हे पितरों! स्वीकारो नमन हमारा,
तुमसे ही है ये अस्तित्व हमारा,
देना सदा आशीष हमें तुम,
हम हैं छोटा सा अंश तुम्हारा।
वैसे तो हर दिन हैं आप,
सूक्ष्म रूप में साथ हमारे,
पितृ- पक्ष में स्वागत आपका,
मिलकर करते हम परिजन सारे।
ये संस्कार, ये काया - माया,
हम सब पर है आपकी ही छाया,
हर गलती को क्षमा तुम करना,
हम पर सुभाशीष बनाये रखना।
एक कड़ी से बनी कई हैं कड़ियाँ,
एक लड़ी से जुड़ गई हैं लड़ियाँ,
हम सबके तुम एक पितर हो,
श्रद्धानवत हम, आपकी जय हो।।
©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर