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भयानक षड्यंत्र, भ्रष्टाचार और नफरत का धंधा , गोधरा |

23 अक्टूबर 2024

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मित्रों ये सत्य है कि प्रतिष्ठित परिवार में जन्म ले लेने से ही कोई व्यक्ति उस प्रतिष्ठा का अधिकारी नहीं हो जाता और यदि उसे प्रतिष्ठित मान भी लिया जाए तो, यह उसके अपने कर्म पर निर्भर करता है कि वो व्यक्ति उस प्रतिष्ठा में वृद्धि करेगा या कलंकित करेगा। तिस्ता सीतलवाड़ नाम तो सुना हि होगा, इस महिला की कहानी भी कुछ ऐसी हि है। चलीये देखते हैं, कैसे… 

पृष्ठभूमि:-
तिस्ता के दादाजी श्री एम सी सीतलवाड़, हमारे देश के सर्वप्रथम अटॉर्नी जनरल थे। तिस्ता के पिताजी श्री अतुल सीतलवाड़ एक नामी वकील थे। तिस्ता का जन्म ऐसे प्रतिष्ठित परिवार में वर्ष १९६२ को हुआ था। तिस्ता नेअपनी प्रारम्भिक शिक्षा को पूर्ण कर, मुंबई यूनिवर्सिटी से विधि अर्थात क़ानून की पढ़ाई शुरू की परन्तु २ वर्ष के पश्चात ही उसने क़ानून त्याग, पत्रकारिता की पढ़ाई शुरू की और पत्रकारिता के क्षेत्र् में कदम रखा।उसने कई अखबारों के लिए एक पत्रकार के रूप में कार्य किया और इसी दौरान उसकी मुलाकात पत्रकार जावेद आनंद से हुई और अंतत: दोनो ने शादी कर ली। बस इसी जावेद के "  साथ और सोच"   ने तिस्ता के जीवन की दिशा बदल दी। 

गोधरा कांड |  

मित्रों आपको याद होगा कि किस प्रकार कांग्रेस से जुड़े आतंकवादियों ने दिनांक २७ फ़रवरी २००२ को गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच में आग लगा कर ५९ कारसेवकों/   हिंदुओं कि निर्दयता पूर्वक हत्या कर दी। इस मामले में १५०० लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। इसके पश्चात् दिनांक २८ फ़रवरी २००२ को गुजरात के कई इलाकों में दंगा भड़का जिसमें १२०० से अधिक लोग मारे गए। दिनांक ०३ मार्च २००२ को गोधरा ट्रेन जलाने के मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों के खिलाफ आतंकवाद निरोधक अध्यादेश (पोटा) लगाया गया।और ९ वर्षो के दौरान हुए कई घटनाक्रमो के पश्चात दिनांक २२ फरवरी २०११ को विशेष अदालतने गोधराकांड (काण्ड) में ३१ लोगों को दोषी पाया, जबकि ६३ अन्य को बरी किया।और अंतत:  दिनांक १ मार्च २०११ को विशेष न्यायालय ने गोधरा कांड (काण्ड) में ११ को फांसी और २० को उम्रकैद की सजा सुनाई। 

कांग्रेस ने एक और घृणित योजना को अंजाम दिया, किस प्रकार आइये देखते हैं। 

गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जीऔर राष्ट्रीय सेवक संघ को विश्व स्तर पर बदनाम करने के लिए कांग्रेस ने भयानक षड्यंत्र कर एक योजना बनायीं और उसकी मोहरा बनी तिस्ता सीतलवाड़। सर्वप्रथम तिस्ता सीतलवाड़, उसके पति जावेद आनंद, ईसाई
(कैथॉलिक) पादरी सेड्रिक प्रकाश,  अनिल धरकर (पत्रकार), अल्याक पद्मसी, जावेद अख्तर, विजय तेंदुलकर, राहुलबोस ( सभी फिल्म और थियेटर से जुड़े) जैसे लोगों ने मिलकर दिनांक१ अप्रैल, २००२ को“Citizens for Justice and Peace (CJP)” नामक एक NGO बनाया और इसकी आड़ में क़ानून और सत्ता के दुरूपयोग का खेल शुरूकिया। उन्होंने भाजपा, राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ और श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी को अंतराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की मुहिम शुरू कर दी। कई आपराधिक शिकायते दर्ज की गई। केंद्र में कांग्रेस की सरकार होने के कारण तिस्ता सीतलवाड़ और उसके साथियों पर कोई रोक टोकनहीं था। 

