हमारे भोजन करने के बाद जब भोजन पेट के अंदर पाचन तंत्र में पहुंचता हैं तब इस भोजन को पचाने के लिए एक “Acid” बनता हैं, जो की पेट में भोजन को पचाने का काम करता हैं. जब यह Acid पेट में जरुरत से ज्यादा बनन
2- बैच फलावर रेमेडिस डॉ0 एडवर्ड बैच एक ऐलोपैथिक चिकित्सक थे बाद में उनका रूझान होम्योपैथिक चिकित्सा की तरफ आकृषित हुआ । हाम्योपैथिक से मान्यता प्राप्त डिग्री प्राप्त कर होम्योपैथिक से चिकित्सा कार्य
होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से मिलती जुलती चिकित्सा पद्धतियॉ 1-बायोकेमिक चिकित्सा जीते तो सभी है परन्तु अपने अन्दाज में जीने का सौभाग्य बहुत ही कम लोगों को मिल पाता है । जिसने जीवन के रह
नेवल एक्युपंचर बनाम नेवल होम्योपंचर नेवल एक्युपंचर एक्युपंचर की नई खोज है इसकी खोज व इसे नये स्वरूप में सन 2000 में कास्मेटिक सर्जन मास्टर आफ-1 चॉग के मेडिसन के प्रोफेसर योंग क्यू द्वारा
आयुर्वेद के अनुसार किसी भी तरह के रोग होने के 3 कारण होते हैं। किसी भी रोग के होने का कारण एक भी हो सकता है और दो भी हो सकता है या दोनों का मिश्रण भी हो सकता है या तीनों दोषों के कारण भी रोग हो सकता ह
परिचय:- इस रोग के कारण रोगी के पेट में गैस बनने लगती है जिसके कारण रोगी का पेट फूलने लगता है और पेट में दर्द होने लगता है। इस रोग को फ्लेटूलेन्स भी कहते हैं। इस रोग के कारण रोगी को डकारे भी आने लगती ह
जब अपेंडिक्स का दर्द उठाता है तब डॉक्टर लोग हमेशा ओपरेशन करने के लिए ही बोलते है , लेकिन अपेंडिक्स के लिए कभी भी ओपरेशन नहीं करना चाहिए.अगर आप निम्न लिखित उपाय करेंगे तो अपेंडिक्स से 7दिन के अन्दर आप
मानव शरीर जटिलताओं से भरी एक ईश्वरीय संरचना है जहा इसके प्रत्येक अंग का अपना महत्व है । इन्हीं अंगों में एक है अपेण्डिक्स क्या होता है अपेंडिक्स?सामान्यतः यह एक वेस्टिजियल अंग है जो छोटी और
1. तुलसी : तुलसी के पत्तों को नमक के साथ पिस कर डंक लगे स्थान पर मलना चाहिये |जहर तुरंत उतर जायेगा।2.मिटटी का तेल : ततैया के काटने के बाद आप मिटटी के तेल का उपयोग भी कर सकते हैं|
सात बूँद बड़ का दूध शक्कर के साथ देने से पेशाब तथा गुदा द्वारा होने वाले रक्तस्राव में लाभ होता है।अडूसी के पत्तों का 1 तोला (लगभग 12 ग्राम) रस रोज सुबह पीने से अथवा केले के फूल का 2 से 10 मि.ली. रस 1
एक नीबू का रस और 10-15 तुलसी के पत्तों का रस दोनों को अच्छे से मिलाकर फंगल इन्फेक्शन पर लगाए से अत्यंन्त लाभ होता हैं.हल्दी की जड़ का रस निकालकर फंगस के स्थान पर लगाए और तीन घंटे तक इसे लगा रहने दें फि
अण्डवृद्धिः 20 से 50 मि.ली. सोंठ के काढ़े (2 से 10 ग्राम सोंठ को 100 से 300 मि.ली. पानी में उबालें) में 1 से 5 मि.ली. अरण्डी का तेल डालकर पीने से तथा अरनी के पत्तों को पानी में पीसकर बाँधने से अण्डवृद
तुलसी के हरे पत्तों तथा काली मिर्च को बराबर मात्रा में लेकर, बारीक पीसकर गुंजा जितनी गोली बनाकर छाया में सुखावें। 2-2 गोली तीन-तीन घण्टे के अन्तर से पानी के साथ लेने से मलेरिया में लाभ होता है।नीम अथव
लौंग (Laung or Clove)- लौंग फाइलेरिया के उपचार के लिए बहुत प्रभावी घरेलू नुस्खा है। लौंग में मौजूद एंजाइम परजीवी के पनपते ही उसे खत्म कर देते हैं और बहुत ही प्रभावी तरीके से परजीवी को रक्त से नष्ट कर
पैरों में सूजन अधिक वजन होने, ज्यादा देर तक बैठने या खड़े रहने, प्रेग्नेंसी, बढ़ती उम्र या सही से ना खाने-पीने की वजह से होती है. इसके अलावा एक्सरसाइज ना करने, कोई सर्जरी होने, डायबिटीज, हार्ट
शुगर बढ़ने के लक्षण क्या हैजल्दी थकान होनावजन कम होनाजादा प्यास लगनाबार बार पेशाब आनाघाव और चोट धीरे धीरे ठीक होना शुगर का इलाज के घरेलु उपाय और आयुर्वेदिक नुस्खे2 से 3 करेले लें और इस
1. डेंगू , चिकेन्गुनिया बुखार में शरीर के प्लेटलेट्स (platelates) तेजी से गिरते हैं, जिन्हें पपीते की पत्तियां तेजी से बढ़ाती हैं। मात्र तीन घंटे में पपीते की पत्तियां शरीर में रक्त के प्लेटलेट्स को बढ़
आईडोलोजी (ऑखों के परिक्षण से बीमारीयों की पहचान) बीमारीयों की स्थिति में शारीरिक परिवर्तन सामान्य सी बात है परन्तु लम्बे समय से शरीर परिक्षणकर्ताओं द्वारा सूक्ष्म शारीरिक अंगो के परिक्षणों का पर
पेट में बनी गैस जब मुंह से बाहर आती है तो वह डकार कहलाती है। 1.पुदीना और थोड़ा सा सूखा धनियां, बड़ी इलायची, अजवायन और कालानमक इन सबको पीसकर चूर्ण बना ले । भोजन के बाद गर्म पानी से 1 चमच लें । थोड़ी
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उत्तम रस-रक्तादी धातुओं की प्राप्ति जिस उपाय के द्वारा की जाती है, उसे रसायन चिकित्सा कहते है ।रसायन औषधियों के सेवन से दीर्घायुष्य, स्मरणशक्ति, आरोग्य, चिरयौवन, देह व इन्द्