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प्रिय पत्नि

15 अक्टूबर 2023

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कई दिनों से मैं तुमसे कुछ कहना चाहता था मगर उसे कहने का उचित समय और पर्याप्त सामर्थ्य नहीं जुटा पा रहा था। आज जब हम-तुम दोनों ने अपने जीवन के चौदह साल एक दुसरे के साथ बिता लिया है तो मुझे तुमसे यह कहने मे जरा भी संकोच नहीं होता कि मैं तुमसे बहूत प्यार करता हूँ। सच कहूँ तो यह बात ना जाने मैंने तुमसे इस वैवाहिक जीवन में कितनी ही दफा कही होगी। कभी तुम्हे मनाने के लिये, कभी तुमसे काम निकलवाने के लिये, कभी तुम्हे प्यार जताने के लिये तो कभी तुमसे प्यार पाने के लिये। मगर आज जब मैं यह सब कह रहा हूँ तो उसका कारण उपरोक्त किसी भी कारण से परे है। तुम्हे पता है कि जब मेरी शादी नही हुई थी तो मुझे अक्सर यह लगता था, या मेरी सोच ऐसे थी, कि कैसे कोई आदमी अपनी पुरी ज़िंदगी किसी एक ही औरत के साथ बिता सकता है। या फिर कैसे कोई एक औरत किसी एक ही आदमी के साथ अपनी पुरी ज़िंदगी बीता सकती है?

अपनी शादी के पहले मैंने जितने भी भाई बहनों की( रिश्तेदारों) शादी को देखा था, उनमे से किसी को भी कभी भी अपने पति से या फोर अपनी पत्नी से पुरी तरह से सुखी नहीं पाया था। हर किसी के ज़ीवन मे कोई-ना-कोई परेशानी हमेशा बनी ही रहती थी। उनमे से किसी एक ने भी कभी यह नही कहा कि उसे अपने पसंद का साथी मिला है। या फिर जिसके साथ उसकी शादी हुई है वो उसे कभी भी पुरी तरह से समझता है। मैं औरतों के बारे में नही जानता मगर एक लडका होने के हैसियत से यह कह सकता हूँ कि ऐसा कहने वाला कोई भी आदमी कभी भी सच नहीं कहता। वो बताये या ना बताये मगर उसके मन में अपने साथी के लिये प्रेम तो रहता ही है। शादी के पहले के इस तरह के अनुभवों से मैं हमेशा ही घबराया रहता था। सोचता था कि क्या मैं किसी भी लडकी को अभी भी अपने साथी के रूप मे सुखी रख पाउंगा। क्या वो मुझे सुखी रख पायेगी। मगर आज मैं य कह सकता हूँ कि मैं तुम्हे अपने साथी के रूप मे पाकर उस भगवान का ऋणी बन गया हूँ।

जैसी मेरी भेष-भुषा और आचार-व्यवहार था, वैसे में तो कोई भी लडकी महिने भर मे ही मुझे छोडकर चली गयी होती। मगर तुमने मुझे ना सिर्फ सम्हाला बल्कि मुझे प्यार पाने के क़ाबिल भी बनाया। एक पति होने से पहले मैं एक आदमी या पुरुष भी हूँ और यह मानता हूँ कि बाकी सभी पुरुषों की तरह मेरी भी नज़र कभी-कभार किसी दुसरी लडकी या स्त्री पर पड जाती है तो मैं थोडा विचलित हो जाता हूँ, आज भी, मगर यकिन मानों की ऐसा होने के एक क्षण के अंदर ही मेरा मन मुझे कोसने लगता है। मुझे खुद से घिन्न आने लगती है और उस शरीर के कल्पना से उल्टी। सच कहूँ तो सिवा तुम्हारे किसी और तन के बारे में सोचते ही मेरा अपना ज़मीर ही मुझे कचोटने लगता है। यह बदलाव मैंने पिछले दस सालों से महसूस कर रहा हूँ। और मैं इस बदलाव से खूश भी हूँ। जिस तरह से तुमने मुझे अपने मन के अंदर झाकने का अवसर दिया है और मेरे मन को अंदर से झांक कर देखा है ऐसा सिर्फ एक सच्चे साथी के बीच ही हो सकता है। आज मैं इस बात को स्वीकार करता हूँ कि तुम मेरी पुरी दुनिया हो, और शायद मैं भी तुम्हारा पुरा संसार हूँ।