उनका प्रभाव इतना था की “बेस्ट बेकरी केस” को गुजरात से महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया गया था।श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदीजी को सजा दिलाने की भरपूर कोशिश की गई, झूठे गवाह तैयार किये गए, झूठे दस्तावेज तैयार किये गए, जिसमें IPS ऑफिसर संजीव भट्टजैसे लोग काफी सक्रिय थे, संजीवभट्ट ने तो झूठा हलफनामा भी फाइल किया और श्री नरेंद्र मोदी जी को गुजरात में हुए दंगो के लिए जिम्मेदार बताया।इसी का प्रभाव रहा कि अमेरिका (जो आज मोदी जी के एक इशारे के लिए तरसता है) ने हमारे मोदी जी को वीजा देने से इंकार कर दिया। 

खैर CBI, आरम्भिक अदालतो, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बाइज्जत बरी कर दिए जाने के पश्चात भी कांग्रेस के इशारो पर तिस्ता सीतलवाड़ और उसकी टिम के लोग मोदी जी के पीछे पड़े रहे।और इन सबका इनाम भी तिस्ता सीतलवाड़ को मिला, जब उसे कांग्रेस सरकार द्वारा वर्ष २००७ में पद्मश्री से सम्मानित किया गया और यही नहीं इससे पूर्व वर्ष २००२ में ही इसे राजीव गाँधी सद्भावना पुरस्कार भी दिया गया। तिस्ता सीतलवाड़ ने करोड़ो रुपए का फंड अपने NGO के माध्यम से इकट्ठा किया जिसे दंगा पीड़ितो कि सहायता के लिए खर्च किया जाना था। 

जब जांच करने वाली सरकारी संस्था (सर्वोच्च न्यायालय द्वारागठित SIT) ने सर्वोच्च न्यायालय में अपनी अंतिम Closure रिपोर्ट प्रेषित करते हुए श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी को पूर्णतया सभी आरोपों से मुक्त कर दिया अर्थात क्लिन चिट दे दिया तो, तिस्ता सीतलवाड़ ने एक बार पुन: गुजरात के दंगों की भेट चढ़ गए कांग्रेसी नेता जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी को अपना मोहरा बनाया और प्रोटेस्ट याचिका दाखिल करवाकर जांच एजेंसी के रिपोर्ट का विरोध करवाया, बताने कि आवश्यकता नहीं है की ये भी कांग्रेस के इशारे पर हि हुआ। 

जून २०२२ में सर्वोच्च न्यायालय ने उस प्रोटेस्ट याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना आदेश पारित किया और जाकिया जाफरी के याचिका को रद्द करते हुए कहा कि, ” तिस्ता सीतलवाड़ ने जाकिया जाफरी के भावनाओं का इस्तेमाल किया”।सर्वोच्च न्यायालय ने एसआईटी की तारीफ की और सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि “जितने लोग कानून से खिलवाड़ करते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने तीस्ता सीतलवाड़ का भी नाम लिया और कहा कि सीतलवाड़ के खिलाफ और जांच की जरूरत है।” 

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमितशाह ने कहा कि, ”भाजपा कीविरोधी राजनीतिक पार्टियां, कुछ वैचारिक राजनीति में आए हुए पत्रकार और कुछ एनजीओ ने मिलकर झूठे आरोपों को इतना प्रचारित किया अपने मजबूत इकोसिस्टम से कि धीरे-धीरे लोग झूठ को ही सत्य मानने लगे। और इसके पश्चात २००२ में हुए गुजरात दंगे के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री  नरेंद्र मोदीजी और ५५ अन्य राजनेताओं, अधिकारियो के विरुद्ध झूठे केस शुरू करवाने की साजिश रचने के आरोप में गुजरात एटीएस ने असमाजिक कार्यकर्ता और समाज के लिए भयानक गन्दगी बन चुकी तीस्ता सीतलवाड़ को उसके कालीकमाई से बनाए गए मुंबई के जुहू में स्थित करोड़ोके आशियाने से एकअपराधी केरूप में दबोच लिया।और कल की झूठऔर फरेब के बल पर बनी पद्मश्री विजेता आज अपराधी के रूप में अपने सच का सामना कर रही है। 

