत्यधिक ठगे गए।हिंदू सिर्फ कीड़े मकोड़ो की स्थिति में थे और किसी प्रकार जीवनयापन कररहे थे। 

ऐसे में सनातनधर्मियों को एक ऐसे व्यक्तित्व की तलाश थी:- जो उन्हें इस नैराश्य से विश्वाश की ओर ले जा सके; उनको उनकी विशेषता का अहसास करा   सके अंधकार से प्रकाश की और ले जा सके; असत्य व अधर्म  के मकड़जाल से निकालकर  सत्य और धर्म की राह दिखा सके; उनके मन की व्यथा, ह्रदय के संताप और वातावरण में व्याप्त व्याकुलता को अपने उच्चकोटि के सदव्यवहार से शांत कर सके; शैतान के भ्रष्टाचारी साम्राज्य का विध्वंश कर सके तथा माँ भारती को पुन: इन अत्याचारियों व्यभिचारियों और देशद्रोहियो से स्वतंत्र करा सके। 

और फिर गुजरात की धरती से एक सूर्य (उस “चायवाले“) का उदय हुआ और देखते ही देखते अपने “गुजरातमॉडल” वाले राजधर्म से सम्पूर्ण सनातनधर्मियों के मस्तक पर दस्तक देने लगा और सनातनधर्मियों ने भी इस अवसर को अपने दोनों हाथो से लिया और वर्ष २०१४ से लेकरआज तक वो उस व्यक्तित्व के साथ पूरे स्वाभिमान के साथ जुड़े है और सदैव जुड़े रहेंगे, क्योंकि ये जोड़ निस्वार्थ देश प्रेम, धर्म प्रेम व सांस्कृतिक व ऐतिहासिक अभिमान से प्रेरित है”। आज इस देश को ही नहीं परन्तु सम्पूर्ण विश्व को ये एहसास हो गया है की भारत में सनातनधर्मी भी रहते हैं, और अब वे संगठित व् एकजुटहै।  बस यही सच है, जिसे  विपक्ष समझ नहीं पा रहा है | "सत्यमेव जयते "             

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रचनाएँ
वो नहीं तो कौन ?
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मित्रों ये किताब उस व्यक्ति विशेष को समर्पित है जिसके सद्चरित्र, अनुशाशन, ईमानदारी, शांतिप्रियता, कर्मठता और अपने राष्ट्र और राष्ट्जनो के प्रति अथाह प्रेम और समर्पण का कायल सम्पूर्ण विश्व है | आप में से बहुत लोग मेरे विचार से असहमत हो सकते हैं परन्तु वर्तमान में भारत की स्थिति और विश्व के अन्य देशों की स्थिति का तुलनात्मक विशेलषण करने के पश्चात आपकी असहमति कुछ सिमा तक सहमति में परिवर्तित हो सकती है | हमारे शास्त्रों केअनुसार "विदेशेषु धनं विद्या व्यसनेषु धनं मति:। परलोके धनं धर्म: शीलं सर्वत्र वै धनम्॥" अर्थात विदेश में विद्या धन है, संकट में बुद्धि धन है, परलोक में धर्म धन है और शील(अच्छा चरित्र ) सर्वत्र ही धन है! इसी को चरितार्थ करता वो महापुरुष विश्व का सबसे लोकप्रिय जनप्रतिनिधि बन कर उभर चूका है| वृतं यत्नेन संरक्षेद वित्तमेति च याति च | अक्षीणो वित्ततः क्षीणो वृत्ततस्तु हतो हतः!" अर्थात चरित्र की यत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए। धन तो आता-जाता रहता है। धन के नष्ट होने पर भी चरित्र सुरक्षित रहता है, लेकिन चरित्र नष्ट होने पर सबकुछ नष्ट हो जाता है। और उस महापुरुष के पावन जीवन से इसी तथ्य की शिक्षा मिलती है | वो महा व्यक्तित्व जानता है कि "येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः । ते मृत्युलोके भुवि भारभूता, मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति! अत: वोअपने ज्ञान के प्रकाश से विश्व को रोशन करता है और अपना सर्वस्य दान कर देता है | वो एक तपस्वी का जीवन जीता है और कर्म को अपने जीवन का आधार बना के ही जीता है | वो यह भी जानता है कि "मानं हित्वा प्रियो भवति। क्रोधं हित्वा न सोचति।।कामं हित्वा अर्थवान् भवति। लोभं हित्वा सुखी भवेत्।।" इसीलिए हर प्रकार के अहंकार को त्याग कर सबका प्रिय बन चूका है| उसने क्रोध, कामेच्छा तथा लोभ को त्याग कर स्वयं को सुखी बना लिया है और सबको प्रेरित कर रहा है। "यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रियाः ! चित्ते वाचि क्रियायांच साधुनामेक्रूपता !!" वो अच्छा है इसलिए उसके ह्रदय में जो है उसे ही वो प्रकट करता है, वो जो कहता है वही करता है , उसके मन, वचन और कर्म में समानता होती है | और जब ऐसे व्यक्ति का विरोध कोई करता है तो मैं उससे केवल एक प्रश्न पूछता हूँ कि "वो नहीं तो कौन ?"
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आखिर उस “चायवाले” के व्यक्तित्व में ऐसा क्या विशेष है?