शायद इसलिये कहा क्युंकि तुम्हारे उपर मेरी पत्नि होने के अलावा भी कई बडी-बडी ज़िम्मेदारियाँ है जिनको तुम पुरी इमानदारी से निभाती हो। मेरे माता-पिता को अपने माता-पिता की तरह मानती हो। बच्चों और घर की देखभाल करती हो। पुरा घर सम्हालती हो, तो हो सकता है कि मेरी जगह तुम्हारी उस घरेलू दुनिया मे थोरी कम हो। मगर एक पत्नि और एक प्रेमिका के रूप में मैं ही तुम्हारी पुरी दुनियाँ हूँ इसमे मुझे कोई भी सन्देह नही है। अगर मैंने तुम्हे भावनाओं मे बहा दिया हो तो थोडा सांस ले लो और ये जान लो कि यह सिलसिला बस आज भर का, एक महिने का, एक साल का या एक जनम का नहीं है। मैं हर जनम में तुम्हे ही अपनी दुनिया बनाना चाहता हूँ और हर बार तुम्हारी दुनिया बनना चहता हूँ। तो बस इतनी सी बात के साथ और मेरी दुनिया बनने के लिये तुम्हारा अभार जताने के साथ मैं तुम्हे हमारी शादी की १४ वी सालगिरह की शुभकामनाएं देता हूँ।

तुम्हारा प्रियवर
 

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बेहद खूबसूरत लिखा है आपने सर 👌 आप मुझे फालो करके मेरी कहानी पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏

15 अक्टूबर 2023

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रचनाएँ
संस्मरण
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उस दिन हर रोज़ की तरह हीं मैं अपने समय पर आफिस के लिये घर से निकला। निकलते समय हीं मेरी बेटी ने कहा कि आज उसे ट्युशन पढने के लिये सुबह हीं जाना है। जाने क्युं मगर उस सुबह मैंने अपने बेटे को स्कूल नहीं भेजा था। पता नहीं मन में क्या चल रहा था कि उसे स्कूल भेजने से मुझे कोताही हो रही थी। मेरी पत्नी मेरी बेटी को अकेले पढने जाने देना नहीं चाहती थी। तो मैंने मज़ाक मे हीं उनसे कह दिया कि आज तुम ही बेटी को पढने छोड आना। चुकि मेरे दोनों हीं बच्चे एक ही जगह पर पढते है तो दोनों को एक ही साथ जाना भी पडता है। मेरी पत्नी घर से बाहर का कोई भी काम नहीं करती है। उसके सारे कम मुझे हीं करने पडते है और इसमे मुझे कोई शिकायत भी नहीं है। वो विगत लगभग पांच सालों से मांसिक रोग से संघर्ष कर रही है। मगर आज तक कभी भी टूटी नहीं। हालांकि मैं उसके रोग़ के विषय में यहाँ चर्चा नहीं करना चाहता था पर ऐसा ना करने से आगे हुई घटना को आप सही से समझ नहीं पायेंगे इसिलिये मुझे यह बताना पडा। मैं घर से निकलकर सही समय पर आफिस जा पहूंचा। सब कुछ किसी आम दिन के तरह हीं चल रहा था। तभी मेरे फोन की घंटी बज उठती है।
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एक दिन

15 अक्टूबर 2023
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वेंवेंवेंवेंवेंवेंवेंवेंवेंवेंवें सोनू जरा उठो न देखो मुन्ना रो रहा है उसको जरा दूध तो पीला दो। हाँ बस दस मिनट दस मिनट तक बच्चा रोते रहेगा क्या? जाओ उठकर जल्दी से उसका खाना लेकर आओ अच्छा बाबा अच्

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दौड – मौत से ज़िंदगी की तरफ

15 अक्टूबर 2023
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मैं विकास। मुझे आज भी वो दिन बिल्कुल शीशे की तरह याद है, १५ अप्रिल २००३ सुबह के साढे नौ बजे थे। मैं अभी सुबह का नाश्ता कर रहा था क्युंकि आज मुझे  नौकरी पर जल्दी जाना था। दिन सोमवार का था और मुझे आज कि

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अनहोनी या चमत्कार

15 अक्टूबर 2023
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उस दिन हर रोज़ की तरह हीं मैं अपने समय पर आफिस के लिये घर से निकला। निकलते समय हीं मेरी बेटी ने कहा कि आज उसे ट्युशन पढने के लिये सुबह हीं जाना है। जाने क्युं मगर उस सुबह मैंने अपने बेटे को स्कूल नहीं

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अगर तुम साथ हो

15 अक्टूबर 2023
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बात साल 2016 की है, यही सितम्बर का महिना था। पुरा भारत एक परिवर्तन से गुजर रहा था। इस समय सुचना-प्रोद्योगिकि में भारत बडी रफ्तार से आगे बढ रहा था। तत्कालिन समय मे भारत मे तीन बडी टेलीकॉम कंपनियाँ  थी

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क्या हम सच में है?

