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बात करना एक बहुत बड़ी कला है। बातो में लोकोत्तिया एवम कहावते बहुत बड़ा असर डालती है। कहते है की वेद गलत हो सकते है कहावतें नही। कहावतें वी लोकोत्तिया,गहन अनुभवों पीआर आधारित बीज मंत्र है। इस पुस्तक में प्राचीन कहावतो और संबंधित कहानियों को एक साथ संक
( सामान्य सा एक हाट की गहमा गहमी है। एक पंडित जी और एक क्षत्री एक साथ तकरार की मुद्रा में एक साथ उलझतेहुए दिखते है।) क्षत्री : महाराज देखिये बड़ा अंधेर हो गया कि ब्राह्मणों ने यह व्यवस्था दे दी है कि अब कायस्थ भी क्षत्री हैं। कहिए अब कैसे कैसे राज का
*_शत कोटि नमन 21 मार्च/जन्मदिवस, विश्वविख्यात खगोलशास्त्री आर्यभट जी।_* खगोलशास्त्र का अर्थ है ग्रह, नक्षत्रों की स्थिति एवं गति के आधार पर पंचांग का निर्माण, जिससे शुभ कार्यों के लिए उचित मुहूर्त निकाला जा सके। इस क्षेत्र में भारत का लोहा दुनिया
मैं पाँचवाँ पैग़म्बर हूँ. दाऊद, ईसा, मूसा, मुहम्मद ये चार हो चुके. मेरा नाम मूसा पैगम्बर है. मैं विधवा के गर्भ से जनमा हूँ, और ईश्वर अर्थात् खुदा की ओर से तुम्हारे पास आया हूँ. इससे मुझ पर ईमान लाओ, नहीं तो ईश्वर के कोप में पड़ोगे.
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जीवन की सबसे बड़ी सिख देने वाली कहानी जीवन में शिक्षा देने वाली और ज्ञानवर्धक कहानिया शिक्षा वर्धक कहानिया आध्यात्मिक शिक्षा देने वाली कहानी जीवन बदलेन वाली कहानियां प्रेरणात्मक कहानी
उन्होंने इनकी पैरोडी के रूप में 'बंदर सभा' लिखी थी। अनुक्रम. 1 हिन्दी रंगमंच और भारतेन्दु ...(इन्दर सभा उरदू में एक प्रकार का नाटक है वा नाटकाभास है और यह बन्दर सभा उसका भी आभास है।)
जीवन संघर्षो और सफलताओं का संगम है यंहा हार भी है जीत भी है आज जो भी व्यक्ति सफलता के शिखर पर खडा है उसके पीछे त्याग, कठिन परिश्रम और संघर्ष की कहानी है। आपको अपने लक्ष्य के प्रति उत्साह और उमंग से भर देने वाली इस पुस्तक को समर्पित करते हुए ख़ुद को स
नाटक. श्री रामलीला भारतेंदु हरिश्चंद्र. अतिरोचक गद्य और पद्य में श्री राम जी की बाल लीलाओ पर आधारित पद्द पर व दोहो पर आधारित है
आराधना के गीत निराला काव्य के तीसरे चरण में रचे गए हैं, मुख्यतया 24 फरवरी 1952 से आरंभ करके दिसम्बर 1952 के अंत तक। इन गीतों से यह भ्रम हो सकता है कि निराला पीछे की ओर लौट गए हैं। वास्तविकता यहा है कि धर्म-भावना निराला में पहले भी थी, वह उसमें अंत-अं
उनकी रचनाओं ने भारत में गरीबी और विदेशी प्रभुत्व और उपनिवेशवाद के सदियों के बारे में उनकी गहन भावनाओं को व्यक्त किया। हरिश्चंद्र का प्रभाव व्यापक था। उनकी साहित्यिक कृतियों ने हिंदी साहित्य की रीती अवधि के अंत और भारतेंदु अवधि के प्रारंभ पर मोहर लगाई
यह कविता चतुर्वेदी जी के 'युगचरण' नामक काव्य-संग्रह से संगृहीत है। प्रसंग-इन पंक्तियों में कवि ने पुष्प के माध्यम से देश पर बलिदान होने की प्रेरणा दी है। व्याख्या-कवि अपनी देशप्रेम की भावना को पुष्प की अभिलाषा के रूप में व्यक्त करते हुए कहता है कि मे
इस कविता में कवि अपने जीवन में घटित सूख दुख अनुभूति के बारे में बताते हुए कहता है कि जीवन सुख और दुख की लीला भूमि है। यहां शोक और आनंद दोनों आते रहते हैं। कवि को हमेशा से अपनी वेदना पर विश्वास है। एक प्रेमी के लिए सूख दुख दोनों नियती का दान है और दोन
कानन कुसुम हिन्दी भाषा के कवि, लेखक और उपन्यासकार जयशंकर प्रसाद की एक काव्य कृति है। इसका प्रथम संस्करण १९१३ ई॰ में प्रकाशित हुआ था जिसमें ब्रजभाषा की कविताएँ भी मिश्रित थीं। सन् १९१८ ई॰ में इसका दूसरा परिवर्धित संस्करण प्रकाशित हुआ।
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