22 अक्टूबर 2024
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आखिर विपक्षि नेता हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी से चीढते क्योँ हैं?

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 मित्रों अब ये तथ्य किसी से छिपा नहीं है , कि आज विश्व के ही नहीं अपितु भारत की विपक्षी राजनितिक पार्टियों के नेता पूर्णतया "मोदी विरोध " की राजनीति में डूब चुके हैं | मोदी विरोध में ये कभी भी कि

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श्री एस जयशंकर जैसा सपूत और श्री नरेंद्र मोदी जी जैसा जौहरी|

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जी हाँ दोस्तों विदेशो में हमारे देश के मुख अभिव्यक्ति बने श्री एस जयशंकर जी कि राजनितिक वाक्पटुता और स्पष्टवादिता के सभी मूरीद हो चुकेहैं, धन्य हैं हमारे पारखी प्रधानमंत्री जिन्होंने इस हिरे को परखा औ

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क्या मोदी विरोधी मोदीफोबिया रूपी एक रहस्यमय मानसिक बीमारी से त्रस्त है?

22 अक्टूबर 2024
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 मित्रों उसमहामानव के विरुद्ध दुर्भावना की अभिव्यक्ति उस वर्ष से हि शुरूहो गई थी जब वो प्रथम बार गुजरात के मुख्यमंत्री पद से सुशोभित हुआ। यद्यपि उसने गोधरा के दंगों और फसादों से किसी शुरवीर कि भांति ल

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हत्या का षड्यंत्र २०२० में और उस पर अमल २०२२ में|

22 अक्टूबर 2024
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साल २०२० में एक यूट्यूब चैनल पर खालिस्तानी आतंकवादियो ने एक एनिमेटेड वीडियो अपलोड किया था, जिसमें जो कुछ दिखाया गया था वो कुछ इसप्रकार है:- १:- प्रधानमंत्री जी अपने कार्यालयसे बाहर निकलते हैं अपनी SPG

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वो पीढियों से चली आ रही मांगे पूरी कर रहे, हमें उनका साथ नहीं छोड़ना|

23 अक्टूबर 2024
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मैं बहुत  पीछे नहीं जाना चाहता, बस तथाकथित स्वतन्त्रता वाले वर्ष से २०१४ तक कि अवधी (जिसमें स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी और स्व श्री अटलबिहारी वाजपेयीजी के कार्यकाल को छोड़कर) हिंदुस्तान का सना

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Deep Fake Video, Tool Kit और कांग्रेस।

23 अक्टूबर 2024
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मित्रों कांग्रेस लोकतंत्र के महा पर्व  वर्ष २०२४ के लोकसभा चुनाव को लोकतंत्र की दृष्टि से नहीं अपितु एक भयानक युद्ध की दृष्टि से देख रही है और उसी दृष्टि से भाग भी ले रही है। काग्रेस अपने अस्तित्व की

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राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादी क्यों जरूरी है?

23 अक्टूबर 2024
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 देख लो जब अफगानिस्तान पर तालिबान ने आक्रमण कर कब्जा करना शुरू किया तो वंहा कि जनता के साथ साथ सेना ने भी बुजदिलो कि तरह आत्मसमर्पण कर दिया। उनके पास पेट्रोल, डीजल कि कमी नहीं थी, सारी दुनिया से मदद भ

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हमारा संविधान खतरे में है, हमें संविधान को बचाना है|

23 अक्टूबर 2024
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 मित्रों जैसा की आप और हम वर्ष २०१४ से लगातार अपने देश में एक शोर सुन रहे हैं, खासकर विपक्ष का हर नेता और उनकी पार्टी का हर कार्यकर्ता चीख चीख कर जनता को बता रहा है कि “हमारा संविधान खतरे में है, हमें

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भारत कि सशक्त और धाकड़ विदेश नीति।

23 अक्टूबर 2024
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मित्रों आज से कुछ वर्ष पूर्व गीतकार और कवी प्रसून जोशी के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए   हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदीजी ने कहा था कि “भारत ना आँखे उठा के बात करता है और ना आँखे

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आपदा सदैव एक अवसर के साथ आती है|

23 अक्टूबर 2024
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जी हाँ,  मित्रों जब पूरे विश्व में कोरोना काल का भयानक दौर चल रहा था, सर्वत्र त्राहि माम त्राहि माम की असहनीय दशा अपने चरम पर थी, तब हमारे प्रधानमंत्री (श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी) ने देशवासियो का

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भयानक षड्यंत्र, भ्रष्टाचार और नफरत का धंधा , गोधरा |

23 अक्टूबर 2024
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मित्रों ये सत्य है कि प्रतिष्ठित परिवार में जन्म ले लेने से ही कोई व्यक्ति उस प्रतिष्ठा का अधिकारी नहीं हो जाता और यदि उसे प्रतिष्ठित मान भी लिया जाए तो, यह उसके अपने कर्म पर निर्भर करता है कि वो व्यक

