✍️ तीन अक्षर के इस शब्द में बहुत कुछ समाया है
जीवन को, जीने का ढंग नया सिखाया है ।।
भविष्य के लिए वर्तमान में कब, क्या, क्यों, कैसे,
संजोना है--- यह हम सब को समझाया है ।।
जैसी तपस्या आज करोगे वैसा ही कल पाओगे
धन, संस्कार, कर्म सबकुछ छोड़ यहां से जाओगे ।।
खाली हाथ ज़हां में आए थे, खाली ही सबको जाना है
जीवन में उत्तम कर्म करो ताकि पड़े न कभी पछताना रे ।।
धन-धान्य से भंडारे भरने के चक्कर में अपनी
आज की खुशियों को कल पर ना कुर्बान करो ।।
🌼 हमारी आय का कुछ अंश हम भविष्य संबंधित आपदाओं या आवश्यकताओं के लिए संचित करके रखते हैं । जिस प्रकार धन की बचत हमारे भविष्य में सहायक और आवश्यक है तो उसी प्रकार अपनों का प्यार,आशीर्वाद, संस्कार, परंपराएं तथा नित्य नये परोपकारी कार्य, एक-दूसरे के प्रति वेदना, करुणा का भाव, धार्मिक और सामाजिक कार्यों में हमारी भागीदारी तथा निस्वार्थ सहयोग आदि भी दर्जनों ऐसी बचत हैं जिन्हें हमें भविष्य के लिए सहेज, संवार कर रखना होगा। केवल धन अर्जन और संचय जीवन यापन का एक अकेला साधन मात्र नहीं हो सकता। धन के साथ भविष्य में हमें इनकी भी अति आवश्यकता होगी। 🌼
तिनका तिनका जोड़ के आशियाना बनाना पड़ता है
जो केवल चार दिवारी और छत ढकने से पूर्ण नहीं होता
अपनों की खुशियां, प्यार और साथ निभाना पड़ता है
जो इन रिश्तो को बड़ी नम्रता से बोता है, केवल वहीं सफल बचत ध्येता है। 🙏