15 अक्टूबर 2023
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हम अपने पुरे जीवन में जो कुछ भी करते है, जिसे हम कहते है कि हमने किया है, क्या वो सब कुछ सच में हम ही करते हैं? या फिर वो सबकुछ हमारे द्वारा किये जाने के लिये किसी ने पहले से तय करके रखा हुआ है। हम चा

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तुम बदल गये हो!!

15 अक्टूबर 2023
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सुनो, पिछले कुछ दिनों से मैंने महसूस किया है कि अब हमारे रिश्ते में पहले जैसी गर्माहट  नही रही। अब शायद हम दोनों के बीच वैसा प्यार नहीं रहा जैसा तीन साल पहले हुआ करता था। मुझे लगता है कि तुम बदल गये ह

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मदिरा की आत्मकथा

15 अक्टूबर 2023
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मैं मदिरा, आप सभी मुझे शराब या दारू के नाम से जानते है। वैसे तो मुझे शराब, हाला, आसव, मधु, मद्य, वारुणी, सुरा, मद इत्यादी के नाम से भी जाना जाता है मगर प्राचिन काल मे मुझे बस एक ही नाम से जाना जाता था

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तेरा बाप कौन है?

15 अक्टूबर 2023
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मुहल्ले गली में खेलते हुए बच्चों के झुंड मे से एक बच्चे को बाकि के सभी बच्चे बडी देर से चिढा रहे थे- “तेरा बाप कौन है? तेरा अबाप कौन है? बता ना, क्या तुझे नही पता कि तेरा बाप कौन है?”। उन बच्चों के उप

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प्रिय पत्नि

15 अक्टूबर 2023
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सुखे पलाश

15 अक्टूबर 2023
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घर की सफाई करना भी एक थकाने वाला मसला है। हर रोज़ ही करने की सोचता हूँ मगर फिर खुद ही जाने भी देता हूँ। पिछले तीन हफ्तों से यह मसला मेरे ज़हन में लगातार द्स्तक देता रहा है और मेरे आलसी स्वभाव से आज़ीज आक

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अंतिम सफर

15 अक्टूबर 2023
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रमन अपने किराए के मकान के एक कमरे में बिस्तर पर पड़ा हुआ है। उसके पास उसकी ३० साल की बेटी और लगभग २२ साल का बेटा सिरहाने पर खड़े हुए है। कमरा रौशनी से भरा और हवादार है। उसे हमेशा ही खुले वातावरण में रहन

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एक पत्र बेटी के नाम

15 अक्टूबर 2023
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मेरी १३ साल की बेटी कई दिनों से कर रही थी कि मैं उसके बारे में लिखूं।  मगर क्या लिखूं यह नहीं बता पाती है।  हुआ कुछ ऐसा था कि उसके स्कूल में अपने प्रिय व्यक्ति के विषय में एक लेख लिखने को कहा गया था त

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स्वर्ग-ज़न्नत-ओमकार-हीवन

15 अक्टूबर 2023
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रायपूर से छुटने वाली गाडी के फर्स्ट क्लास के डिब्बा नम्बर ए.से०१ का कमरा। उस कमरे के अंदर हमारे समाज के चार अलग अलग समुदाय के लोग बैठे है। अब उनमे मे कौन किस समुदाय का है यह बाहर से देखकर समझना जरा भी

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एक रुपये के चार फुलौरियाँ

15 अक्टूबर 2023
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फुलौरियाँ समझते हैं? वही जो चने के बेसन को फेंट कर उसमे जरा सा कलौंजी, थोडा अज्वाइन, ज़रा सी हल्दी, स्वाद के अनुसार नमक इत्यादी मिलाकर उसे पहले फुर्सत से फेंटते है। तब तक फेंटते है जब तक कि उसका गोला प

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