इस घटना के बाद सोना अपने परिवार के साथ रहने लगी। जंगल में किसी अनजान जड़ी-बूटी के सम्पर्क में आने के कारण अब सोना का शरीर सामान्य लड़कियों की तरह बढ़ने लगा था जिसे देखकर गंगाधर, काया और सोना सभी खुश थे। तांत्रिक रूद्रनाथ और उसके चेलों को मारने के बाद भी अभी फौजी गंगाधर और उसकी बेटी सोना का मन शांत न हुआ था। वो कहते हैं न, शेर के मुंह में अगर एक बार इंसानी खून लग जाये तो वो आदमखोर हो जाता है। ठीक, यही हाल इंसानों का भी है। किसी इंसान के खून से हाथ रंगने के बाद अगर वह कानून के शिकंजे से बचकर आजादी से बेखौफ इस दुनियां रूपी जंगल में घूम रहा हो तो वह किसी आदमखोर शेर से कम नहीं.....
अब गंगाधर सोना को रोज जंगल घुमाने ले जाता और उसे जंगल में जिन्दा रहने के फौजी तौर-तरीके सिखाता कि किस प्रकार अपने से अधिक शक्तिशाली दुश्मन को छिपकर या घात लगाकर मारा जा सकता है। जिसे हम अक्सर गुरिल्ला युद्ध के नाम से जानते हैं। इस कला का उपयोग जंगल में रहने वाले आदिवासी कबीलों द्वारा किया जाता है। छत्रपत्रि शिवाजी महाराज ने अपने योद्वाओं को भी गुरिल्ला युद्ध तकनीकों से प्रशिक्षित किया था जिसकी सहायता से उन्होंने मुगलों की नाक में दम कर दिया था। फौज में कुछ फौजियों को इन तकनीकों को सिखाया जाता है। जिसकी सहायता से वह दुश्मनों पर छिपकर घात लगाकर हमला करने में सक्षम हो जाते हैं। यह तकनीक इतनी खतरनाक है जिसकी सहायता से गिनती में कुछ ही गुरिल्ला योद्धा सैंकड़ों की संख्या में दुश्मन से लोहा लेने में सक्षम हो जाते हैं और यदि वह जंगल या किसी ऐसे स्थान पर हों जहां उनका छिपना आसान हो, तो उनसे बचना लगभग नामुमकिन हो जाता है। अपनी इन्हीं तकनीकों को फौजी गंगाधर अपनी बेटी सोना को धीरे-धीरे सिखाता जा रहा था और सोना इस बात से बिल्कुल बेखबर थी कि उसे किसी प्रकार का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उसके लिए तो यह सब मात्र खेल और शारीरिक प्रशिक्षण था, जो उसके शारीरिक विकास के लिए आवश्यक था। ऐसा उसे उसके पिता ने बताया था।
अपना बीता हुआ कल सोचते-सोचते अचानक सोना किसी आवाज को सुनकर वापिस अपने वर्तमान में 10 वर्ष आगे पहुंच जाती है। जहां वह अब उसका शरीर 15 वर्षीय लड़की का हो चुका है लेकिन उसकी वास्तविक आयु इस समय 25 वर्षीय एक युवा कन्या की है। जैसा कि पिछले 15वें अंक में आपने पढ़ा था कि किस प्रकार सोना गांव के एक ब्राह्मण 16 वर्षीय नवयुवक रोहन से दोस्ती करती है और उसे अपने प्यार के जाल में फंसाकर उसे सुअर का मीट, बकरे का मीट बताकर खिलाती है, हर्बल रस के नाम पर उसे सोमरस से परिचित करवाती है और यह सब देखकर मन ही मन प्रसन्न होती है कि उसने अपने बदले की प्रथम सीढ़ी चढ़ ली है कि गांव के इन ब्राह्मणों को जो अपने को बहुत शुद्ध, सात्विक और उच्च मानते हैं और अन्य शूद्रो को पशुओं से भी निम्न जानते हैं। उसने आज एक ब्राह्मण के पुत्र को वह चीज खिला दी जिसे अक्सर शूद्रो द्वारा उपयोग किया जाता है। आज एक शुरूआत हो चुकी है, इन दोनों वर्गों के एक होने की क्योंकि जैसे की एक कहावत है कि एक गंदी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है। ऐसा ही कुछ मानना था, इस कहानी की नायिका, सोना का......
सोना ने रोहन को इन्स्पेक्टर शक्तिनाथ के बारे में जानकारी लेने के लिए भेजा था क्योंकि शक्तिनाथ जंगल में हुई फारेस्ट गार्ड की हत्या की तफ्तीश कर रहा था। सोना इस समय यह जानने को उत्सुक थी कि आखिर इन्स्पेक्टर किस तरह का व्यक्ति है और उसे उससे बचने के लिए क्या तैयारियां करके रखनी चाहिए। अब आगे क्या होता है, पढ़ें अगले अंक में।