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विपक्ष की राजनीति केवल "विरोध"।

23 अक्टूबर 2024
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जी हाँ मित्रों आज का विपक्ष केवल एक मुद्दे पर जिवित है और वो है "विरोध"। विरोध यदि सकारात्मक है तो उसका प्रभाव राष्ट्र के जनमानस पर अवश्य पड़ता है और वो भी उसमें सम्मिलित होने का प्रयास करता है उदाहरण

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पसमांदा मुसलमानो के लिए मसीहा बने " नमो" |

23 अक्टूबर 2024
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 जी हाँ मित्रों आज तक आपने मुसलमानो के केवल “शिया” या “सुन्नी” नामक दो बड़े भागो में विभक्त देखा होगा या फिर इन्हें “हनफि”, “अहमदीया”, “देवबन्दी”, “देहलवी”, ” बरेलवी”, “बहावी” और कई प्रकार की जमातो में

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ब्रिटेन को पछाड़कर विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत |

23 अक्टूबर 2024
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 जी हाँ मित्रों आज अंग्रेजों और अंग्रेजों का पक्ष लेने वाले और भारत में रहने वाले उनके चाटुकारो के लिए निसंदेह दुःख भरा दिन है, परन्तु प्रत्येक सच्चे भारतीय के लिए आज का दिन गौरवमय आंनद से भरा उत्सव ज

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श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदीजी विरुद्ध ममता, नितीश, केजरी और राहुल|

23 अक्टूबर 2024
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 मित्रों मैं आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूँ वर्ष २०२४ में होने वाले लोकसभा चुनाव और प्रधानमंत्री पद के उम्मीद्वारो पर। ज़रा ध्यान दीजिये एक ओर है, आदरणीय श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी यदि हम ईनके

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पहले काबिलियत पैदा करो फिर मैदान में आओ।

23 अक्टूबर 2024
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जो कर्मयोगी है वो कभी रिटायर नहीं होता है। जो कर्म में विश्वास रखता है वो अवकाश के बारे में नहीं सोचता। एक कर्मयोगी सदैव अपने कर्तव्यों के प्रती उत्साहित और जागरूक रहता है। आज हमारे देश को  लालू जी न

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पाकिस्तानी पप्पू बिलावल भुट्टो का हमारे प्रधानमंत्री के बारे में बयान|

23 अक्टूबर 2024
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मित्रों पाकिस्तानी पप्पू और  "बिल्लो  रानी "   के नाम से कुख्यात बिलावल भुट्टो ने एक बयान देते हुए कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी को अमेरिका ने बैन कर दिया था। “गुजरात का कसाई जिन्दा है” |  खैर पप्पू

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"तुम मुझे वोट दो मैं तुम्हें विकसित भारत दूँगा"।

23 अक्टूबर 2024
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मित्रों आज हमारे देश में दो प्रकार का नेतृत्व है। एक है आदरणीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी के रूप में जिनके पास २०२९ तक भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तथा २०४७ तक ए

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हे प्रभु इतनी भयानक योजना।

23 अक्टूबर 2024
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कांग्रेस पार्टी वर्ष २०१४ के पश्चात किस प्रकार अति भयावह रूप में सनातनियों के विरुद्ध षड्यंत्र रच रहीं है, उसका एक और जीता जागता उदाहरण है उसका घोषणा पत्र जिसे वो न्याय पत्र कह रहीं है। सनातनियों को ल

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BharOS भारत का अपना ओपरेटिंग सिस्टम|

24 अक्टूबर 2024
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रों आदरणीय  प्रधानमंत्री  श्री  नरेंद्र  दामोदरदास  मोदी  जी  के  नेतृत्व  में आत्मनिर्भर भारत कि दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए हमारे देश ने अपना एक ओपरेटिंग सिस्टम विकसित कर लिया है, जो अति

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Central Bank digital currency @E-rupya सफलता का नया मुकाम|

24 अक्टूबर 2024
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 मित्रों UPI अर्थात Unified Payment Interface (जिसकेमाध्यम से मोबाइल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके अपने बैंक अकाउंट से किसी दूसरे के बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किया जाता है) कि अभूतपूर्व सफलता के पश्चा

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" नमो" , भारत और विश्व की अर्थव्यवस्था |

24 अक्टूबर 2024
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हे मित्रों, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है हम भारतीयों के ऊपर कि हमने सही समय पर सही निर्णय लिया और किसी के बहकावे में ना आकर हम अपने निर्णय पर अडिग रहे और  अपने  देश  की  बागडोर  श्री  नरेंद्र  दामोदरदास

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चूँकि वो तानाशाह है।

27 अक्टूबर 2024
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हाँ तुम लोग सही कह रहे हो वो तानाशाह है इसलिए :-   १:-तुम उसे खुलेआम "मौत का सौदागर, नीच, भ्रष्ट, चोर और ना जाने कैसे कैसे अपशब्दों से पुकारते हो और वो तुम्हें इसके लिए क्षमा कर  देता है और tumhare व

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