अब तो हर शै उदास लगती है,
हर तरफ आग-आग दिखती है ।
ढूंढता फिर रहा जिसे अब तक ,
वो मेरे साथ - साथ रहती है ।
सब मिला आपसे वफ़ा ना मिली,
ज़िन्दगी फिर तलाश करती है।
वो जो अपने बिछड गए हमसे,
हो मुलाक़ात ख्वाब लगती है ।
रफ्ता-रफ़्ता तड़प-तड़प के मिली,
दिल की धड़कन कयास लगती है।
जब से मशहूर क्या हुए यारों,
हर ख़ुशी झूठ बे-नकाब लगती है।
आज 'अनुराग'तू अकेला तो नहीं,
समूची सदी इन्कलाब लगती है ।