देखते ही देखते शादी को बस अब एक हफ्ता ही बचा था, और दोनों परिवारों के घरों में उत्साह का माहौल था। शादी की तैयारियाँ जोरों पर थीं। शर्मा निवास में रिया ने सभी को एकजुट कर रखा था।
"भाभी का लहंगा सबसे सुंदर होना चाहिए, और भैया की शेरवानी भी किंग स्टाइल में होनी चाहिए," रिया ने घोषणा करते हुए कहा।
प्रभात ने हँसते हुए कहा, "रिया, तुम्हें तो बस मौका चाहिए खर्चे बढ़ाने का।"
"भैया, शादी जीवन में एक बार होती है। और वैसे भी, अगर भाभी के लहंगे पर तारीफ नहीं मिली, तो मेरी इज्जत पर बट्टा लग जाएगा," रिया ने शरारती अंदाज में कहा।
अरुणिमा मुस्कुराते हुए बोली, "रिया, मैं इतनी फैंसी नहीं हूँ। एक सादा लहंगा चलेगा।"
रिया ने तुरंत जवाब दिया, "नहीं भाभी! आप इस शादी की रानी हैं। और रानी का लिबास साधारण नहीं हो सकता।"
लेकिन इन सब उत्सवों के बीच, प्रभात की माँ का दिल हल्का नहीं था। एकांत पाकर, उन्होंने प्रभात से कहा, "बेटा, मैं कुछ दिनों से ठीक से सो नहीं पा रही हूँ। पंडित जी की बात मेरे मन में चुभ रही है। उन्होंने कहा कि यह शादी तुम्हारे लिए संकट ला सकती है।"
प्रभात ने उनकी बात ध्यान से सुनी और फिर शांत स्वर में कहा, "माँ, मैं जानता हूँ कि आपकी चिंता जायज़ है। आप हमेशा मेरे भले के लिए सोचती हैं। लेकिन माँ, पंडित जी की बात से ज़्यादा मुझे अपने और अरुणिमा के प्यार पर भरोसा है। भगवान ने जो लिखा है, वह होकर रहेगा।"
"लेकिन बेटा," माँ ने फिर कहा, "मैं एक माँ हूँ। तुम्हारी सलामती से बढ़कर मेरे लिए कुछ नहीं। अगर कुछ गलत हुआ तो मैं खुद को माफ़ नहीं कर पाऊँगी।"
प्रभात ने माँ का हाथ पकड़ते हुए कहा, "माँ, आपने मुझे हमेशा सिखाया है कि जीवन में जो भी हो, हमें अपनी खुशियों और सही फैसलों के लिए लड़ना चाहिए। और माँ, अरुणिमा मेरा जीवन है। उसे पाकर मैं अपना हर डर भूल सकता हूँ।"
माँ की आँखें भर आईं। उन्होंने प्रभात को गले लगाया और कहा, "बेटा, मैं जानती हूँ कि तुम सही कह रहे हो। लेकिन एक माँ का दिल बस डरता है। पर अब मैं कोशिश करूँगी तुम्हारे फैसले को पूरे दिल से स्वीकार करने की।"
अगले दिन रिया, प्रभात, और अरुणिमा शादी की खरीदारी के लिए बाजार गए।
रिया ने स्टोर में प्रवेश करते ही घोषणा कर दी, "सब ध्यान से सुन लो, आज मेरी भाभी के लिए सबसे बेस्ट लहंगा चाहिए। और भैया की शेरवानी भी ऐसी होनी चाहिए कि सबकी नजरें उन पर ही ठहर जाएँ।"
सेल्समैन ने ढेर सारे लहंगे दिखाने शुरू किए।
रिया ने एक चमकीले लाल और सुनहरे काम वाला लहंगा उठाते हुए कहा, "भाभी, ये तो आप पर गजब लगेगा।"
अरुणिमा ने झिझकते हुए कहा, "रिया, यह बहुत भारी लग रहा है। मैं इतना चमकीला नहीं पहन पाऊँगी।"
रिया ने आँखें मटकाते हुए कहा, "भाभी, ये शादी का मौका है। कोई साधारण दिन नहीं। आप बस इसे पहनकर देखिए।"
जब अरुणिमा ने लहंगा पहनकर ट्रायल लिया, तो सभी बस देखते रह गए।
प्रभात ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "तुम इसमें बेहद खूबसूरत लग रही हो।"
अरुणिमा ने हल्का सा शर्माते हुए कहा, "तुम्हें हर चीज़ अच्छी लगती है।"
इसके बाद रिया ने प्रभात के लिए शेरवानी चुनी—सुनहरे और मरून रंग की।
"भैया, अब आप इस पर कुछ मत कहना। ये फाइनल है," रिया ने आदेश देते हुए कहा।
शेरवानी पहनकर जब प्रभात बाहर आया, तो अरुणिमा ने उसे देखकर मुस्कुरा दिया।
"तुम इसमें बहुत अच्छे लग रहे हो," अरुणिमा ने कहा।
रिया ने मजाक में जोड़ा, "भैया-भाभी, अब ये तारीफें घर जाकर करो। यहाँ वक्त बर्बाद मत करो।"
जैसे-जैसे शादी के दिन करीब आ रहे थे, घर में रिश्तेदारों का आना शुरू हो गया। शर्मा निवास में हलचल बढ़ गई थी।
"भाभी, यह मेरी मामी हैं, और यह उनके बच्चे। सब लोग आपको देखने के लिए बहुत उत्सुक हैं," रिया ने अरुणिमा से कहा।
सब लोग अरुणिमा को देख रहे थे और उसकी तारीफ कर रहे थे।
"आपकी होने वाली बहू तो बहुत ही प्यारी है," एक रिश्तेदार ने कहा।
प्रभात की माँ ने थोड़ी झिझक के साथ मुस्कुरा दिया, लेकिन उनके मन में एक हल्का सुकून था। उन्होंने महसूस किया कि अरुणिमा की सादगी और स्वभाव ने सबका दिल जीत लिया था।
घर में हल्दी, मेहंदी, और संगीत के लिए योजनाएँ बन रही थीं।
रिया ने प्रभात को चिढ़ाते हुए कहा, "भैया, शादी से पहले के रिचुअल्स में आप पर खूब मज़ाक बनेगा। तैयार रहना।"
प्रभात ने मुस्कुराते हुए कहा, "रिया, तुम तो सबको मेरे खिलाफ कर रही हो।"
"भैया, यह तो बस शुरुआत है," रिया ने चहकते हुए कहा।
अरुणिमा और प्रभात ने एक-दूसरे को देखा और मुस्कुरा दिए। शादी के लिए उनके परिवार और दोस्तों का उत्साह उनके प्यार को और भी मजबूत कर रहा था।
आगे का हर दिन उनके रिश्ते को और खास बनाने वाला था। शादी के लिए सबकी तैयारियाँ एक नए सपने को सच करने की ओर बढ़ रही थीं।
आगे की कहानी अगले भाग में.....