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साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........

6 अगस्त 2023

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"साढा चिड़िया दा चम्बा है बाबल अंसा उडड जाना।
साढी लम्बी उडारी वे ।के मुड़ असा नहीं आना...."

संगीता पड़ोस में किसी लड़की की शादी में हल्दी की रस्म हो रही था वहां बैठी ये गीत सुन कर भाव विभोर हो गयी। क्यों कि आज जो गाना वह सुन रही थी वो अक्सर पिता जी गुनगुनाते थे जब वो छोटी थी।चार बहनों में सबसे छोटी होने पर कुछ ज्यादा ही चंचल थी संगीता ।हर समय यहां से वहां , वहां से यहां फुदकती रहती थी।पिता जी हर बार यही कहते थे ये चारों मेरी चंचल चिड़िया है यहां से वहां उछलकूद करती रहती है देखना संगीता की मां जब मैं मरुंगा तो चारों कोनों से मेरी बेटियां रोती हुई आयेगी और फिर से यही गाना गुनगुनाने लगते।
तभी मां कहती ,"यूं तो आप अपनी चंचल चिड़ियों को अपने पास बुलाना चाहते हो और गीत में गा रहे हो कि "असा नहीं आना"
पिता जी खिलखिला उठे ," किस माई के लाल में हिम्मत है जो मुझे मेरी बेटियों से दूर रखें।"

धीरे धीरे समय के साथ संगीता की तीनों बहनों की विदाई हो गई। भगवान ने तीन को घर वर बहुत अच्छे दिए।
अब संगीता के लिए घर वर की तलाश की जा रही थी।पिता ने भी अपनी आख़िरी जिम्मेदारी बखूबी निभाईं।
बस गलती एक कर गये कि अपने से ऊंचे खानदान पर अंगुली रख दी।
कहते हैं बेटी हमेशा बराबर के रसूखदार खानदान में बिहानी चाहिए।अपनी सारी जमापूंजी संगीता की शादी में लगा दी।
पर कहते हैं लालची लोगों का कभी पेट नहीं भरता।वहीं संगीता के साथ हुआ। ससुराल आते ही उसे ताने मिलने लगे।"भुखे घर की आ गई ।अब यहां भी अपने लंछन दिखाएगी।"
कभी संगीता बाजार जाती और साधारण सी कोई चीज पसंद कर लेती तो नन्द तुरंत ताना मारती,"भाभी की तो कोई क्लास ही नहीं है ।हमें शर्म आने लगती है ऐसी घटिया चीज लेते हुए।"
संगीता मन मसोस कर रह जाती।
पति विनेश से कहती तो वो उसी पर झल्लाता,"अब वो सही तो कह रही है तुम तो कोई ऐसे वैसे घर में ही जाने लायक थी बेकार ही तुम्हारे बाप ने मेरे पल्ले बांध दिया ।मैं तो कोस रहा हूं उस घड़ी को जब मैंने तुम्हारे लिए हां भरी थी।"
संगीता को बहुत बुरा लगता जब कोई उसे उसके पिता के विषय में उल्टा सीधा कहता।सास नन्द जब बुरी तरह झिड़कती तो वो कमरे में जाकर सुबकने लगती।
शादी को साल हो गया था पर संगीता को सुख का सांस नहीं था ।एक साल में कुल दो बार मायके गई थी। मां संगीता की आंखों में ही देखकर बेटी के दुःख को जान जाती थी
संगीता अपने पिता को डर के मारे कोई बात नही बताती थी क्योंकि उसकी शादी के बाद पिता को दो हार्ट अटैक आ चुके थे।

तभी संगीता की तंद्रा भंग हुई ।सास ने पीछे से आवाज़ दी ,"क्यों री ।इतनी मग्न हो गई हल्दी की रस्म में।तुझे ये अंदाजा है विनेश के आने का समय हो गया है जा घर जा ।उसे खाना परोस कर दे।"
संगीता दौड़ी दौड़ी घर की ओर चली गयी जाकर देखा।पति विनेश  फैक्ट्री से आ चुके थे और आग बबूला हो ड्राइंग रूम में बैठे थे। क्योंकि सास और नन्द दोनों ही शादी में गयी थी औश्र संगीता भी बस अभी आधा घंटा  पहले ही तो हल्दी की रस्म में भाग लेने गई थी। संगीता को देखते ही विनेश का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया और आते ही जानवरों की तरह उस पर टूट पड़ा वह जब तक नहीं थमा जब तक संगीता के मुंह से खून नहीं निकलने लगा।वह फर्श पर पड़ी सिसक रही थी।अब बात बर्दाश्त के बाहर हो गयी थी वह उठी और अपने कमरे की और धीरे धीरे जाने लगी और अंदर जाकर कमरे के दरवाज़े की सिटकनी लगा ली और पंखे से झूल गयी।
गाना अभी भी साथ वाले घर में बज रहा था

"साडी लम्बी उडारी वे ।बाबल असा नहीं आना।"
आरती

आरती

बहन जी, बहुत ही शिक्षाप्रद है आपकी लिखी हुई कहानियाँ।

22 मार्च 2024

Harsh

Harsh

Sach hai zindagi ka ye 👍🙏

8 अगस्त 2023

Hardik

Hardik

Kaafi Sundar leekha hai aapne 👏👍

8 अगस्त 2023

bindu goyal

bindu goyal

Ladki ke jeevan ki sachai iss liye nari Shakti ko salaam

7 अगस्त 2023

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रचनाएँ
साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........
5.0
बेटियां क्यों पराई हो जाती है । क्यों वो हक से अपने अपने मायके नही आ पाती ।उसके दो घर होने के बाद भी कोई घर नहीं होता। मां कहती हैं पराई है और सास कहती हैं पराये घर से आई है बड़ी गजब रचना हूं मैं तेरी भगवान। बेटी बन कर भी पराई ,बहू बन कर भी पराई।।
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साढ़ा चिड़ियां दा चम्बा वे........

6 अगस्त 2023
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"साढा चिड़िया दा चम्बा है बाबल अंसा उडड जाना।साढी लम्बी उडारी वे ।के मुड़ असा नहीं आना...."संगीता पड़ोस में किसी लड़की की शादी में हल्दी की रस्म हो रही था वहां बैठी ये गीत सुन कर भाव विभोर हो गयी। क्य

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