🌺🌺जिन खोजा तिन पाइयां, गहरे पानी पैठ
मैं बापुरा बैठन डरा, रहा किनारे बैठ।।🌺
✍️सत्(सत्य), चित्(मन), आनन्द(संसार)--- सच्चिदानंद के अन्वेषण हेतु कहीं अन्यथा भटकने की आवश्यकता नहीं है, अपितु यह प्रत्येक व्यक्ति के मृगतृष्णा रूपी चंचल ह्रदय में विद्यमान / छिपी हुई कस्तूरी के समान परमानंद की साक्षात अनुभूति है।
जो प्राणी शांत व एकाग्रचित्त हो पूरी श्रद्धा और तन्मयता तथा भय से मुक्त होकर , संसार रूपी परिभाषा का आकलन कर स्वयं को इसमें रमा लेता है वह मिथ्या जगत के भवसागर रुपी तिमिर का नाश कर उगते सूर्य की भांति अपना जीवन व्यतीत करता है।
जो कि अटल और शाश्वत सत्य है। 🙏🌺🌺