मैंने देखा है कि अनेक बार मंगल व शनि के बारे में अनेक प्रकार से, अनेक कारणों से जनमानस को डराया जाता रहा है। मैं प्रायः लोगों को इन दोनों ग्रहों से भयभीत होते देखती आई हूं जबकि ये दोनों ग्रह इतने डरावने व नुकसानकारी भी नहीं कि जितने बताए जाते हैं। इस
।।ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।। मधुरा-मन्दोदरी खण्ड काव्य स्त्री चरित्र पर प्रकाश डालने का एक प्रयास है।मन्दोदरी के सम्पूर्ण जीवन की झलक के माध्यम से उपेक्षित महिलाओं की महत्ता प्रतिपादित किया गया है साथ ही साथ मन्दोदरी के सम्बंध में
आधुनिक हिन्दी साहित्य में भारतेन्दु जी का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। वे बहूमुखी प्रतिभा के स्वामी थे। कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास, निबंध आदि सभी क्षेत्रों में उनकी देन अपूर्व है। वे हिंदी में नव जागरण का संदेश लेकर अवतरित हुए। उन्होंने हिंदी के सर्
उत्तर: 'एक अद्भुत अपूर्व स्वप्न' में लेखक ने अपने समय के समाज की विकृत दशा का वर्णन किया है। समाज में व्याप्त अंधविश्वास, स्वार्थपरता, शिक्षा क्षेत्र की दुर्दशा, अंग्रेजी शासन की अत्याचारपूर्ण नीति, नश्वर संसार में यशस्वी होने की लालसा आदि का वर्णन भ
'भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है' निबंध के लेखक भारतेंदु हरिश्चंद हैं। ... उनका यह निबंध हरिश्चंद्र चंद्रिका के दिसंबर 1884 के अंक में प्रकाशित हुआ था। इस निबंध (nibandh) में लेखक ने कुरीतियों और अंधविश्वासों को त्यागकर शिक्षित होने, सहयोग एवं एकता पर
ये जो शब्द है, ‘माँ’ इसके दो अर्थ हो सकते हैं। दोनों अलग-अलग आयामों के अर्थ हैं। एक अर्थ ज़मीन का है और एक अर्थ आसमान का है। एक अर्थ हो सकता है माँ का वो जिससे एक दूसरा शरीर निर्मित होता है। और सामान्यतया जहाँ कहीं भी हम देखते हैं कि एक व्यक्ति के
इस लेख का उल्लेख 'रामायण का समय' नामक लेख में पहले ही आ चुका है जो सन् 1884 की रचना है। इसी से आर्यों में सबसे प्राचीन एक ही देवता थे और इसी से उस काल के भी आर्य वैष्णव थे। ... कालांतर में सूर्य में चतुर्भज देव की कल्पना हुई।
अज्ञेय जी का पूरा नाम सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय है। इनका जन्म 7 मार्च 1911 में उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया के कुशीनगर में हुआ। इस कविता का संदेश है कि व्यक्ति और समाज एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसलिए व्यक्ति का गुण उसका कौशल उसकी रचनात्
आज जिन्हें हम मुनि भर्तृहरि के नाम से जानते हैं वो एक समय पर उज्जैन के राजा भर्तृहरि के नाम से प्रसिद्ध थे। युवा अवस्था में वह एक विलक्षण राजनीतिज्ञ थे लेकिन उन दिनों उनकी कामुकता भी प्रबल थी, वह अपनी पत्नी व अन्य स्त्रियों के मोह से ग्रस्त थे। फि
जब हम इन वाक्यों या वाक्यांशों को बार बार पढ़ते है तो ये अंतरात्मा तक गहरे उतरकर अपनी छाप अवश्य छोड़ते हैं। जिससे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन होता है। इन्सान महान पैदा नहीं होता है, उसके विचार उसे महान बनाते हैं। विचार, काम की शुद्धता और सरलता ही
दुनिया विश्राम स्थल नहीं, बल्कि कार्यस्थल है, ज़िंदगी विचलने के लिए नहीं बल्कि कुछ कर दिखाने के लिए है। संसार का हर कण अद्वितीय है उसकी अपनी उपयोगिता है, किसी के लिए कोई चीज़ बेकार तो कोई बेकार चीजों का शिल्पकार है। आज दुनिया आधुनिक हो गयी विज्ञान और
जीवन वृक्ष — डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम केवल एक योग्य व प्रतिष्ठित वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि एक संवेदनशील और विचारशील कवि भी हैं। वैज्ञानिक उत्कृष्टता और काव्यमय प्रतिभा का यह संगम वास्तव में अद्भुत है। इस काव्य-संग्रह की रचनाओ
"मनुसाई" यह 19वां काव्य संग्रह है। मानव का जन्म लेकर अगर मानवता नहीं है...तो मानव जीवन व्यर्थ है। किसी भी व्यक्ति या वस्तु की पहचान उसके गुणों से होती है..उसी तरह मनुष्यता मनुष्य होने की पहचान है। सुख, समृद्धि एवं शांति से परिपूर्ण जीवन के लिए सच्चरि
आज अबोध शिशु शिक्षा के बोझ तले दबे जा रहे हैं। चारों तरफ छोटे-छोटे बच्चे तनावग्रस्त दिखाई दे रहे हैं। माता पिता को अपने बच्चों को समझना जरूरी है। इस पुस्तक में दस अध्याय है। आशा है आप सब इस पुस्तक से अवश्य लाभांवित होंगे।
इस पुस्तक में सरल व सौम्य शब्दों का प्रयोग लेखक के द्वारा किया गया है। पाठको को परेशानी ना हो पढ़ने में। शब्द इतने सरल है कि आपको थोड़ा भी बोरियत महसूस न होगी। इस किताब में आपको एक "माइंड मैप" मिलेगा, जिसको फॉलो करके आप एक अच्छे जीवन को जी पाएंगे। और
"मेरी रचना" कविता संग्रह है जो मेरी भावनाओं को दर्शाता है।
राजे ने अपनी रखवाली की-सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला बड़ी-बड़ी फ़ौजें रखीं । चापलूस कितने सामन्त आए । मतलब की लकड़ी पकड़े हुए । पोथियों में जनता को बाँधे हुए
नियमों के अनुकूल किया गया काम ही सदाचार कहलाता है, जैसे—सत्य बोलना, सेवा करना, विनम्र रहना, बड़ों का आदर करना आदि। ये उत्तम चरित्र के गुण हैं। जिस व्यक्ति के व्यवहार में ये गुण होते हैं, वह सदाचारी कहलाता है। ... इस तरह सदाचार का अर्थ है अच्छा व्यवहा
साधारण जन मानस से जुड़ी हुई रचनाएं।