दोनों परिवारवालों ने आपसी सहमति से मिलकर ,शादी से एक सप्ताह पहले प्रभात ओर अरुणिमा की सगाई समारोह करने का निर्णय लिया । उसके बाद से ही दोनों परिवारों में उत्साह का माहौल था। समारोह के लिए शहर के बाहरी इलाके में एक भव्य लेकिन पारंपरिक शैली का बाग चुना गया था। सगाई वाले दिन बगीचे को हल्के सुनहरे और गुलाबी रंग के फूलों, फेयरी लाइट्स, और पारंपरिक दीयों से सजाया गया था। हर कोने से संगीत और हंसी की गूंज आ रही थी।
प्रभात के घर में सुबह से ही तैयारियां शुरू हो चुकी थीं।
रिया दौड़-दौड़कर हर चीज को परफेक्ट बनाने में लगी थी।
"भैया, तुम्हारे कुर्ते की बटन ठीक करो! और हाँ, समय से तैयार हो जाना, वरना भाभी का मूड खराब हो जाएगा," उसने मजाक में कहा।
प्रभात ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "रिया, मैं भले ही देर से आऊं, लेकिन अरुणिमा के सामने हमेशा सही दिखता हूं।"
"ओह, इतना कॉन्फिडेंस! बस यही कॉन्फिडेंस शादी के दिन भी रखना," रिया ने चुटकी ली।
दूसरी ओर, अरुणिमा के घर में भी तैयारियों की धूम थी। उसकी माँ उसे सजी-संवरी देखकर भावुक हो गईं।
"सिया होती तो आज तुम्हें तैयार करने में सबसे आगे रहती," माँ ने हल्के गले से कहा।
अरुणिमा ने उनकी तरफ देखा और कहा, "माँ, सिया आज भी हमारे साथ है। उसकी यादें मेरी हर खुशी का हिस्सा हैं।"
माँ ने उसे गले लगाकर कहा, "आज की रात सिर्फ खुशियों के नाम। चलो, अब मुस्कुराओ।"
शाम होते ही मेहमान आने लगे। बगीचा रोशनी से जगमगा रहा था। मेहमानों का स्वागत गर्मजोशी से किया गया, और अरुणिमा और प्रभात दोनों परिवारों ने अपने-अपने दोस्तों और रिश्तेदारों का परिचय कराया।
प्रभात हल्के गोल्डन कुर्ता-पायजामा में बहुत आकर्षक लग रहा था, जबकि अरुणिमा ने गुलाबी और सफेद रंग का खूबसूरत लहंगा पहना हुआ था, जो उसे किसी परी जैसा बना रहा था।
जैसे ही अरुणिमा बगीचे में दाखिल हुई, प्रभात ने उसे दूर से देखा और रिया से कहा,
"देखो, रिया, तुम्हारी भाभी बिल्कुल चांद की तरह लग रही है।"
रिया ने चुटकी ली, "तो फिर जल्दी से जाओ और अपने चांद को अंगूठी पहनाओ। वरना चांद छिप जाएगा।"
स्टेज को फूलों और रोशनी से सजाया गया था। दोनों परिवार खुशी-खुशी स्टेज पर इकट्ठा हुए।
सबसे पहले रिया ने माइक संभाला। "तो दोस्तों और परिवारवालों, आज का दिन हमारे प्यारे भैया और भाभी के रिश्ते को औपचारिक बनाने का दिन है। लेकिन... अंगूठी पहनाने से पहले, भाभी से एक सवाल पूछना है। भाभी, आप भैया के गुस्से को संभालने का कोई प्लान किया है?"
अरुणिमा ने हंसते हुए जवाब दिया, "मुझे गुस्से वाले प्रभात से ज्यादा मिसिंग प्रभात की चिंता है। हमेशा फोन करते रहते हैं कि मैं उन्हें याद करूं।"
यह सुनकर सबने हंसते हुए तालियां बजाईं।
अंगूठी पहनाने का समय आया। प्रभात ने अरुणिमा की ओर देखकर कहा,
"यह अंगूठी सिर्फ एक परंपरा नहीं है। यह वादा है कि तुम्हारी हर खुशी, हर दर्द, और हर सपने का हिस्सा बनूंगा।"
अरुणिमा ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "और मैं वादा करती हूं कि हर परिस्थिति में तुम्हारा साथ दूंगी, चाहे कुंडली कुछ भी कहे।"
प्रभात ने उसे गहरी नजरों से देखा, और दोनों ने एक-दूसरे को अंगूठी पहनाई।
उसके बाद रिया ने तुरंत घोषणा की, "अब अंगूठी तो पहन ली, लेकिन भाभी, आप ध्यान रखना कि मेरे भैया को ज्यादा तंग मत करना। और भैया, आप भी पर्स संभालकर रखना।"
इसके बाद उसने सबको डांस फ्लोर पर बुलाया। दोनों परिवारों ने मिलकर ढोल और बॉलीवुड गानों पर जमकर डांस किया।
अंत में मिठाई बांटी गई, और अरुणिमा की माँ ने प्रभात के परिवार से कहा,
"अब आप हमारी बेटी को अपनी बेटी समझें। हमें विश्वास है कि वह आपके परिवार को और भी खुशहाल बनाएगी।"
प्रभात की माँ ने मुस्कुराते हुए कहा, "हम सबको अरुणिमा पर गर्व है। और मुझे खुशी है कि प्रभात को ऐसा साथी मिला।"
इस भावुक और मस्तीभरे माहौल में सगाई का कार्यक्रम संपन्न हुआ। दोनों परिवारों ने महसूस किया कि यह रिश्ता केवल दो दिलों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन है।
अब शादी की तैयारियों का असली उत्साह शुरू हो चुका था!
आगे की कहानी अगले भाग में......