shabd-logo

जानिए कैसे ख़त्म हुए हमारे गुरुकुल, कॉन्वेंट स्कूलों ने किया बर्बाद!

17 सितम्बर 2015

643 बार देखा गया 643
featured imageजानिए कैसे ख़त्म हुए हमारे गुरुकुल कॉन्वेंट स्कूलों ने किया बर्बाद ------ 1858 में Indian Education Act बनाया गया। इसकी ड्राफ्टिंग ‘लोर्ड मैकोले’ ने की थी। लेकिन उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था, उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत के शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी। अंग्रेजों का एक अधिकारी था G.W. Litnar और दूसरा था Thomas Munro, दोनों ने अलग अलग इलाकों का अलग-अलग समय सर्वे किया था। 1823 के आसपास की बात है ये Litnar , जिसने उत्तर भारत का सर्वे किया था,उसने लिखा है कि यहाँ 97% साक्षरता है और Munro, जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा कि यहाँ तो 100 % साक्षरता है, और उस समय जब भारत में इतनी साक्षरता है ------- मैकोले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है तो इसकी “देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था” को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह “अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था” लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में काम करेंगे -------- मैकोले एक मुहावरा इस्तेमाल कर रहा है:“कि जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही इसे जोतना होगा और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी।”इसलिए उसने सबसे पहले गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया, जब गुरुकुल गैरकानूनी हो गए तो उनको मिलने वाली सहायता जो समाज के तरफ से होती थी वो गैरकानूनी हो गयी, फिर संस्कृत को गैरकानूनी घोषित किया और इस देश के गुरुकुलों को घूम घूम कर ख़त्म कर दिया उनमे आग लगा दी, उसमें पढ़ाने वाले गुरुओं को उसने मारा- पीटा, जेल में डाला। ------- 1850 तक इस देश में ’7 लाख 32 हजार’ गुरुकुल हुआ करते थे और उस समय इस देश में गाँव थे ’7 लाख 50 हजार’, मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल और ये जो गुरुकुल होते थे वो सब के सब आज की भाषा में ‘Higher Learning Institute’ हुआ करते थे उन सबमे 18 विषय पढाया जाता था और ये गुरुकुल समाज के लोग मिल के चलाते थे न कि राजा,महाराजा,और इन गुरुकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी। ------ इस तरह से सारे गुरुकुलों को ख़त्म किया गया और फिर अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित किया गया और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया, उस समय इसे ‘फ्री स्कूल’ कहा जाता था, इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी और ये तीनों गुलामी के ज़माने के यूनिवर्सिटी आज भी इस देश में हैं और मैकोले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी बहुत मशहूर चिट्ठी है वो, उसमें वो लिखता है कि: “इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी।” -------- उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है और उस एक्ट की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है, अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रोब पड़ेगा, अरे हम तो खुद में हीन हो गए हैं जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, दूसरों पर रोब क्या पड़ेगा। ------ लोगों का तर्क है कि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है, दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी सिर्फ 11 देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है। शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं दरिद्र भाषा है। इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे,ईशा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी। अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी, समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी। संयुक्त राष्ट संघ जो अमेरिका में है वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है, वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है। ------- जो समाज अपनी मातृभाषा से कट जाता है उसका कभी भला नहीं होता और यही मैकोले की रणनीति थी। ------- कृपया आपको अगर ये जानकारी अच्छी और सही लगे तो शेयर करें…यह पोस्ट जरुर पढे कि हम कहा पीछे रहे
अमित

अमित

बहुत उपुक्त लेख । हो न हो सोचना सब पड़ता है ।

14 नवम्बर 2015

महावीर सिंह गुर्जर

महावीर सिंह गुर्जर

बहुत बहुत सटीक अर्थ की बात करता हैं यह लेख

23 अक्टूबर 2015

1

जानिए कैसे ख़त्म हुए हमारे गुरुकुल, कॉन्वेंट स्कूलों ने किया बर्बाद!

17 सितम्बर 2015
0
3
2

जानिए कैसे ख़त्म हुए हमारे गुरुकुलकॉन्वेंट स्कूलों ने किया बर्बाद------1858 में Indian Education Act बनाया गया।इसकी ड्राफ्टिंग ‘लोर्ड मैकोले’ ने की थी। लेकिन उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था, उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत के शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपनी रिपो

2

काका हाथरसी का हास्य

24 सितम्बर 2015
0
6
2

एक पुलिंदा बांधकर कर दी उस पर सीलखोला तो निकले वहां लखमी चंद वकीललखमी चंद वकील, वजन में इतने भारीशक्ल देखकर पंचर हो जाती है लारीहोकर के मजबूर, ऊंट गाड़ी में जाएंपहिए चूं-चूं करें, ऊंट को मिरगी आए

3

काका का ठहाका !

