✍️कई बार ऐसा हुआ है। अब तो आदि हो गये हैं अपनी आलोचना सुनने के। परन्तु स्वयं को टटोला तो पाया कि हम किसी को इतना महत्व ही क्यों देते हैं कि कोई भी हमें मौका मिलते ही आहत करने पर उतारू हो जाता है। आखिर हममें क्या कभी है और दुनिया में ऐसा कौन सा व्यक्ति है जो पूर्ण रूप से सर्वश्रेष्ठ है। कुछ लोगों कि फितरत होती है अपने को श्रेष्ठ और अन्य को नीचा दिखाना परन्तु ऐसे लोगों कि वजह से हम क्यों दुखी हो । जब हम पूरे विश्वास से अपने कर्त्तव्यों को पूर्ण श्रद्धा और निष्ठा से करते हैं साथ ही ये ध्यान रखते हैं कि कोई हमारी वजह से आहत न हो तो फिर हम अपने आत्मसम्मान को ठेस क्यों पहुंचने देते हैं। सिर्फ उस मोह के कारण जो हमें हमारे अपनों से बांधे रखता है। आखिर हम अपनों से इतना मोह ही क्यों रखते हैं कि हमें उनके कारण बार बार आहत होना पड़े। जब हम अपनी कदर स्वयं नहीं करेंगे तो कोई अन्य भी नहीं करेगा। सर्वप्रथम स्वयं को महत्व दीजिए और स्वयं से जुड़ी महत्वकांक्षाओ की पूर्ति कीजिए ना कि उनकी आहुति। स्वयं को इतना मजबूत बनाइए कि किसी की कही बातों का आप पर कोई असर ना हो । हम सभी एक दूसरे के पूरक तथा सहयोगी हैं। यदि हम किसी पर निर्भर हैं तो हम पर भी बहुत कुछ निर्भर है। हम जुबान से नहीं दिल से इज्जत करते हैं इसलिए खामोश रहती हैं परंतु जब सब्र का बांध टूटता है तो ईट से ईट बजा देती हैं।
🍀🍀दिल से निकली, खुले विचारों से लिखी। ज़िंदगी की हकीकत से रूबरू कराती है। संक्षेप में बहुत कुछ कह जाती है। अनजाने में ही सही अपने अस्तित्व का अहसास कराती।🌻🌻