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सफर

29 सितम्बर 2021

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 ✍️

ये सफर दो दिलों के मिलन से,
            दो जिस्म से एक जान हो गया ।
हमारे इश्क के एक मुकाम से,
            खूबसूरती का ज़हान हो गया ।
तांक पर रखी जब सारी ख्वाहिशें,
           अपनों ने भी बना लिए थे फासले ।
 हम ही केवल हौसलों के साथ थे,
            उम्मीद की एक लौ लिए बस हाथ में ।
कई तूफान आए आकर निकल गए,
             कुछ संभले तो कुछ मसल गए ।
हर पड़ाव को हमने भी सहारा बना लिया,
             टूटी हुई कश्ती से भी पार पा लिया ।
मंजिल है अभी दूर चलते ही जाना है,
             राह की हर अड़चन को दूर भगाना है ।
हर उस चेहरे का रंग पराया लगता है,
             जो सच्चाई का झूठा दामन ओढ़ा है ।
केवल परिंदों के उड़ने का इंतजार है,
              करना जिन्हें हासिल अब मुकाम है ।
हिम्मत ! हमें उनकी अब बढ़ानी है,
              जिसने दिल से करने की कुछ ठानी है ।

जल्द ही इस वक्त की अब तकदीर बदलने वाली है
तख्त के साथ हर लम्हे की तस्वीर बदलने वाली है ।।
उसके हाथ में ही केवल मेरे तकदीर की चाबी है
जिसने दी मुझे इस सफर पर चलने की आजादी है ।।🙏
आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

बहुत सुन्दर सराहनीय रचना

29 सितम्बर 2021

ममता

ममता

सुंदर रचना

29 सितम्बर 2021

Pratik Tiwari

Pratik Tiwari

बहुत खूब

29 सितम्बर 2021

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रचनाएँ
ह्रदय लेख
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🍀🍀दिल से निकली, खुले विचारों से लिखी। ज़िंदगी की हकीकत से रूबरू कराती है। संक्षेप में बहुत कुछ कह जाती है। अनजाने में ही सही अपने अस्तित्व का अहसास कराती।🌻🌻
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