कभी-कभी कोई सच इस कदर हैरान कर देने वाला होता है कि जानने-सुनने वाला दांतों तले अंगुलियां दबाए बिना न रहे। कुछ ऐसी ही हकीकत बयानी है दिल्ली की सड़कों से चालीस साल तक याराना निभाते रहे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट राजा सिंह की। पूरा नाम है राजा सिंह फूल।
पेट भरने के लिए वे लंगर पर निर्भर हैं। कभी-कभी तो उन्हें दिनभर भूखा रहना पड़ता है। इतनी मुश्किलों के बाद भी उनका कहना है कि वह मरते दम तक कभी भीख नहीं मांगेंगे, क्योंकि वह कभी अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकते हैं।
फर्राटेदार इग्लिश लेकिन ड्यूटी के नाम पर एक अदद काम है रोजाना वीजा एप्लीकेशन सेंटर पर लोगों को फॉर्म भरवाने में मदद करना। फटेहाली इस कदर की खाने के लिए जेब में धेला नहीं। पेट भरता है गुरुद्वारे के लंगर में। राजा सिंह का जिंदगीनामा किसी को भी गंभीर होने के लिए विवश कर देता है। वह 76 साल के हो चुके हैं। सड़कों पर जिंदगी गुजार रहे हैं पिछले चार दशक से।
वह बताते हैं कि उन्होंने ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। वह अपने भाई के कहने पर 1960 में भारत लौट आए थे। दोनों भाइयों ने मिलकर मुंबई में मोटर के पुर्जों का बिजनेस शुरू किया। भाई की मौत के बाद बिजनेस पूरी तरह से ठप हो गया। इसके बाद उनके बेटों ने उन्हें घर-बदर कर दिया। वह मीडिया को बताते हैं कि अपने दोनों बेटों को विदेश में पढ़ाने के लिए बहुत मेहनत की।
बच्चों के लिए बैंक से कर्ज लिया। वे आज ब्रिटेन और अमेरिका में हैं और अपनी फिरंगी बीवियों के साथ अच्छी तरह सेटल हैं। उनके पास अपने पिता के लिए समय नहीं है। जब जिंदगी में यह सब कुछ राजा सिंह पर गुजर रहा था, उन्हें कठिनतर हालात में भी भीख मांगना मंजूर नहीं था।
इसके बाद वह दिल्ली में वीजा ऑफिस के बाहर फॉर्म भरवाने में लोगों की मदद करने लगे। इसे रोजी रोटी तो नहीं कह सकते क्योंकि शुरुआत में इस सबके बावजूद जेब में धेला नहीं आ पाता था, वह लंगर में खाना खाकर दिन बसर कर लेते थे मगर बाद के दिनों में फॉर्म भरके उके बदले में उन्हें किसी किसी से सौ रुपये तक मिलने लगे।
राजा सिंह बताते हैं कि वह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में 1964 बैच के स्टूडेंट थे। ग्रेजुएशन की डिग्री पाने के बाद वहीं पर जॉब मिल गई लेकिन भाई बीएस फूल के कहने पर वे दुर्भाग्य से भारत आ गए। बाद में भाई को शराब की लत लग गई। बीमारी के बाद उसकी मृत्यु हो गई। वह अकेले हो गए।
उधर उनके दोनों बेटों ने विदेश में ही शादी कर ली और वहीं रहने लगे। इसी दौरान की पत्नी की मौत हो गई। ऐसे में वो अब और अकेले रह गए। अब तो वह दिल्ली रेलवे स्टेशन पर ही सोते हैं। सुबह तैयार होने के लिए कनॉट प्लेस पर पब्लिक टॉयलेट का यूज करते हैं। उनके पास एक छोटा सा कांच है जिसके सहारे वो अपने पगड़ी बांधते हैं। फिर दिन में वीजा सेंटर पर जाते हैं, जहां लोगों की फॉर्म भरने में मदद करते हैं। बदले में लोग कुछ पैसे भी देते हैं।
वह पैसों के लिए लोगों की मदद नहीं करते हैं बल्कि ऐसा करना उन्हें अच्छा लगता है। जब उनके पास कोई काम नहीं होता है तो वह लंगर में खाना खाते हैं। पिछले दिनो जब राजा सिंह का यह वाकया सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा तो तमाम लोगों उनकी तरफदारी में उठ खड़े हुए। इसके बाद उनको वृद्धाश्रम में ठिकाना मिल गया। आज अपने बेटों के कारण वे सड़क पर सोने को मजबूर हुए।
पेट भरने के लिए वे लंगर पर निर्भर हैं। कभी-कभी तो उन्हें दिनभर भूखा रहना पड़ता है। इतनी मुश्किलों के बाद भी उनका कहना है कि वह मरते दम तक कभी भीख नहीं मांगेंगे, क्योंकि वह कभी अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकते हैं। वह लंगर में खाते जरूर हैं लेकिन इसके बदले वह किसी न किसी रूप में योगदान भी जरूर देते हैं, क्योंकि वे मुफ्त में कोई भी चीज नहीं लेते। अगर वह ऐसा नहीं कर सकें तो उन्हें वहां खाने का कोई हक नहीं है।
अब उन्हें गुरुनानक सुखसाला दरबार में जगह मिल गई है। सच है कि जिंदगी कब किसे कहां पहुंचा दे, कोई नहीं जानता। राजा सिंह को इस बात का कोई गम नहीं है कि पत्नी की मौत के बाद उनके रिश्तेदारों ने उनसे किनारा कर लिया। उन्हें सरकार से भी कोई मदद नहीं मिली। उन्हें मोबाइल फोन तो मिल गया है पर स्थायी पता और आधार कार्ड नहीं होने के कारण उन्हें सिम नहीं मिल सका है। वह केवल एक ही प्रार्थना करते हैं कि उन्हें भगवान कभी भीख मांगने के लिए मजबूर नहीं करे।
साभार- योरस्टोरी