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अनुनय

29 सितम्बर 2021

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✍️ 

ये ----  जिंदगी महज एक कर्ज़ है

जहां -- निभाने नित नए फर्ज़ हैं ।।


अश्रु ------ !   छलका,   सकते नहीं 

किसी को कुछ,  जता सकते नहीं ।।


कब, कहां, क्यों, कैसे, कितना, आदि प्रश्न सब मौन हैं 

ढांढस ---- बधांने को भला, बचा यहां अब कौन हैं ?।।


हर कोई,  खुद  !    में  इतना  मशगूल  है

दर्द, किसे, किसी,  का कहां कबूल है ?।।


तू ही बता ए जिंदगी ! हुई है क्या हमसे खता 

जो, तू !  रहती है यूं --- कुछ, खफा-खफा ।।


क्या,  अर्जी हमारी,  तुझ तलक पर पहुंची नहीं 

या --- रह गयी, बंदगी में मेरी कहीं, कोई कमी।।


आंख भी नम रहती है,  दिल भी अंदर से रोता है

 कि, अक्सर ! मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है ?।।


जानती  हूं  मैं,  कि ये चुनौतियों का  ही  दौर  है 

कि, मिलना अभी नहीं,  मुश्किलों से भी ठौर है।।


आखिर ! हूं तो मैं भी, एक हाड़ मांस का पुतला ही 

टूट जाती है हिम्मत मेरी, कुछ पल के लिए ही सही ।।

                                

ढलते सूरज से उम्मीद में, बंद करती हूं पलकें भीगी 

कि उगते सूरज से होगी, नित नई भोर सुनहरी ।।


हाथ जोड़ विनती तुमसे,  है केवल, मेरी ये परमेश्वर 

साथ निभाना मेरा तुम,  जिस पल हो दुख अविरल।।

                                                              🙏

           

Pratik Tiwari

Pratik Tiwari

वाह वाह

29 सितम्बर 2021

Nisha

Nisha

🙏 धन्यवाद

29 सितम्बर 2021

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

बहुत बहुत सुन्दर

29 सितम्बर 2021

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रचनाएँ
ह्रदय लेख
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🍀🍀दिल से निकली, खुले विचारों से लिखी। ज़िंदगी की हकीकत से रूबरू कराती है। संक्षेप में बहुत कुछ कह जाती है। अनजाने में ही सही अपने अस्तित्व का अहसास कराती।🌻🌻
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