अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए रोहन सोना से पूछता है। अब बताओ मुझे अपनी पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिए क्या करना होगा। ताकि मैं भी बाहुबली की तरह एकदम तकड़ा और बलवान वन सकूं। बड़े-बड़े पहाड़ों पर चढ़ सकूं और जंगल में अकेला ही बड़े और शक्तिशाली जानवरों से भिड़ सकूं। अगर कभी जंगली भैंसा भी मेरे सामने आ जाये तो उसे सींगों से पकड़कर पलटा सकूं। ऐसा सुनकर सोना हंसने लगती है और कहती है - इतने बड़े-बड़े सपने भी मत देखो। हां मैंने तुम्हें ये जरूर कहा था कि तुम्हारे शरीर में ताकत और चुस्ती-फुर्ती आ जायेगी लेकिन तुम तो कुछ ज्यादा ही सोच रहे हो।
रोहन - मैं तो मजाक कर रहा था। फिर भी ऐसा कौन सा नुस्खा तुम्हारे हाथ लग गया है जिससे मैं सबकुछ पचा लूंगा और गंगाधर से सीधे ही शक्तिमान बन जाउंगा।
सोना - कर दी न बच्चों वाली बात। तुम बातों से अभी तक बच्चे ही हो। तभी तो मैं तुमसे कहती थी, तुमसे न होगा। जाओ, जाकर पोगो चैनल देखो।
रोहन - चिढ़ता हुआ, ऐसा मत कहो, तुमसे एक साल बड़ा हूं, सब पता है मुझे, बच्चा मत कहो मुझे। बुरा लगता है।
सोना - हंसते हुए, तुम्हें चिढ़ाने में बहुत मजा आता है, शकल तो देखो, चिढ़ते हुए कैसे लगते हो। ऐसा कहकर हंसने लगती है।
तभी रोहन को अपने पेट में गुड़गुड़ होने का अहसास होता है और वो बहाना बनाकर वहां से जंगल की ओर निकल जाता है। थोड़ी देर में वापिस आकर सोना से पूछता है। अब बताओ, तुम्हारा नुस्खा, आज से ही श्रीगणेश कर देते हैं।
सोना - ज्यादा कुछ नहीं, मेरे पास ऐसा एक प्राचीन पद्वति से बनाया हुआ पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक रस का एक नुस्खा है। जिसे ताजे फलों द्वारा बनाया जाता है। इसे पीते ही तुम्हें अपने शरीर में ऊर्जा का अनुभव होगा।
रोहन - अच्छा, ऐसा क्या? फिर तो मैं सारे का सारा पी जाउंगा।
सोना - बिल्कुल भी नहीं। यह दवा है जिससे तुम्हारा पाचन तंत्र मजबूत होगा। इसे पीते ही तुम्हारे सोचने की शक्ति बढ़ जायेगी और तुम्हें अपने शरीर में अद्भुद शक्ति का अनुभव होगा। इसलिए तुम्हें तीन महीने तक मेरी बतायी युक्ति का पालन करना होगा। इन तीन महीनों में तुम्हें रोज कुछ घण्टे कठिन शारीरिक श्रम करने होंगे और आयुर्वेदिक रस के साथ मेरे द्वारा बनाये बकरे के मीट को खाना होगा। फिर देखना कैसे इन तीन महीनों से तुम मानव से आदिमानव में बदल जाते हो। तब मुझे लगेगा कि वाकई तुम मेरे योग्य बन चुके हो।
यह सुनकर रोहन रोमांचित हो उठता है और सोना के लिए कुछ भी करने के उत्साहित होकर कहता है - जो भी करना है जल्दी बताओ, मैं करने को तैयार हूं क्योंकि इसमें तो मुझे हर ओर से लाभ ही लाभ दिखाई दे रहा है, कहकर हंसने लगता है।
तभी सोना अपने बाग के एक दूसरे कोने की ओर बढ़ने लगती है जो जंगल से सटा हुआ था। वहीं झाडियों के पीछे पहाड़ में एक छोटी सी गुफा दिखाई पड़ती है। जिस ओर सोना बढ़ने लगती है। गुफा में प्रवेश करते ही अंदर एक छोटा सा कमरा था। जहां अंधेरा ही अंधरा था। तभी रोहन को वही रूकने को कहकर सोना टॉर्च की रोशनी में अंदर जाती है और लगभग 5 मिनट बाद एक छोटी सी सुराही हाथ में लिये आती है और रोहन को बाहर आने को कहती है। रोहन हैरान था कि आखिर ये सब क्या है। बाहर खुली किचन में दो कांच के गिलास निकाल कर सुराही का मुंह खोलकर उसे एक जग में छानते हुए निकालने लगती है। छना हुआ साफ शर्बत कांच के गिलास में डालते हुए उसमें थोड़ा सा नींबू का रस, काला नमक, पुदीने के पत्ते और पहाड़ से आता हुआ एकदम ठण्डा पानी उस रस में मिलाकर रोहन को दे देती है।
रोहन डरता हुआ जैसे ही हर्बल रस को पीता है जो स्वाद में खट्टा-मीठा और नमकीन स्वाद का था, उसे काफी अच्छा लगता है। पूरा शर्बत पीते ही उसे थोडा हल्का और ऊर्जावान अनुभव होता है। वहीं उसके सामने बैठी सोना भी वही शर्बत पीते हुए रोहन को देखकर मुस्कुरा रही थी। खुद की ओर सोना को मुस्कुराते देख, वह भी मुस्कुराने लगता है।