✍️
सृष्टि का कर्ता भी, उस पल को कोसता होगा
क्यों ? नर रूप, धरा पर भेजा ये सोचता होगा ।।
जिस जग को, स्वर्ग से भी -- सुन्दर था बनाया
भांति-भांति के पुष्पों से गुलशन था महकाया ।।
क्या पता था, कि एक दिन ऐसा भी आ जाएगा
जहां पर स्वयं, रक्षक ही भक्षक बनता जाएगा ।।
नारायण सेवा भूलकर मानव ये दिन दिखलायेगा
चौड़ी छाती कर शान से अपना डंका बजाएगा ।।
नफ़रत की चिंगारी से सब खाक़ में मिल जाएगा
आखिर! कब तक तू अपनों पर कहर डहायेगा ।।
सामूहिक चेतना जागृत कर बिगुल बजा दो उद्धार का
अंत समय है ये स्वर्ग सी सुंदर धरती के पुनरूद्धार का
रोक सको तो रोक लो तबाही के भयावह मंजर को
वरना रोक न कोई फिर पायेगा सृष्टि के तांडव को ।।
🙏