इस घटना के बाद सोना अपने परिवार के साथ रहने लगी। जंगल में किसी अनजान जड़ी-बूटी के सम्पर्क में आने के कारण अब सोना का शरीर सामान्य लड़कियों की तरह बढ़ने लगा था जिसे देखकर गंगाधर, काया और सोना सभी खुश थे।
रूद्रनाथ के चेले जंगल में आवाज लगाते हुए उसकी ओर बढ़ रहे थे। रूद्रनाथ जो उल्टा पेड़ पर लटका हुआ था उसे होश आ जाता है और खुद को उल्टा लटका देख वो समझ जाता है कि उसे इस जाल में फंसाया गया है जो किसी भूत क
काया श्मशान के मुख्य द्वार पर खड़ी होकर तांत्रिक रूद्रदेव को देखकर जोर से हंसती है और चीखते हुए कहती है, आज मैं तुझे नहीं छोड़ूंगी तांत्रिक। तूने मुझे जिन्दा जलाया था न, अब देख मैं तेरे साथ क्या करती हू
कुछ दिनों के बाद गंगाधर सोना और काया को लेकर वापिस गांव में अपने घर आ जाता है। सोना का मन अब गांव में नहीं लग रहा था और वो अपने पिता से कहती है - पिताजी मुझे अब यहां अच्छा नहीं लग रहा है, अब हमें कश्म
कश्मीर पहुंचते हुए गंगाधर अपनी बेटी सोना को लेकर बैग उठाकर चल पड़ता है। थोड़ी दूर चलते-चलते उन्हें एक घर दिखाई देता है। जो कश्मीर की खूबसूरत पहाड़ियों के बीच बना था। चारो ओर पहाड़ और हरियाली के बीच दूर-दू
सोना के चेहरे पर सुबह की पहली सूरज की किरण पड़ती है तब पहली बार वो अपनी पलके झपकाती है और उसकी आंखो से आंसूओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। तभी वो धीरे-धीरे जल चुकी अपनी मां की अग्नि की ओर बढ़ने लगती है जिसकी ल
वहीं दूसरी ओर झोपड़ी के एक कमरे में बंद सोना किसी तरह खिड़की से बाहर निकलकर गांव वालों का पीछा करने लगती है। सोना के पिताजी जिन्हें गांववालों ने रस्सियों से बांधकर उन्हें बैलगाड़ी में डाल दिया था और उसकी
शिष्य एक बार फिर से माता से पूछता है, हे जगदम्बा, मैं आपकी बारंबार वंदना करता हूं। कृप्या शांत हो जायें और हमारा मार्गदर्शन करें। हमें बतायें कि हम पर क्या मुसीबत आ चुकी है और इसका क्या निवारण है। तभी
माता को अवतरण होते ही वह महिला हवन कुण्ड के चारो ओर कूदते हुए बड़ी भयानक आवाजें निकालती है। तभी वह हवनकुण्ड की अग्नि के एकदम समीप आकर बैठ जाती है। जहां अग्नि का इतना तेज प्रभाव था कि अन्य लोग उससे बहुत
गांव में शिवरात्रि का पर्व की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थी। गांव के मंदिर में रहने वाली एक महिला जो मंदिर की साफ-सफाई इत्यादि का कार्य करती थी। उसे गांव में बड़े ही आदर की दृष्टि से देखा जाता था। भले
यह कहानी एक अनाथ बच्चे की है, जिसका नाम बशीरा है। उसके माता-पिता का देहांत हो गया था। तब वह सिर्फ तेरह वर्ष का था जब उसके माता-पिता की भयानक एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। बशीरा बहुत दुखी हुआ। उसका तो मा
जैसा कि माया ने कोढ़ी महिला को बताया था। उसी के अनुसार उसका भाई कुछ खाने का सामान और अन्य आवश्यक वस्तुएं वहां छोड़ जाता है। जिसकी सहायता से माया उक्त महिला का उपचार करने लगती है। यह सब दूर-दूर से सोना भ
वहीं दूसरी ओर सोना की मां जिसका नाम माया था, यह जान चुकी थी कि उक्त महिला जो कोढ़ की बीमारी से ग्रसित है यदि इसका सही समय में समुचित इलाज कर दिया जाये तो वह निश्चित रूप से स्वस्थ हो सकती है लेकिन इसके
तभी सोना अपनी उन यादों को याद करने लगती है। जब दस साल पहले वो अपने पैतृक गांव आये थे। उस समय सोना के पिताजी कश्मीर से सोना की मां और उसे लेकर गांव आये थे। सोना दिखने में बिल्कुल अपनी मां पर ही गई थी।
हर्बल रस पीते ही रोहन अपने शरीर में तुरन्त शक्ति के संचार का अनुभव करने लगता है और उसे बड़ी जोर से भूख लगने लगती है। तभी वो सोना से शरारती अंदाज में कहता है। तुम्हारा रस तो बहुत कमाल का है, देखो अभी इस
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए रोहन सोना से पूछता है। अब बताओ मुझे अपनी पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिए क्या करना होगा। ताकि मैं भी बाहुबली की तरह एकदम तकड़ा और बलवान वन सकूं। बड़े-बड़े पहाड़ों पर चढ़ सकूं और जंगल म
वहीं दूसरी ओर इंस्पेक्टर शक्तिनाथ जंगल में हुई गार्ड की हत्या की जांच-पड़ताल अपने ही तरीके से कर रहा था। शक्तिनाथ के साथ जो हवलदार तैनात था जो उस गांव का ही निवासी था, इंस्पेक्टर से कहता है। साहब हमें
इन सब बातों को याद करके और आज प्रधान द्वारा कही बात को सुनकर सोना बदले की आग में जलने लगती है। गुस्सा और नफरत उसकी आंखों और चेहरे पर उतरने लगता है। तभी वो रोहन को देखती है और अचानक से उसके चेहरे के भा
एक बार पुजारी ने प्रधान और अपने ब्राह्मण समाज के लोगों को इकट्ठा करके बुलाया और उनसे कहा कि आज रात को उनके स्वप्न में स्वयं मां भगवती ने दर्शन दिये हैं और उन्होंने कहा है कि उनकी प्रतिमा इसी गांव के क
ग्राम प्रधान और इंस्पेक्टर शक्तिनाथ की बात सुनकर रोहन तेजी से दौड़ता हुआ सोना की घर की ओर जाने लगता है। वह मन ही मन सोना के लिए परेशान था कि कहीं वो किसी मुसीबत में न फंस जाये। सोना इस समय अपने बागवानी