वहीं दूसरी ओर सोना की मां जिसका नाम माया था, यह जान चुकी थी कि उक्त महिला जो कोढ़ की बीमारी से ग्रसित है यदि इसका सही समय में समुचित इलाज कर दिया जाये तो वह निश्चित रूप से स्वस्थ हो सकती है लेकिन इसके लिए उन्हें गुप्त रूप से यह सब करना होगा क्योंकि यदि गांव वालों को इस बात की जरा सी भी भनक लग गई तो उनका परिवार मुश्किल में पड़ सकता है। इसलिए वह उस महिला को समझाती है कि वह स्वयं को पापिन न समझे और न ही ईश्वर ने उसे किसी बात की सजा दी है। इस रोग के संबंध में लोगों की यह गलत धारणा है, कि यह एक असाध्य रोग है, अर्थात इसका इलाज नहीं हो सकता। इस रोग से समाज इतना आक्रांत हो गया है कि लोग रोगी को घृणा की दृष्टि से भी देखने लगे हैं और उसकी समुचित चिकित्सा भी नहीं करते हैं। उनके साथ आमानवीय व्यवहार किया जाता है जो कि बिल्कुल ही अनुचित है। यह बीमारी तो अन्य बीमारियों की ही तरह है जो किसी को भी हो सकती हैं।
तभी वह महिला माया को पूछती है कि ऐसा सिर्फ उसके ही साथ क्यों हुआ? इस पर माया उसे बताती है कि इस रोग की गणना संसार के प्राचीनतम ज्ञात रोगों में की जाती है, क्योंकि यह एक धीरे-धीरे फैलने वाला और घातक रोग है। यह रोग संक्रामक रोग अर्थात यह एक दूसरे से फैलने वाला रोग है, क्योंकि यह रोग गंदगी में रहने वाले और समुचित भोजन के अभाव में लोगों में फैलता है। किंतु इसका अर्थ यह नहीं है, कि स्वच्छ और समृद्धिपूर्व जीवन बिताने वाले लोग भी इससे ग्रसित हो सकते हैं।
अपनी बात को बढ़ाते हुए माया बताती है कि यह रोग एक बैक्टीरिया के द्वारा फैलता है। जिसका नाम माइकरोबेक्टिरियम लैपरी है। यह एक ऐसा जीवाणु है, जो त्वचा में प्रवेश समझा जाता है। इस जीवाणुओं की खोज लगभग 100 वर्ष पूर्व हैनसेन नामक नॉर्वेजियन ने डेनमार्क के एक अनुसंधानशाला में की थी तथा यहीं पर अनुसंधानशाला में ही इस बात की पुष्टि की गई कि यह जीवाणु कुष्ठ रोग के उत्पत्ति के कारण हैं जो क्षय रोग जिसे हम टीबी के नाम से जानते हैं, के जिवाणुओ के सामान है और क्षय रोग की औषधियाँ कुष्ठ रोग की दवा जैसी चिकित्सा में सफल भी हुई हैं।
यह सारी बातें सुनकर वह महिला कहती है कि जैसा भी हो, आप मुझे ठीक कर दो, जो भी इलाज करना है आप कर सकती है। मुझे तो बस इस बीमारी से छुटकारा चाहिए। आप जैसा कहेंगी मैं बिल्कुल वैसा ही करूंगी। तभी माया उसे कहती है कि उसे खाने पीने संबंधी कुछ बातों का परहेज रखना होगा और परिवार का जब कोई व्यक्ति तुम्हें खाने पीने की वस्तुएं लायेगा तब उन्हें तुम वह चीजें मंगवाना जिससे तुम्हारा इलाज हो सके। अपने इलाज के बारे में अपने परिवार के सदस्य को बता सकती हो ताकि वह कुछ आवश्यक वस्तुएं ला सके। बस इस बात का ध्यान रखना है कि गांव में अन्य किसी को इस बात की खबर नहीं होनी चाहिए कि तुम्हारा यहां पर कोई इलाज कर रहा है, नहीं तो तुम तो कठिनाई में फंसोगी ही उसके साथ मैं भी मुसीबत में पड़ जाउंगी।
महिला - नहीं, दीदी ऐसा नहीं होगा। आप तो मेरी मदद कर रही हैं। फिर मैं आपको कैसे मुसीबत मे डाल सकती हूं।
माया - ठीक है, मै तुम्हें एक पर्चे पर कुछ चीजें लिखकर देती हूं। जैसे कि तुम्हें क्या खाना है और क्या नहीं खाना और उपचार हेतु कुछ दवायें भी चाहिए होंगी जो तुम अपने परिवार के सदस्य से मंगवा लेना उसके बाद मैं तुम्हारा उपचार करना प्रारम्भ कर दूंगी।
तभी माया देवी पर्चे पर कुछ परहेज लिखती है जो वस्तुएं उक्त महिला को नहीं खानी जैसे - आलू, बैंगन, मसूर की दाल, मांस-मच्छी, कबाब, लाल मिर्च, कचालू आदि बिल्कुल नहीं खाने हैं।
जो वस्तुएं लेनी है जैसे मूंग दाल की नरम पतली खिचड़ी जिसमें दो हिस्से दाल और एक हिस्सा चावल होना चाहिए। चपाती, साग, कद्दू, तुरई, पालक, मूंग की दाल, दूध, मक्खन और आयरन और कैल्शियम की दवाएं लेनी होंगी।
दवाओं में तुम्हें जो मंगवाना है जो इस प्रकार है - चालमोगरा को तेल और नीम का तेल घावों पर लगाने के लिए चाहिए होगा। इसके साथ ही नीम के पत्ते जो हमें यहीं जंगल से प्राप्त हो जायेंगे। उसके पत्तों को उबालकर उसके पानी से तुम्हें नित्य स्नान करना होगा और नीम के पानी का सेवन करना होगा।
बाकी मैं किसी डॉक्टर की सहायता लूंगी। जिससे तुम जल्दी से जल्दी ठीक हो जाओगी।
महिला - इसमें कितना समय लगेगा।
माया - तुम कम से कम एक वर्ष मे पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाओगी।
तभी उस महिला का संबंधी कुछ सामान लेकर वहां आ जाता है और वह माया को वहां देखकर हैरान होता है और उन्हें वहां से जाने के लिए कहता है। इस पर वह महिला कहती हैं कि माया तो उनकी सहायता करना चाहती है और वह उसका इलाज करके स्वस्थ भी कर सकती है। कुछ जरूरी सामान इस पर्चे में लिखा है, यह सब तुम ले आना, बस एक बात का ध्यान रखना इस बात की किसी को कानो कान खबर नहीं होनी चाहिए। वह व्यक्ति उनकी बात पर हामी भरता है और उनकी सहायता करने के लिए राजी हो जाता है क्योंकि वह व्यक्ति कोई और नहीं उस महिला का भाई था जो अपनी बहन के बीमार होने के बाद उसकी सहायता के लिए आगे आया था। परिवार के अन्य लोग उसकी इस बीमारी के भय से उसके निकट नहीं आना चाहते थे।