✍️साथ तुम भी हो , तो साथ हम भी हैं
संग में कुछ खुशी , तो कुछ गम भी हैं।।
हर कारवां के संग, हैं ! तंग बहुत ही रास्ते
धीरे ही सही, चलो राह पर बांह को थामें ।।
कुछ अपनी कहो, तो ! कुछ मेरी सुनो
कोई मिलकर नया, एक तराना बुनों ।।
कट जाएगा सफर, गाते-गुनगुनाते हुए
हंसते-रोते और, यूं ही मुस्कुराते हुए ।।
इस रंग बदलती दुनिया के नित्य नए ढंग हैं
छोड़ फिक्र तू कल की, हर पल नयी जंग है।।
थक कर बैठ गए भी तो, हमको क्या गम है
साथ रहैं, एक-दूजे के ये भी क्या कोई कम है ।।
सांझ ढले तो, कंधे पर सिर रखकर सो जाएं
चांदनी रात में, तारों की रोशनी में खो जाए ।।
यह वक्त, बंद मुट्ठी में रेत सा फिसलता जाएगा
इस चार पल के लिए, तू कल बड़ा पछताएगा ।।
वक्त निकाल, अपनों से -- कुछ अपने लिए भी
तनहाई में ही सही, उम्रभर संग जीने के लिए ।।
विरला विघ्न, यदि हमसे टकरा भी जाए तो
तू मेरे आंचल, मैं तेरी बाहों में समा जाऊं ।।
धूप-छांव की अठखेली भरा ये जीवन,
चाहे कितना भी जोर लगाएगा
सांसो की डोर से जुड़ा यह रिश्ता
चाहकर भी कोई तोड़ ना पाएगा ।।
रचना है हम उस जगत पिता परमेश्वर की
जिसने ये सारा ब्रह्मांड रचाया है
हमने अपने कर्मों का सब लेखा जोखा
केवल उसके हाथ थमाया है ।।🙏