24 सितम्बर 2015
0
4
1

सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमाराहम भेड़-बकरी इसके यह गड़ेरिया हमारासत्ता की खुमारी में, आज़ादी सो रही हैहड़ताल क्यों है इसकी पड़ताल हो रही हैलेकर के कर्ज़ खाओ यह फर्ज़ है तुम्हारासारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा.चोरों व घूसखोरों पर नोट बरसते हैंईमान के मुसाफिर राशन को तरशते हैंवोटर से वोट लेकर व

4

बाढ़ की संभावनाएँ सामने हैं

25 सितम्बर 2015
0
2
1

बाढ़ की संभावनाएँ सामने हैं,और नदियों के किनारे घर बने हैं ।चीड़-वन में आँधियों की बात मत कर,इन दरख्तों के बहुत नाजुक तने हैं ।इस तरह टूटे हुए चेहरे नहीं हैं,जिस तरह टूटे हुए ये आइने हैं ।आपके कालीन देखेंगे किसी दिन,इस समय तो पाँव कीचड़ में सने हैं ।जिस तरह चाहो बजाओ इस सभा में,हम नहीं हैं आदमी, हम झुन

5

महान साहित्यकार , कमलेश्वर प्रशाद सक्शैना 06 जनवरी 1932 मैनपुरी, [[[उत्तरप्रदेश]

25 सितम्बर 2015
0
3
1

कमलेश्वर (६ जनवरी१९३२-२७ जनवरी २००७) हिन्दी लेखक कमलेश्वर बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं। कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में उन्होंने अपनी लेखन प्रतिभा का परिचय दिया। कमलेश्वर का लेखन केवल गंभीर साहित्य से ही जुड़ा नहीं रहा बल्कि उनके ले

6

हालांकि मैंने वक़्त का रास्ता नहीं देखा !

6 अक्टूबर 2015
0
0
0
7

अब तो हर शै उदास लगती है

8 नवम्बर 2015
0
4
0

अब तो हर शै उदास लगती है,हर तरफ आग-आग दिखती है । ढूंढता फिर रहा जिसे अब तक ,वो  मेरे  साथ - साथ   रहती  है ।सब मिला आपसे वफ़ा ना मिली,ज़िन्दगी  फिर  तलाश  करती  है।वो जो  अपने  बिछड  गए  हमसे,हो   मुलाक़ात   ख्वाब   लगती है ।रफ्ता-रफ़्ता तड़प-तड़प के मिली,दिल की धड़कन कयास  लगती है।जब   से  मशहूर    क्या  

8

बेटियां शीतल हवा होती है।। इन्हें बचा कर रखे

29 नवम्बर 2015
0
4
1

पहला दृश्य --एक कवि नदी के किनारे खड़ा था ! तभी वहाँ सेएक लड़की का शव नदी में तैरता हुआ जा रहा था तो तभीकवि ने उस शव से पूछा ----कौन हो तुम ओ सुकुमारी,बह रही नदियां के जल में ?कोई तो होगा तेरा अपना,मानव निर्मित इस भू-तल मे !किस घर की तुम बेटी हो,किस क्यारी की कली हो तुम ?किसने तुमको छला है बोलो,क्यो

9

दिलों की क़ैद से बाहर निकल

6 दिसम्बर 2015
0
5
0

दिलों की क़ैद से बाहर निकल,नज़ारा देख रुक थोडा  संभल।बिखरने दो अभी खुश्बू हवा में,ना जाने कौन ,कब जाये बदल। तुम्हारा काम,बातें बनाना छोड़,बढाया ताप गर तू जायेगा उबल।तमाशा बन गया क्यों आदमी तू,ना पैसा काम आयेगा ना  महल। बुलंदी ठीक है ऊंचा ना उड़ना पंख,जमींनो से जुडो,उठो आगे निकल।कल्पना साथ मे,कर्तव्य करत

10

दर्द चेहरे पर उभारा जाएगा

11 मार्च 2016
0
3
2

दर्द चेहरे पर उभारा जाएगा,नाम जब मेरा पुकारा जाएगा। शुक्रिया कहना पड़ेगा वक़्त को,लौटकर शायद दोवारा आएगा। मेरी कश्ती है अभी मंझधार में,लड़ तू लहरों से किनारा आएगा। देखना सीने से लग जायेगा वो,दौड़कर बच्चा हमारा आएगा। मूक संकेतों से वो समझा गया,वक़्त फिर अच्छा हमारा आएगा। खर्चना दिल खोलकर इस प्यार को, शायद

11

संकल्प भारत मिशन वंदे मातरम !

16 मार्च 2016
0
3
0

" मैं एक देशभक्त नागरिक होने के पूर्ण अधिकार से मानननीय सर्वोच्च न्यायालय से निवेदन करता हूँ की देशद्रोही कन्हैया कुमार को 6 महीने के अन्दर-अन्दर fast कोर्ट trail पर लेकर दण्डित करने की कृपा करें| कन्हैया कुमार एक विकृत सोच और देशद्रोही मानसिकता वाला व्यक्ति ही नहीं बल्कि गन्दी राजनैतिक सोच द्वारा प

12

सूचना

10 अप्रैल 2016
0
4
1

13

विशेष सूचना

10 अप्रैल 2016
0
6
0

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए