हम भारत के जिस समाज में रहते है उस समाज में अनेकों जाती और धर्म के लोग भी रहते है. और इन धर्मों के अलग अलग रीती रीवाज भी होते है कुछ रीती रीवाज़ कुरीतियों के साए में आज भी जीवित है मेरा इस कहानी के माध्यम सें किसी एक धर्म विशेष को टारगेट करना नहीं है.
एक सोच एक पहल है मेरी समाज की नया दिशा देना है चाहे हमे अलग रहना पडे गलत संग या समाच की सोच बदलना है कभी कभी हम राह बताया जाता है वो सही या गलत है ,ये तो जाना नही जब लेकिन समय समतुल होगा पर्दे में रहे सारी सचाई या बुराई दर्पण की तरह दिखा जाता ह
यह किताब निशा के जीवन के संघर्ष की कहानी है, जो समाज की रूढ़िवादिता का विरोध करते हुए सफलता हासिल करती है | वह बेटे की तरह ही अपनी सभी जिम्मेदारी और कर्तव्य का पालन करती है | यह कहानी कभी ना हार मानने वाली उस लड़की की है, जो समाज की हर लड़की को अपने जी
बाबुलाल रायपुर शहर के बहुत धनी इंसान थे। उनके वहां कै राईस मिल व दुकानें थी। जिनका मूल्य 50 करोड़ से कम नहीं था। वे और अधिक कमाने के चक्कर मेँ शेयर मार्केट में अनाप शनाप तरीके से पैसा लगाने लगे । कुछ महीनों बाद शेयर मार्केट ढह गया तो उनके ऊपर
सामाजिक जीवन में तमाम अनुभूतियों को व्यक्त करने के कई माध्यम होते हैं। कुछ अनुभूतियां कविता के रूप में स्फुटित होकर हमारे आपके बीच बहुत कुछ कह जाती हैं। ऐसी ही कुछ अनुभूतियों को आप सब के बीच रखने का एक छोटा सा प्रयास है।
किसी व्यक्ति की की हुई मेहनत कभी बेकार नहीं जाती है उसकी मेहनत का फलों सेउसको अवश्य मिलता है
"धड़कन"यह मेरी बारहवीं आनलाइन प्रकाशित पुस्तक है।इसके पहले योर कोट्स पर शब्द कलश,तथा 'शब्दइन' पर नौ आनलाइन कविता संग्रह प्रकाशित है।'शब्दइन' पर ही एक लघु कथा संग्रह भी प्रकाशित हो रहा है। आज 21फरवरी2024के दिन इस संग्रह की शुरुआत हो रही है।यह दिन भी म
“लाज़” एक शब्द नही बल्कि औरत का वह कीमती आभूषण है , और समाज औरत को यह शिक्षा देता है कि वह पूरे जीवन इसकी रक्षा करे, पर ऐसा देखा गया है कि जो समाज औरत को यह शिक्षा देता है, औरत को उसी समाज से अपनी लाज़ को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ता हैं। यह रचना समा
संध्या का समय है, डूबने वाले सूर्य की सुनहरी किरणें रंगीन शीशो की आड़ से, एक अंग्रेजी ढंग पर सजे हुए कमरे में झॉँक रही हैं जिससे सारा कमरा रंगीन हो रहा है। अंग्रेजी ढ़ंग की मनोहर तसवीरें, जो दीवारों से लटक रहीं है, इस समय रंगीन वस्त्र धारण करके और भी
यह कहानी हमारे आस पास के लोगों के और बदलते हुए समय से आयी लोगों के जीवन मे खालीपन,अकेलापन,अनिश्चितताएं और कठिनाइयो का सामना करने मे अक्षमता के ऊपर है आप इस कहानी को पढ़े और अपना प्यार दें।
साधु की धुनी💎"पवित्र विचार" 🌍🔥🔥🔥🌺💥💎💥💥💦🌹 पावन रखियो हे परमेश्वर (मेंरे) मन चित वाणी विचार । पवित्र संत की धुणी मे ज्यो फरके नही कोई विकार 🔥🙏💎🌍🌱🔥😍🏵💦💥💎 हे परम पिता परमेश्वर आप सदा मुज पर दयाभाव र
भीष्म साहनी की कहानियों में बच्चे मनोवैज्ञानिक तौर पर अपने परिवेश व समाज की वास्तविकता का बोध कराते हैं। वास्तविकता का संदर्भ धर्म की सामाजिक रूढ़ मान्यताओं से रहा है, धर्म को जिसने संकीर्ण परिभाषा में बांधा। पहला पाठ कहानी का पात्र देवव्रत है जिसके
जीवन में मनुष्य को सतत चलते हीं रहना होता हैं इसमें यू टर्न नहीं होता हर हाल में खुसी हो या दुख जीवन नहीं थमता यह रथ चक्र के समान होता है।