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समाज

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"मैं तो बहता जल हूं... जिस बर्तन में रख लो... उसी का हो जाता हूं।"  {45}    "मृत्यु चिर विश्राम स्थल है... जहां चिंता मुक्त.. आनंद ही आनंद है।"  {46} 

"अगर हिम्मत और हौसले का साथ ना छोड़ा जाए... तो दुख मानव का निर्माण कर... व्यक्तित्व को निखार कर... बुलंदियों पर ले जाता है। {43} " मुस्कान ईश्वर का दिया हुआ ऐसा तोहफा है जो दो तरफा लाभ देता है।

"मन की हजार आंखों का प्रकाश... चेहरे के दो नयनों से होकर गुजरता है।"  {41}    "काली अंधियारी रात में... एक नन्हा सा जुगनू भी पथ रोशन कर देता है।"  {42} 

"भावनाओं के सागर में शब्दों  की नौका छोटी पड़ जाती है।" {34}    "सिले हुए होठों से हंसी रूठ चुकी है आधी-अधूरी सी जिंदगी लुट चुकी है।"  {35}    "विश्वास पर दुनिया टिकी है... चेहरे  पर लगी दो आंख

"लिखने को अब रहा न बाकी खुली किताब बन खड़ा हूं साकी। अंतर मन की आंखें खोलो हर आखर मिसरी सा घोलो।"  {32}    " ऊर्जा का स्रोत है पलाश दुखिया की आस है पलाश। प्रेम का रंग है पलाश नैनों की प्यास है

पिता है तो सारा जहान अपना है धरती आसमान अपना है। पिता मां की मांग का सिंदूर है पिता मेरे सपनों का गुरूर है।   पिता हर घर की दिव्य ज्योति है पिता परिवार का अद्भुत मोती है। पिता एक मजबूत कड़ी है

हार ना मानो लड़ते रहो सावधान हो ध्यान से। एक दिन तुम ही जीतोगे महामारी के वितान से।   माना संकट का साया है धरती की धरोहर पर। मंज़र उजड़ा-उजड़ा है हर घर की चौखट पर। बादल खुशियों के छाएंगे संस

दौड़ो ना तुम चांद पार के धरती पर ही कदम बढ़ाओ। उड़ती चिड़िया से लेकर हौंसला तन मन से कर्म में जुट जाओ।   लेकर सूरज से आंतरिक ऊर्जा पहले तन मन स्वस्थ बनाओ। होकर समर्पित राष्ट्र भूमि पर जीवन अपन

"मनुसाई" यह 19वां काव्य संग्रह है। मानव का जन्म लेकर अगर मानवता नहीं है...तो मानव जीवन व्यर्थ है। किसी भी व्यक्ति या वस्तु की पहचान उसके गुणों से होती है..उसी तरह मनुष्यता मनुष्य होने की पहचान है। सु

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मार्कण्डेय पुराण के ‘देवी माहात्म्य‘ खण्ड ‘दुर्गा सप्तशती‘ में वर्णित शक्ति की अधिष्ठात्री देवी के नवरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौ

सभी को नमस्कार यह पुस्तक आपकी मदद कर सकती है यदि आपने कम से कम रेकी द्वितीय स्तर की है। क्योंकि ये सभी तरकीबें समय और स्थान से परे हैं। और दूसरे स्तर में हमें दूरी का प्रतीक दिया जाता है। उस प्रतीक के

ब्रह्मांड के लिए धन्यवाद, गॉड स्पिरिट गाइड और देवदूत जिन्होंने रेकी के लिए मेरा रास्ता साफ किया। मेरे परिवार को धन्यवाद जिन्होंने रेकी को मेरे जीवन के रूप में स्वीकार करने और चुनने के लिए मेरा समर्थन

*मनुष्य इस संसार में जन्म लेने के बाद अनेक कर्म करता है और उसके सभी कर्म सुख प्राप्त करने की दिशा में ही होते हैं | मनुष्य का लक्ष्य सुख प्राप्त करना होता है | येन केन प्रकारेण मनुष्य के सुख की कामना

 मैं छोटा सा सरल बीज हूँ     धरती में दबा रहता हूँ।     चीरकर धरती का सीना    बाहर निकल खुश होता हूँ।        फेंक दो मुझे कहीं भी     मैं अंकुरित हो फूटता हूँ।     राष्ट्र को समर्पित होकर    अ

  मेरा भारत बदल रहा है    सतयुग की ओर चल रहा है।     सुरमई श्यामल भोर हुई है    प्रेमिल सूरज उदय हुआ है।     मेरा भारत बदल रहा है...।       उदित हुआ है ज्ञान प्रकाश    अंधकार का नाश हुआ है।  

  रे मानव ! हो सके तो     इस पृथ्वी को बचा लो।     इसके गुणों को पहचानो    कण-कण को निहारो।       पंच तत्वों से निर्मित काया    सांसों में तेरा भाव समाया।    अन्न-जल तू सबको देती    भेदभाव तनि

 मेरा भारत महान भारत     जन-जन का गणनायक है।     अमृत मिला मिट्टी में इसकी     हम सबका अधिनायक है।        खड़ा हिमालय प्रहरी बनकर नदियां इसकी झूमे गाएं।    खेतों में हरियाली फैली     चहक चहक कर

  आंचल से ढके सिर से निहारती है आकाश को    पकड़ कर एक हाथ बेटी का दिखा रही है चंदा मामा    सिलेट पोंछती आंचल से सिखा रही है सारेगामा।         आंचल से आंखों को ढके धूप से बचकर, निहारे एकटक बेटे का

 कण-कण मेरे देश का     मन-मन मुझे लुभाता है।     सपनीले गहरे नयनों को    आनंदमय कर जाता है।        स्वर्ण माटी की महक भीनी     अंतर्मन अभिभूत है।     उज्जवल-उज्जवल गंगा जल    शांति द्योतक दूत

  किसे कहते हैं परोपकार     छोटा सा रेशम का कीड़ा भी     सिखा सकता है तुम्हें।       जिंदगी भर बुनता है रेशम    दूसरों के तन को     सजाने के लिए,     रेशा-रेशा तन बदन का    अर्पित कर प्राणों क

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