हे त्रिपुरारी नीलकंठ महादेव,
जग हितकारी अविकारी प्रभु।
नागपाश गले में साजे तुम्हरे,
सिर पे गंगे और चंद्र प्रभु।।
संग गौरा गणेश कार्तिकेय,
पर्वत कैलाश विराजै प्रभु।
आयो श्रावण मास पावन,
पुष्प चरणों में अर्पित प्रभु।।
मंदिर मंदिर और शिवालय,
विराजे गौरा संग तुम्हीं प्रभु।
भांग धतूरा और बेल पत्र से,
जन गण पूजन करै प्रभु।।
भूत प्रेत संग तुम्हरे बिराजे,
नंदी शिव माला जपे प्रभु।
भस्मासुर का करौ संहार,
भस्म आरती सुशोभित प्रभु।
अंबर से धरती पे पधारे,
पावन श्रावण मास प्रभु।
हे शंभु तुम कृपा निधान,
हम सब पे कृपा बरसे प्रभु।।
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