इसके दो प्रमुख और भयानक असमाजिक तत्व पूर्व डीजीपी श्रीकुमार और IPS officer संजीव भट्ट भी क़ानून के शिकंजे में आ चुके हैं। परन्तु दोस्तों उस काले और भयानक चेहरे वाली कांग्रेस के निम्न कोटि की निकृष्ट मानसिकता वाले नेताओं का क्या जो पिछले २० वर्षो से लगातार  विशवमन करते आ रहे हैं। उन चाटुकार पत्रकारों (जैसेदीपक सरदेसाई, बरखा दत्त इत्यादि) का क्या, वो क्या ऐसे हि बचे रहेंगे, क्या इन पर कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी। मित्रों इन सब पर कार्यवाही होनी चाहिए। ये सभी सजा के पात्रहैं। 

सच का सूरज तो हमारे परम आदरणीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदीजी के रूप में अपना शौर्य बिखेर रहा है, पर झूठ और फरेब की चादर में सिमटी तिस्ता सीतलवाड़ आज अंधकार के साये में विलुप्त होनेके कगार पर आ चुकी है। ये एक गरीब परिवार में जन्मे अनजाने मोदीजी के सूकर्म ही हैं जिसके कारण वो विश्व जनमानस के ह्रदय पटल पर विराजमान है।और ये एक प्रतिष्ठित परिवार में जन्म लेने वाली तिस्ता सीतलवाड़ के कुकर्म हैं जो आज सबकी नजरो से गिरचुकी है। 

तिस्ता सीतलवाड़ पर आरोप। 

१:- तिस्ता सीतलवाड़ औरउसके पति जावेद आनंद के ऊपरउनके ही सहयोगी रइसखान ने आरोप लगाया की दंगा पीड़ितो की सहायता की आड़ में,
अपने NGO के माध्यम से करोडो रुपये के फंड जुटाये औरउसे डकार गए अर्थात स्वय के ऊपर खर्च कर दिए। 

२:- तिस्ता सीतलवाड़ ने "  बेस्ट बेकरी कांड केस" के मुख्य साक्षीदार  जाहिरा शेख पर दवाब डालकर झूठ बोलने के लिए विवश किया,जिसके कारण उस केस को गुजरात से बाहर महाराष्ट्र मे स्थानांतरित कर दिया गया था और बाद मे जांच के पश्चात जाहिरा शेख को झूठा हलफनामा देने के लिए १वर्ष की सजा दी गई। 

३:-वर्ष २०१३ में अहमदाबाद में स्थित गुलबर्ग सोसायटी के १२ निवासियों ने तीस्ता के खिलाफ जांचकी मांग की। सोसायटी के लोगों ने आरोप लगाया कि तीस्ता ने गुलबर्ग सोसाइटी में म्यूजियम बनाने के लिए करीब डेढ़ करोड़ रुपये जमा किए, लेकिन उन पैसों का सही इस्तेमाल नहीं हुआ। वर्ष २०१४ में तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद के खिलाफ क्राइम ब्रांच ने एफआईआरदर्ज की थी। 

४:- तिस्ता सीतलवाड़ ने  IPS Officer संजीव भट्ट, गुजरात केपूर्व DGP श्रीकुमार ( वहीं officer जिसने केरल के महान वैज्ञानिक नारायणनके ऊपर झूठे आरोप लगाकर उन्हें देशद्रोही साबित करने की कोशिश कि थी) केसाथ मिलकर:-  झूठे गवाहतैयार किये; झूठे हलफनामातैयार किये; झूठे दस्तावेज तैयार किये;  झूठे केस फाइल किये; अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की छवी खराब करने का प्रयास किया;  सम्बंधित न्यायालय को गुमराह किया और गुमराह करने की कोशिश करती रही और इस प्रकार उसने वो हर अपराध किया जिसे उसे नहीं करना चाहिए था।आज उसी की सजा भुगत रही।  

मित्रों हमारे शास्त्रों ने इन्हीं परिस्थितियों से स्वयं को बचाकर रखने हेतु सदैव मर्गदर्शन किया है जो इस प्रकार हैं:- 

श्रूयतां धर्मसर्वस्वं, श्रुत्वा चैवावधार्यताम्।आत्मनः प्रतिकूलानि, परेषां न समाचरेत्।।

