शिष्य एक बार फिर से माता से पूछता है, हे जगदम्बा, मैं आपकी बारंबार वंदना करता हूं। कृप्या शांत हो जायें और हमारा मार्गदर्शन करें। हमें बतायें कि हम पर क्या मुसीबत आ चुकी है और इसका क्या निवारण है। तभी माता भारी स्वर में कहती है। यह ईश्वरीय शक्ति के कारण स्वस्थ नहीं हुई बल्कि इसे किसी शैतानी शक्ति ने स्वस्थ किया है जिसके बदले अब यह पूरा गांव मौत की आग में जलेगा। भयंकर बीमारियां फैलेंगी, तुम सभी मरोगे, बचेगी तो सिर्फ यह औरत और वो डायन जिसने तुम सबकी मौत के बदले इसे जिन्दगी बख्शी है। यह बात सुनकर सभी भयग्रस्त हो जाते है और वह महिला डर के कारण बेहोश होकर गिर पड़ती है। तभी उसका भाई वहां पहुंच जाता है और माता से निवेदन करता है। आप हमें क्षमा करें और मेरी बहन को माफ करें आप तो माता हैं, हम अंजान हैं, नादान हैं, हमारी भूलों को क्षमा करें। आप जो भी हमें आदेश देंगी हम उसे पूर्ण करेंगे। अगर हमारे कारण इस गांव पर कोई आपदा आती है तो हम सभी इस गांव को छोड़कर चले जायेंगे। बस आप हमें क्षमा कर दें।
यह सुनकर माता कुछ समय शान्त रहती है, फिर भारी स्वर में कहती है। ठीक है, मैं तुम्हें और तुम्हारे परिवार को क्षमा करती हूं। तुम्हारी कई पीढ़ियों ने मेरी उपासना की है, वह सब मेरे अनन्य भक्त रहे हैं। तुम्हें गांव छोड़कर भी जाने की कोई आवश्यकता नहीं। लेकिन उस डायन को अवश्य समाप्त करना होगा जो इस गांव के लिए अभिशाप है। तभी शिष्य माता से पूछता है, जल्दी बताये मां, वह कौन है और कहां रहती है। तभी माता बताती है िंक वह गांव के बाहर जंगल के पास के घर में रहती है जिनका घर कभी इस मंदिर के पास ही था लेकिन वह अधिक समय यहां न रह सकी, वही वो डायन है जो इस पूरे गांव का काल बनेगी। जितना जल्दी हो सके, उसे समाप्त कर दो, जैसी गांव की परंपरा है, उसे आज ही मध्यरात्रि तक समाप्त करना होगा अन्यथा वह तुम्हारे हाथ से निकल जायेगी। उसके बाद तबाही और मृत्यु के तांडव को तुम रोक न सकोगे। इतना कहते ही महिला जिसमें माता का आवेश था, एकाएक बेहोश हो जाती ळें
तभी श्रृद्धालुओं की भीड़ को बड़ी तेजी से चीरते हुए एक अघोरी बाबा जय महाकाल का जैकारा लगाते हुए मन्दिर में प्रवेश करते हैं। उनका सम्पूर्ण शरीर राख से लिपटा हुआ था। हाथ में त्रिशूल और जटाजूट धारी यह बाबा किसी भैरवनाथ से कम नहीं लग रहा था। तभी वह हवनकुण्ड के पास आकर जोर से कहता है। कहां है वो डायन, जिसके बारे में स्वयं महाकाली ने मुझे बताया और उसे नरक लोक में भेजने का मुझे आदेश दिया है। जल्दी बताओ, तभी पुजारी का शिष्य उन्हें प्रणाम करते हुए बाबा को पूरी बात बताता है कि किस प्रकार उस डायन ने गांव की एक महिला को इस शर्त पर पूर्ण स्वस्थ किया है जिसके बदले में वह पूरे गांव को बीमारी, सूखा और अन्य आपदाओं से नष्ट कर देगी। वह गांव के बाहर जंगल से लगते हुए घर अपने पति और अपनी पांच साल की बेटी के साथ रहती है। तभी अघोरी गुस्से में आकर बोला - तब देर किस बात की है, जल्दी चलो, हमें बिना देर किये, हमें उस डायन का अंत जंगल में बने उस स्थान पर करना है जहां हम इस प्रकार की बुरी शक्तियों का खात्मा करते हैं। यह कहकर मंदिर में पुजारी के शिष्य, पुजारी, प्रधान और अन्य गांव के लोग इकट्ठा होकर एक बैलगाड़ी लेकर जंगल की ओर चलने लगते है।
माया के घर पहुंचते ही तांत्रिक गांव वालो को उनका घर चारो ओर से घेर लेने का आदेश देता है। ताकि वह किसी भी प्रकार से भाग न सकें। इसके पश्चात वह शिष्यों के साथ झोपड़ी का दरवाजा तोड़ते हुए, माया को बालों से घसीटता हुआ बाहर ले आता है। उसके पीछे-पीछे उसका फौजी पति उनका विरोध करता है। तो सभी गांव वाले उसे पकड़कर रस्सियों से बांध देते हैं और बैलगाड़ी में डाल देते हैं। यह देखकर उनकी बेटी सोना पहले तो डर जाती है लेकिन हिम्मत दिखाते हुए वह भी उनका विरोध करती है। उसे 5 साल की छोटी बच्ची जानकर गांव वाले उसे झोपड़ी के अंदर एक अन्य छोटे कमरे में बंद कर बाहर से दरवाजे में कुण्डी लगा गांव की ओर रवाना होने लगते। माया दर्द के मारे कराह रही थी और गांव वालों से पूछ रही थी कि आखिर मैंने किया क्या है। मेरे साथ ऐसा सूलूक क्यों किया जा रहा है। तभी भीड़ में से एक औरत उसे बोलती है, तू चुड़ैल है, चुड़ैल। अपने जादू से पूरे गांव को खा जाना चाहती है, अब देख हम तेरे साथ क्या करते हैं?