✍️पता नहीं कौन सी है ? वो --- राशि
न जाने किस देश का है वासी ।।
दिनभर तो उलझन में रखता
सांझ ढले को बाट हे जोहता ।।
स्वप्नलोक की सैर में ले जाकर
निंदियों में अक्सर चौंका कर ।।
मंद गति से वो मुस्काता है
मानो अपना दिल बहलाता है ।।
है विचित्र पहेली समझ न आए
ये उलझन कोई कैसे सुलझाए ।।
मुखड़ा उसका देख ना पाऊं
आंख खुले तो घबरा सा जाऊं ।।
होगा कोई, चंचल सा चितवन, मतवाला
संगी-साथी कोई--- अपने जैसे सुरवाला ।।🙏