इन सब बातों को याद करके और आज प्रधान द्वारा कही बात को सुनकर सोना बदले की आग में जलने लगती है। गुस्सा और नफरत उसकी आंखों और चेहरे पर उतरने लगता है। तभी वो रोहन को देखती है और अचानक से उसके चेहरे के भाव बदलते हैं और वह बहुत ही ज्यादा रोमांटिक होते हुए रोहन से कहती है। तुम्हें पता है, मुझे कैसे लड़के पसंद हैं? यह बात सुनकर रोहन थोड़ा सा घबराते हुए कहता है - कैसे?
सोना - तुम्हारे जैसे, लेकिन......?
रोहन - लेकिन क्या?
सोना - तुममे एक-दो बातें तो हैं, लेकिन मुझे लगता है तुममें वो बात नहीं जो होनी चाहिए।
रोहन - तुम्हारा क्या मतलब है?
सोना - यही कि तुम प्यारे हो, केयरिंग हो लेकिन एक लड़की इनके अलावा और भी कुछ खास बातें चाहती है।
रोहन - वो क्या?
सोना - यही कि वह बहादुर होना चाहिए, बुद्धिमान होना चाहिए और जिससे प्यार करता हो उसके लिए किसी भी हद तक कर गुजरने वाला होना चाहिए। मेरा मतलब है कि उसकी हर मुसीबत में उसका साथ देने वाला होना चाहिए।
रोहन - ये बातें तो मुझमें भी हैं, मैं बहादुर हूं, बुद्धिमान हूं और तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूं।
सोना - रहने दो, तुमसे न होगा, ऐसे ही बड़ी-बड़ी बाते कर रहे हो।
रोहन - वो तो समय आने पर पता चल जायेगा कि मैं भी क्या चीज हूं।
सोना - अच्छा, अगर अभी मैं कुछ ऐसा कहूं जो तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल है, तो कर सकोगे, अपनी बहादुरी और प्यार दिखाने के लिए। बस यह एक ही मौका दूंगी, अगर नही कर पाये तो फिर कभी मेरे सामने मत आना।
रोहन - घबराते हुए कुछ नहीं बोलता।
सोना - डरो मत, जंगल नहीं भेज रही और न ही किसी से लड़ना है। फिर भी तुम्हारे लिए कठिन है, लेकिन देखते हैं क्या तुम कर सकते हो। अगर ये कर दिया तब मानूंगी कि तुममे भी कुछ दम है।
रोहन - झुंझलाते हुए, जल्दी बोलो क्या करना है।
सोना - तुम्हें मेरे साथ, मेरा पकाया हुआ बकरे का मीट खाना होगा जो कल मेरी बागवानी में फंस गया था।
रोहन - घबराते हुए, इधर-उधर देखने लगता है।
सोना - बस, निकल गई हेकड़ी, मुझे पता था, तुम्हारे बस का कुछ नहीं। मेरे लिए मीट नहीं खा सकते और बड़ी बहादुरी की बातें करते हो। मैं किचन की ओर जा रही हूं। मुझे बातें बनाने वाले बिल्कुल पसंद नहीं, समझे।
रोहन - सोना, मेरी बात तो सुनो, मैं खाऊंगा, लेकिन इससे कुछ होगा तो नहीं।
सोना - हंसते हुए, क्या होगा, अभी तक मुझे कुछ हुआ जो तुम्हें होगा।
रोहन - बस मन नहीं मान रहा, डर लग रहा है। देखो पसीना आ रहा है।
सोना - तभी तो मैं कहती थी, तुममे वो बात नहीं, जैसा मैं चाहती हूं एक लड़के में। बहादुर और ताकतवर।
क्या तुम्हें पता है, मांस खाने से ही एक लड़का असली मर्द बनता है या यूं कहें कि उसकी ताकत और बहादुरी का राज ही मांस खाना और खासकर उसका शिकार करके खाना होता है।
रोहन - ये क्या कह रही हो, ऐसा थोड़े ही होता है।
सोना नाराज होते हुए - इसका मतलब मैं बेवकूफ हूं, गलत बोल रही हूं। तुम मुझे बेवकूफ कह रहे हो।
रोहन - नहीं ऐसी बात नहीं है। तभी सोना किचन में पहुंच कर दो प्लेटें निकालती है और उसमें जंगली सुअर की मीट डालती है जिसका नाम उसने बकरे का मीट रखा हुआ था और रोहन से कहती है। मेरे हाथों से बना इस बकरे का मीट खाओगे तो ऐसा स्वाद तुम्हें बाहर कहीं नहीं मिलेगा।
रोहन मन मसोजकर उसे देखता है कि कैसे खाऊं। तभी सोना अपने हाथ से एक मीट का टूकड़ा पकड़ कर रोहन के मुंह में डाल देती है। जिसका नर्म और मसालेदार स्वाद पहले तो उसे अजीब लगता है और उसे उल्टी जैसे अनुभव होता है लेकिन मन मसोजकर सोना के लिए वह उसे निगल जाता है। तभी सोना उसे पूरी प्लेट में रखा सारा खाने को कहती है और खुद भी खाते हुए उसे खाता देखकर मन ही मन खुश हो रही होती है कि आखिर मैंने अपने बदले की शुरूआत कर दी है। जिन ब्राह्मणों को अपनी सात्विकता पर इतना गर्व है आज उसने उसी ब्राह्मण को वह चीज खिलाकर उनके समक्ष कर दिया जिसे अक्सर उनकी नीची जाति के समाज द्वारा खाया जाता है।
वहीं रोहन मन मसोज कर सोना को खुश करने खातिर एक-एक करके उस बकरे को खा रहा था जिसे देखकर सोना मन ही मन अपनी विजयी मुस्कान बिखेर रही थी। लेकिन बेचारा रोहन जिसके साथ किस्मत ने अभी न जाने क्या-क्या होना लिखा था।