अर्थात : धर्म का सार तत्व यह है कि जो आप को बुरा लगता है, वह काम आप दूसरों के लिए भी न करें। यह ऐसा आदर्श है जिसे हमें समझना चाहिए और उचित रूप से अपनाना चाहिए। अगर हम दूसरों के साथ सहयोग और न्याय से आचरण करेंगे, तो हम समाज में एक अधिक उदार और सद्भावपूर्ण माहौल बना सकते हैं। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि हम दूसरों के साथ सहयोग करने, समझदारी और न्याय के साथ ही अपने कर्तव्यों को पूरा करें।  यदि तीस्ता ने इस तथ्य को समझ लिया होता तो आज इस अपमानजनक स्थिति में नहीं रहती |                                     

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रचनाएँ
वो नहीं तो कौन ?
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मित्रों ये किताब उस व्यक्ति विशेष को समर्पित है जिसके सद्चरित्र, अनुशाशन, ईमानदारी, शांतिप्रियता, कर्मठता और अपने राष्ट्र और राष्ट्जनो के प्रति अथाह प्रेम और समर्पण का कायल सम्पूर्ण विश्व है | आप में से बहुत लोग मेरे विचार से असहमत हो सकते हैं परन्तु वर्तमान में भारत की स्थिति और विश्व के अन्य देशों की स्थिति का तुलनात्मक विशेलषण करने के पश्चात आपकी असहमति कुछ सिमा तक सहमति में परिवर्तित हो सकती है | हमारे शास्त्रों केअनुसार "विदेशेषु धनं विद्या व्यसनेषु धनं मति:। परलोके धनं धर्म: शीलं सर्वत्र वै धनम्॥" अर्थात विदेश में विद्या धन है, संकट में बुद्धि धन है, परलोक में धर्म धन है और शील(अच्छा चरित्र ) सर्वत्र ही धन है! इसी को चरितार्थ करता वो महापुरुष विश्व का सबसे लोकप्रिय जनप्रतिनिधि बन कर उभर चूका है| वृतं यत्नेन संरक्षेद वित्तमेति च याति च | अक्षीणो वित्ततः क्षीणो वृत्ततस्तु हतो हतः!" अर्थात चरित्र की यत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए। धन तो आता-जाता रहता है। धन के नष्ट होने पर भी चरित्र सुरक्षित रहता है, लेकिन चरित्र नष्ट होने पर सबकुछ नष्ट हो जाता है। और उस महापुरुष के पावन जीवन से इसी तथ्य की शिक्षा मिलती है | वो महा व्यक्तित्व जानता है कि "येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः । ते मृत्युलोके भुवि भारभूता, मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति! अत: वोअपने ज्ञान के प्रकाश से विश्व को रोशन करता है और अपना सर्वस्य दान कर देता है | वो एक तपस्वी का जीवन जीता है और कर्म को अपने जीवन का आधार बना के ही जीता है | वो यह भी जानता है कि "मानं हित्वा प्रियो भवति। क्रोधं हित्वा न सोचति।।कामं हित्वा अर्थवान् भवति। लोभं हित्वा सुखी भवेत्।।" इसीलिए हर प्रकार के अहंकार को त्याग कर सबका प्रिय बन चूका है| उसने क्रोध, कामेच्छा तथा लोभ को त्याग कर स्वयं को सुखी बना लिया है और सबको प्रेरित कर रहा है। "यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रियाः ! चित्ते वाचि क्रियायांच साधुनामेक्रूपता !!" वो अच्छा है इसलिए उसके ह्रदय में जो है उसे ही वो प्रकट करता है, वो जो कहता है वही करता है , उसके मन, वचन और कर्म में समानता होती है | और जब ऐसे व्यक्ति का विरोध कोई करता है तो मैं उससे केवल एक प्रश्न पूछता हूँ कि "वो नहीं तो कौन ?"
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हे मित्रों, ईश्वर की असीम अनुकम्पा है हम भारतीयों के ऊपर कि हमने सही समय पर सही निर्णय लिया और किसी के बहकावे में ना आकर हम अपने निर्णय पर अडिग रहे और  अपने  देश  की  बागडोर  श्री  नरेंद्र  दामोदरदास

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चूँकि वो तानाशाह है।

27 अक्टूबर 2024
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हाँ तुम लोग सही कह रहे हो वो तानाशाह है इसलिए :-   १:-तुम उसे खुलेआम "मौत का सौदागर, नीच, भ्रष्ट, चोर और ना जाने कैसे कैसे अपशब्दों से पुकारते हो और वो तुम्हें इसके लिए क्षमा कर  देता है और tumhare व

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