जिस प्रकार हम साल भर में किसी विशेष तिथि को अपना जन्म दिन, सालगिराह इत्यादि मनाते रहते है | ठीक उसी प्रकार हर साल में पितृपक्ष प्रारंभ होते है | ये वो सुनहरे अवसर होते है |जब हमे अपने मृत पूर्वज
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पितृपक्ष , एक पखवारा जब ऐसा माना जाता है कि हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं ।उनके लिए इस पखवारे भर के लिए स्वर्ग के द्वार खोल दिए जाते हैं ,और वो अपनों से मिलने ,उन्हें अपने आशीष देने के लिए आते है
हे पितरों! स्वीकारो नमन हमारा,तुमसे ही है ये अस्तित्व हमारा,देना सदा आशीष हमें तुम,हम हैं छोटा सा अंश तुम्हारा।वैसे तो हर दिन हैं आप,सूक्ष्म रूप में साथ हमारे,पितृ- पक्ष में स्वागत आपका,मिलकर करते हम