हर्बल रस पीते ही रोहन अपने शरीर में तुरन्त शक्ति के संचार का अनुभव करने लगता है और उसे बड़ी जोर से भूख लगने लगती है। तभी वो सोना से शरारती अंदाज में कहता है। तुम्हारा रस तो बहुत कमाल का है, देखो अभी इसका थोड़ा सा ही स्वाद चखा और मेरी भूख और ज्यादा बढ़ गयी। कुछ खाने को हो तो दो। तभी सोना किचन की ओर इशारा करते हुए कहती है। वहां मैंने स्वादिष्ट अचार बनाया हुआ है। तुम उसका स्वाद भी ले सकते हो। रोहन किचन की ओर जाने लगता है, जहां एक कोने में कांच का एक बड़ा मर्तबान रखा हुआ था। जिसके ऊपर बड़े अक्षरो में बकरे का स्वादिष्ट अचार लिखा हुआ था जो असल में जंगली सुअर का अचार था।
सोना की डिक्शनरी में सुअर का नाम बकरा था। 🐶
रोहन एक बार बकरे के मीट का स्वाद चख चुका था। पहला अनुभव उसका कुछ अधिक अच्छा नहीं रहा लेकिन धीरे-धीरे उसे यह अच्छा लगने लगा था।हर्बल रस पीने के बाद जिस ऊर्जा, प्रसन्नता और उत्साह का अनुभव आज रोहन कर रहा था। ऐसा अनुभव आज उसके जीवन में पहली बार हुआ। अत्यधिक उत्साहित रोहन भूख के कारण अधिक कुछ नहीं सोचता और मर्तबान खोलकर उसमें से तीन-चार पीस निकालकर खाने लगता है। जो खट्टे और मसालेदार थे। जिसका नर्म और चटपटा स्वाद अब रोहन को बहुत अच्छा लगने लगा। रोहन को इतने मजे से सुअर का अचार खाते देखकर दूर खड़ी सोना मन ही मन खुद को विजेता होने का अनुभव कर रही थी कि कैसे उसने अपनी मंजिल की पहली सीढ़ी तो चढ़ ही ली है। अब उसके बाकी के काम को रोहन अंजाम देगा क्योंकि रोहन ने अपनी इच्छा से ही अपनी पुरानी रूढ़िवादी सोच की जंजीरों को तोड़ दिया था। जिस प्रकार रोहन आज इतना आनन्द मना रहा था। यही उसके जीवन में नये मोड़ लाने वाला था। जिससे रोहन की पूरी जिन्दगी बदल जाने वाली थी।
अब सोना मन ही मन सोच रही थी कि वो इन्स्पेक्टर जरूर एक न एक दिन उन तक पहुंच सकता है जो बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है। तभी सोना रोहन को बुलाकर कहती है - रोहन, अकेले-अकेले ही अचार के मजे ले रहे हो, जिसने बनाया, उसे भी तो एक बार पूछ लो। रोहन अचार सोना की ओर बढ़ाता है, तब सोना कहती है - अब रहने दो, कहने के बाद दिया। अब क्या फायदा।
रोहन मेरी बात ध्यान से सुनो - तुम्हें उस इन्स्पेक्टर के बारे में कुछ बातें पता करनी होंगी कि वो किस तरह का आदमी है। उसे क्या पसंद और नापसंद है। अब तुम कैसे पता करोगे, ये तुम जानो। अगर हमें उसके बारे में थोड़ा बहुत ही मालूम होगा तो हमारे लिए अच्छा होगा। सोना की बात सुनकर रोहन हामी भरता है और गांव की ओर जाने लगता है। तभी सोना रोहन को कहती है। गांव में किसी से तुम्हारी और मेरी दोस्ती के बारे में और खाने पीने के बारे में मत बताना।
रोहन - तुमने मुझे पागल समझा है कि मैं किसी को बताउंगा। मेरी शामत आ जायेगी। ऐसी गलती तो मैं भूलकर भी नहीं कर सकता। कहकर गांव की ओर चला जाता है। उसे जाता हुआ देखकर सोना किसी गहरी सोच में डूब जाती है। तभी सोना को पीछे से उसे पुकारने की आवाज आती है तो उसका ध्यान टूटता है। जहां उसके पिताजी खड़े उसे बुला रहे थे। सोना के पिता जो फौज से रिटायर्ड आर्मी पर्सन थे। कद काठी में पूरा फौजी रूतबा और कसरती शरीर के कारण 55 साल का होने के बावजूद वह अपनी आयु से कम ही जान पड़ते थे। तभी सोना के पिताजी सोना से कहते हैं। बेटा ये सबकुछ जो तुम कर रही हो, तुम्हें क्या लगता है, हमें कुछ पता नहीं। ऐसा कोई काम मत करो, जिससे तुम्हें आगे चलकर पछताना पड़े। अपनी नफरत को भूल जाओ, उन गांव वालों ने तुम्हारी मां के साथ क्या किया। उसकी सजा उन्हें भगवान देगा। तुम्हें अपने आज को संवारना चाहिए। न कि बदले की आग में जलते हुए, खुद भी उनके जैसा बन जाने के। क्योंकि आखिरी में जब तुम कानून के शिकंजे में फंस जाओगी तब मैं भी तुम्हारी मदद नहीं कर सकूंगा। इसलिए बेटी यह सब छोड़ दो और एक अच्दी लड़की की तरह अपनी जिन्दगी जिओ। आगे की ओर देखो जहां सुनहरा भविष्य तुम्हें पुकार रहा है। बीती बातों से दिल दुखाने का कोई फायदा नहीं।
तभी सोना अपनी उन यादों को याद करने लगती है। जिस दिन वो अपने पैतृक गांव में आये थे।