✍️जन्मभूमि ही कर्मभूमि हैं,------
इसको बिल्कुल भी बिसराना ना ।
पंख फैलाकर दूर गगन मे,----
तुम बिल्कुल भी इतराना ना ।
चाहें डोर हो कितनी लंबी,-----
तुम रखना बांह हमारी जकड़ी ।
इस जमीं से उस आसमां तक,-----
ज्यादा नहीं है फासला ।
गर मन में हो अटूट विश्वास, बुलंद हौसला---
व मजबूत इरादा ।
भटक गए गर हमसे तुम तो, -----
खोज के भी वापस ले आएंगे ।
चाहें करने हो पर्वत, नदियां, ताल, समुंदर पार
ज़हन में बस ये रखना तुम विश्वास कि,----
आज नहीं तो कल अवश्य होगा बेड़ा पार ।🙏